कोरोना के बीच सीमा पर धोखा दे सकता है चीन? CDS बिपिन रावत ने कही बड़ी बात

बिपिन रावत ने कहा कि देश की सेना ने ऐसी तैयारियां की हैं कि हमें कोई चकमा न दे सके।

Newstrack Network :  Network
Published By :  Shreya
Update: 2021-05-10 10:53 GMT

CDS बिपिन रावत (फोटो साभार- सोशल मीडियाः 

नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर की दस्तक होने के बाद से महामारी ने एक बार फिर से विकराल रूप धारण कर लिया है। कई राज्यों में बिगड़ती स्थिति को देखते हुए सेना (Indian Army) ने कमान संभाल ली है, ताकि लोगों की जान को बचाया जा सके। लेकिन ऐसे में क्या सीमा पर भारत के दुश्मन किसी तरह का दुस्साहस कर सकते हैं, ऐसे कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत (CDS Bipin Rawat) ने एक प्रतिष्ठित न्यूज चैनल से बात करते हुए इन सभी अटकलों के जवाब दिए और देश को आश्वस्त किया है कि देश की सेना ने ऐसी तैयारियां की हैं कि हमें कोई चकमा न दे सके। उन्होंने कहा कि हमने सेना को रिजर्व एरिया में रखा है, जिससे जरूरत पड़ने पर हम अपनी पसंद की जगह पर सेना की तुरंत तैनाती कर सकें।

बिपिन रावत (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

सेना ने किया है खतरे का आकलन

जब उनसे पूछा गया कि बीते साल भी चीन (China) की तरफ से इसी समय में लद्दाख (Ladakh) में हिमाकत की गई थी, तो क्या भारत जब कोरोना से लड़ाई में व्यस्त है तो चीन सीमा पर ऐसा दुस्साहस फिर से कर सकता है। इसके जवाब में CDS बिपिन रावत (Bipin Rawat) ने कहा कि ऐसी चुनौतियों को लेकर सेना द्वारा समय-समय पर आकलन किया जाता रहता है। इस बार भी कोरोना के वक्त सेना ने ऐसा ही किया है।

सीडीएस ने कहा कि फिलहाल सीमा पर सेना की मौजूदगी कम है, लेकिन सेना को रिजर्व एरिया में रखा गया है, जिससे किसी तरह की गड़बड़ी होने पर हम अपनी पसंद की जगह पर कभी भी सेना की तुरंत तैनाती कर सकें। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में लोगों की मदद करने के लिए हम थोड़ा जोखिम उठा रहे हैं। लेकिन खतरे का आकलन करने के बाद ऐसी जगहों की पहचान की गई है, जहां पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी होनी चाहिए।

चीनी और भारतीय सैनिक (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

बीते साल जून में चीन ने किया था हमला

आपको बता दें कि बीते साल चीन ने लद्दाख की गलवान घाटी में लद्दाख में गलवान घाटी में धोखे से भारतीय सेना पर हमला कर दिया था। जिसमें हमारे सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले में भारत ने भी चीन के कई जवानों को मौत की नींद सुला दी थी। हालांकि चीन ने कई महीनों तक इस बात को मानने से इनकार किया था कि हमले में उसके सैनिक घायल या मारे गए हैं।

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