Caste Based Census: बिहार के नेताओं के साथ PM से मिलेंगे नीतीश, मोदी सरकार पर और बढ़ेगा दबाव

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जातीय जनगणना के मुद्दे पर बातचीत के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 23 अगस्त को मुलाकात करेंगे।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shreya
Update: 2021-08-20 08:02 GMT

नरेंद्र मोदी संग नीतीश कुमार (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Caste Based Census: लंबे इंतजार के बाद बिहार के मुख्यमंत्री (Bihar Chief Minister) नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को जातीय जनगणना के मुद्दे पर बातचीत के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) का आमंत्रण मिल गया है। पीएमओ (PMO) ने मुख्यमंत्री का आग्रह स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री से मुलाकात के लिए 23 अगस्त की तारीख तय की है। नीतीश कुमार ने 4 अगस्त को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मुलाकात के लिए समय मांगा था।

पीएमओ की ओर से जवाब न मिलने पर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने भी इस बाबत प्रधानमंत्री (PM Narendra Modi) को चिट्ठी लिखी थी। राज्य की सियासत में एक-दूसरे के धुर विरोधी माने जाने वाले नीतीश कुमार और तेजस्वी अब जातीय जनगणना के मुद्दे पर एक साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। माना जा रहा है कि इस मुलाकात के बाद मोदी सरकार (Modi Government) पर जातीय जनगणना का दबाव और बढ़ेगा।

भाजपा को छोड़कर सभी दल पक्ष में

बिहार में भाजपा को छोड़कर अन्य सभी सियासी दलों की ओर से जातीय जनगणना की मांग की जा रही है। इसी मुद्दे पर बातचीत करने के लिए नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी थी। नीतीश कुमार ने इस बाबत ट्वीट करते हुए बताया है कि उन्हें 23 अगस्त को पीएमओ की ओर से बुलावा मिला है। उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार भी जताया है।

बिहार में हर मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेरने वाले राजद नेता तेजस्वी यादव भी इस मुद्दे पर नीतीश कुमार के साथ हैं। नीतीश कुमार 23 अगस्त को सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। उनके साथ नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी होंगे। शायद यह पहला मौका होगा जब मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष एक ही मांग को लेकर प्रधानमंत्री से मुलाकात करेंगे। प्रधानमंत्री से मुलाकात करने वाले दल में जेडीयू, हम, वीआईपी, वामदलों और कांग्रेस के नेता भी शामिल होंगे।

नीतीश ने लिखी थी पीएम को चिट्ठी

बिहार में जातीय जनगणना की मांग लगातार तेज होती जा रही है। विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान विपक्ष की ओर से इस बाबत मुख्यमंत्री से मांग भी की गई थी। राजद नेता तेजस्वी यादव समेत सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई नेताओं ने मुख्यमंत्री से मुलाकात करके जातीय जनगणना के मुद्दे पर अपना पक्ष रखा था।

सभी नेताओं का मानना था कि बिहार से एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से मुलाकात करनी चाहिए। विपक्ष की मांग के बाद मुख्यमंत्री की ओर से इस बाबत प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी गई थी जिस पर पीएमओ की ओर से अब मुख्यमंत्री को जवाब मिला है। 

लालू प्रसाद यादव, रामविलास पासवान (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

बिहार में काफी दिनों से हो रही मांग

बिहार में जातीय जनगणना की मांग की नई नहीं है। राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव, दिवंगत लोजपा नेता रामविलास पासवान और खुद नीतीश कुमार काफी दिनों से जातीय जनगणना की मांग उठाते रहे हैं। लालू प्रसाद यादव तो कई बार इस मुद्दे को उठाते हुए यहां तक कह चुके हैं कि जब देश में कुत्ते और बिल्ली की गणना की जा सकती है तो जातीय आधार पर जनगणना कराने में क्या दिक्कत है।

बिहार विधानसभा में 2019 और 2020 में इस बाबत प्रस्ताव पारित कराकर केंद्र सरकार को भेजा गया था मगर केंद्र सरकार की ओर से जातीय जनगणना कराने के मुद्दे पर कोई पहल नहीं की गई। अब इस साल होने वाली जनगणना में जातीय आंकड़ों को जुटाने की मांग ने काफी तेजी पकड़ ली है। 

नित्यानंद राय (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

केंद्र सरकार पक्ष में नहीं

वैसे केंद्र सरकार अभी तक जातीय जनगणना कराने के पक्ष में नहीं है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने पिछले दिनों लोकसभा में स्पष्ट तौर पर कहा था कि इस साल होने वाली जनगणना में केवल अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों की गणना ही कराई जाएगी। सरकार के इस रुख को देखते हुए बिहार की सियासत गरमाई हुई है। पूर्व मुख्यमंत्री और हम पार्टी के मुखिया जीतन राम मांझी का कहना है कि यदि केंद्र सरकार की ओर से जातीय जनगणना नहीं कराई जाती है तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपने स्तर पर बिहार में यह जनगणना कराई जा कर आनी चाहिए। उनकी दलील थी कि संसद में ओबीसी विधेयक पारित होने के बाद राज्यों को इस बाबत अधिकार भी मिल गया है।

अब हर किसी की नजर 23 अगस्त को प्रधानमंत्री और बिहार के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के बीच होने वाली मुलाकात पर टिकी है। माना जा रहा है कि इस मुलाकात के बाद केंद्र सरकार पर जातीय जनगणना का दबाव और बढ़ेगा।   

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