'ड्रैगन' को तगड़ा झटका देने की फिराक में भारत, इस प्रोजेक्ट पर तेजी से चल रहा काम
भारत चीन के हर कूटनीतिक कदम का दे रहा माकूल जवाब
लेह: चीन भारत के साथ रिश्ते सामान्य करने के चाहे जितना दिखावा कर ले पर सच यही है कि वह लगातार देश के खिलाफ कूटनीतिक साजिशें रच रहा है। इसी का नतीजा हे कि कई स्तर की वार्ता होने के बावजूद भी दोनों देशों के बीच रिश्ते सामान्य नहीं हो पा रहे हैं। हालांकि भारत चीन की हर साजिश का जवाब दे रहा है। इसी के तहत भारत सरकार की तरफ से बॉर्डर के करीबी क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने की दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है। पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में मोबाइल फोन (mobile phone) और इंटरनेट कनेक्टिविटी (internet connectivity) के निर्माण और विस्तार की दिशा में तेजी से काम चल रहा है। मीडिया में आई रिपोर्ट्स की मानें तो अक्टूबर के अंत तक रिलायंस जीयो से पूर्वी लद्दाख के डेमचोक में एलएसी और चुशूल गांव के आस पास 4जी नेटवर्क उपलब्ध हो जाने की उम्मीद है।
ऐसा माना जा रहा है कि बॉर्डर के पास कनेक्टिविटी बढ़ने से ड्रैगन को तगड़ा झटका लगेगा। चीन के साथ विवाद के बीच लएसी के डेमचोक और चुशूल क्षेत्र के आस पास नेटवर्क कनेक्टिविटी का प्रोजेक्ट काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सूत्रों की मानें तो अधिकारियों की एक टीम गत माह वास्तविक नियंतत्रण रेखा (एलएसी) के पास बन रहे नेटवर्क टॉवरों की स्थिति जानने के लिए डेमचोक क्षेत्र का दौरा भी किया था। इसी के साथ ही यहां के दूर दराज के क्षेत्रों में फाइबर आप्टिकल केबल बिछाने का काम भी तेजी से चल रहा है।
गौरतलब है कि नेटवर्किंग दिक्कत के चलते सुरक्षा के लिहाज से यहां काफी समस्या हो रही थी। इन सबकों देखते हुए भारत सरकार ने सैनिकों को मोबाइल कनेक्टिविटी देने के लिए विशेष रूप से साइटों को तैनात किया है। यहां पहले फोन कनेक्ट करने का सैटेलाइट ही एक मात्र विकल्प था। लेकिन वर्तमा समय में लद्दाख में 54 मोबाइल टॉवर बनाने का काम चल रहा है। गत दो सालों में यूनिवर्सल सर्विस आब्लिगेशन फंड (यूएसओएफ) के तहत लगभग 70 टॉवरों को लगाने की मंजूरी दी गई है। इससे न केवल सशस्त्र बलों को बल्कि स्थानीय लोगों को भी सस्ते दरों पर नेटवर्क कनेक्टिविटी उपलब्ध हो सकेगी।