Corona Precaution Dose: प्रीकॉशन डोज़ में नहीं होगी वैक्सीन मिक्सिंग

Corona Precaution Dose: मिक्स वैक्सीन का मतलब होता है कि लाभार्थी को अलग-अलग कंपनियों की वैक्सीनों की खुराकें दी जाती हैं। इसका मकसद वैक्सीन की प्रभावकारिता और इससे मिलने वाली सुरक्षा को बढ़ाना होता है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Divyanshu Rao
Update:2022-01-06 16:19 IST
कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज की तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

Corona Precaution Dose: भारत में अब स्वास्थ्यकर्मियों, फ्रंटलाइन वर्कर्स और 60 साल के ऊपर वालों क कोरोना वैक्सीन की प्रीकॉशन डोज़ लग्न शुरू होने वाली है। सरकार ने अब स्पष्ट कर दिया है कि प्रीकॉशन डोज़ वही होगी जो पहले की दो डोज़ में थी। यानी किसी तरह की मिक्सिंग नहीं की जायेगी। जिसको कोवैक्सिन की दो डोज़ मिली है उसे प्रीकॉशन डोज़ भी कोवैक्सिन की ही मिलेगी। जिनको कोविशील्ड की दो डोज़ लगी हैं उनको कोविशील्ड की प्रीकॉशन डोज़ लगेगी।

मिक्स वैक्सीन का मतलब होता है कि लाभार्थी को अलग-अलग कंपनियों की वैक्सीनों की खुराकें दी जाती हैं। इसका मकसद वैक्सीन की प्रभावकारिता और इससे मिलने वाली सुरक्षा को बढ़ाना होता है। इसे इंटरचेंजेबिलिटी और इंटरचेंजेबल डोज रिजीम भी कहा जाता है। अमेरिका समेत कई देशों में इंटरचेंजेबल डोज रिजीम का इस्तेमाल भी हो रहा है। भारत में इस पर स्टडी चल रही है।

मिक्स वैक्सीनों पर कई अध्ययन हुए हैं जिनके निष्कर्ष में मिक्स वैक्सीन की डोज को ज्यादा असरदार बताया जा रहा है। यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी (ईएमए) और यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल (ईसीडीसी) ने एक संयुक्त बयान में कहा था कि वेक्टर और एमआरएनए वैक्सीन का संयोजन कोरोना वायरस के खिलाफ बेहतर सुरक्षा प्रदान कर सकता है।

लैंसेट जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, एस्ट्राजेनेका या फाइजर की पहली खुराक के नौ सप्ताह के अंतराल बाद नोवावैक्स या मॉडर्ना की दूसरी डोज देकर शरीर में मजबूत प्रतिरक्षा उत्पन्न करने में मदद मिल सकती है।

नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने कहा है कि वैक्सीनों की मिक्सिंग के डेटा और विज्ञान के विवरण को देखा जाएगा और एक संतुलित एप्रोच पर बढ़ा जाएगा।

कोरोना वैक्सीन की प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो:सोशल मीडिया)

मेडिकल एक्सपर्ट्स के अनुसार, वैक्सीन मिक्सिंग को लेकर विदेशों में भी आशंकाएं हैं लेकिन अभी तक कोई ऐसा प्रमाण नहीं मिला है कि मिक्सिंग के दुष्प्रभाव होते हैं। मिसाल के तौर पर मलेशिया में चीन निर्मित सीनोवैक के बाद फाइजर का बूस्टर शॉट लगाया जा रहा है लेकिन बहुत से लोग दुष्प्रभाव की आशंका से बूस्टर लेने नहीं आ रहे हैं।

श्वास रोग एक्सपर्ट डॉ हेल्मी म्यदीन ने कहा है की यूरोप में हुई रिसर्च में पता चला है कि मिक्स वैक्सीन लेने वालों में लक्षण वाले संक्रमण की संभावना 68 फीसदी कम होती है। अमेरिका में बूस्टर इंजेक्शन के लिए अन्य वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है।

भारत में हैदराबाद के एआईजी अस्पताल में हुई एक स्टडी में दावा किया गया है कि कोविशील्ड और कोविशील्ड वैक्सीन की एक-एक डोज मिक्स एंड मैच तरीके से लगाने पर 4 गुना ज्यादा एंटीबाडी बन रही है। अस्पताल के एक्सपर्ट्स ने सुझाव दिया है कि 10 जनवरी से से शुरू हो रहे प्रीकॉशन डोज टीकाकरण में मिक्स वैक्सीन लगाने से महामारी के खिलाफ ज्यादा फायदा होगा। इस स्टडी में पाया गया कि जिन लोगों को मिक्स वैक्सीन लगी थी उनमें कोरोना एके खिलाफ एंटीबाडीज चार गुना ज्यादा बनीं।

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