कोरोना, डेंगू के बाद अब यह बीमारी हो सकती है जानलेवा, जानें क्या है इसके लक्षण
स्क्रब टाइफस (scrub typhus virus) एक बैक्टीरिया ( Bacteria) जनित बीमारी है, जो अति सूक्ष्म कीड़ों यानी माइट के काटने से होती है।
नई दिल्ली। भारत में कोरोना (Corona Third wave) की तीसरी लहर की आशंका के बीच उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कुछ जिलों में एक रहस्यमयी बुखार (viral fever)तेजी से फैला हुआ है। डेंगू (Dengue) के अलावा इस बुखार की पहचान 'स्क्रब टाइफस' (scrub typhus) के रूप में भी की गई है। स्क्रब टाइफस (scrub typhus) के केस यूपी (UP) के अलावा मध्यप्रदेश (madhya pradesh) और नेपाल (Nepal) में भी बड़ी संख्या में पाए गए हैं। यह एक गंभीर बीमारी है क्योंकि अगर यह बीमारी पूरी तरह शरीर में फैल जाए, तो इससे निपटना बहुत मुश्किल हो जाता है, क्योंकि अब तक इसका कोई पर्याप्त इलाज या दवा नहीं बनी है। स्क्रब टाइफस ( scrub typhus Symptom) की जांच भी विशेष रूप से होती है जो हर जगह हो पाना मुश्किल है।
क्या है यह बीमारी
स्क्रब टाइफस (scrub typhus virus) एक बैक्टीरिया (Bacteria) जनित बीमारी है, जो अति सूक्ष्म कीड़ों यानी माइट के काटने से होती है। ये माइट्स खेत, जंगल, घास आदि में पनपते हैं। ये चूहे, छछूंदर और गिलहरी वगैरह से होते हुए भी इंसान तक पहुंच सकते हैं। 2003, 2004 और 2007 के दौरान भी हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) , सिक्किम (Sikkim) और पश्चिम बंगाल (west bengal) में स्क्रब टाइफ़स (scrub typhus virus) क्यूका काफी प्रकोप था। यह रोग खासतौर पर बरसात और ठंड के दिनों में काफी तेज़ी से फैलता है।
कहां-कहां फैलती है यह बीमारी
जुएं के आकार का दिखने वाला ये कीट आमतौर पर झाड़ीदार या नमी वाले इलाकों में पाया जाता है। इसे रिकेटसिया माइट भी कहा जाता है, जिसके काटने से स्क्रब टाइफस (scrub typhus) के बैक्टेरिया त्वचा (Bacteria skin) के सहारे शरीर में चले जाते हैं। इसकी शुरुआत बुखार और शरीर पर चकत्ते पड़ने से होती है। आगे चलकर यह शरीर के नर्वस सिस्टम, दिल, गुर्दे, श्वसन और पाचन प्रणाली को प्रभावित करता है। इस बुखार की वजह से निमोनिया, मेनिंगो-एन्सेफलाइटिस, ऑर्गन फेलियर और इंटर्नल ब्लीडिंग के साथ ही इस बीमारी में एक्यूट रेसपिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम का खतरा बना रहता है।
लक्षण और शुरुआत
- इस बीमारी के लक्षण संक्रमित लार्वा माइट्स के द्वारा काटे जाने के 10 दिनों के भीतर सामने आने लगते हैं।
- जिस स्थान पर यह कीट काटता है वहां फफोलेनुमा काली पपड़ी का निशान पड़ जाता है, जो कुछ ही समय में घाव बन जाता है।
- स्क्रब टाइफस की चपेट में आए व्यक्ति को 104 डिग्री सेल्सियस तक बुखार जा पहुंचता है। यह बुखार किसी भी दवाई से कंट्रोल में नहीं आता।
- तेज बुखार के दौरान कंपकंपी, जोड़ों में दर्द और शरीर में टूटन होने लगती है। शरीर ऐंठने लगता है। हाथ, बांह, गर्दन में गिल्टियां पड़ जाती हैं।
- इस बीमारी में कैल्शियम की कमी हो जाती है साथ ही, रोग प्रतिरोधक क्षमता भी काफी तेजी से कम होती है।
- सीडीसी के अनुसार, स्क्रब टाइफस के लक्षण कई अन्य बीमारियों की तरह ही होते हैं, जिसकी वजह से इसकी पहचान मुश्किल हो जाती है। बैक्टीरिया की मौजूदगी का पता लगाने के लिए खून की जांच के साथ अन्य विशेष जांचें की जाती हैं। सामान्य मामलों में बीमारी के लक्षण आमतौर पर बिना इलाज के ही दो हफ्तों में गायब हो जाते हैं।
- सफाई रखना जरूरी: घर के आसपास गंदा पानी, कचरा, नमी बनने वाली चीजें ना रहने दें।
- ज्यादातर जांच में स्क्रब टाइफस के कीट घास और गंदगी में मिले हैं। इसलिए अगर आपके घर में हरियाली है, तो उसकी नियमित सफाई करते रहें और कीटनाशक छिड़कें।
- स्क्रब टाइफस (scrub typhus) का कीट शरीर के किसी भी अंग पर काट सकता है, इसलिए खासतौर पर बारिश या सर्दी के सीज़न में वही कपड़े पहनें, जिससे शरीर ज्यादा से ज्यादा ढंक सके। घर से निकलते समय मोजे और जूते पहनकर निकले।
महामारी भी बना था स्क्रब टाइफस ( scrub typhus)
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान दुनिया के कुछ हिस्सों में स्क्रब टाइफस ने महामारी का रूप ले लिया था। उस दौरान असम और पश्चिम बंगाल में यह महामारी के रूप में फैल गया था। लेकिन धीरे-धीरे, यह बीमारी भारत के कई हिस्सों में फैल गई। इस वायरल बीमारी का जन्म फारस की खाड़ी, उत्तरी जापान और उत्तरी ऑस्ट्रेलिया के बीच हुआ था।