Devyani Khobragade: मनमोहन सरकार में क्या था देवयानी केस, क्यों लगी थी हथकड़ी, अमेरिका को कैसे घुटने टेकने पर किया था मजबूर
Devyani Khobragade: देवयानी खोब्रागड़े मामला भारत और अमेरिका के बीच 2013 में एक बड़ा राजनयिक विवाद बनकर उभरा। इस घटना ने दोनों देशों के संबंधों में तनाव ला दिया था और भारत में काफी राजनीतिक व सामाजिक चर्चा का विषय बना था।;
मनमोहन सरकार में क्या हुआ था देवयानी केस (Photo- Social Media)
Devyani Khobragade: हाल ही में, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा ने अमेरिका द्वारा भारतीय नागरिकों के निर्वासन के मुद्दे पर मोदी सरकार की प्रतिक्रिया की आलोचना करते हुए 2013 के देवयानी खोब्रागड़े मामले का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जब देवयानी खोब्रागड़े को अमेरिका में गिरफ्तार किया गया था, तब मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने अमेरिका के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया था। तत्कालीन विदेश सचिव सुजाता सिंह को अमेरिकी प्रशासन की ओर से कॉल कर खेद व्यक्त किया गया था, और अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने भी देवयानी के साथ किए गए व्यवहार पर खेद जताया था। इसके अतिरिक्त, आयकर विभाग ने अमेरिकी दूतावास के स्कूल की जांच भी शुरू की थी। पवन खेड़ा ने वर्तमान सरकार की प्रतिक्रिया की तुलना करते हुए कहा कि मोदी सरकार की प्रतिक्रिया कमजोर रही है, जबकि पिछली सरकार ने राष्ट्रीय सम्मान की रक्षा के लिए सख्त कदम उठाए थे। इस राजनीतिक बयानबाजी के कारण देवयानी खोब्रागड़े मामला फिर से चर्चा में आ गया है।
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देवयानी खोब्रागड़े मामला क्या है?
देवयानी खोब्रागड़े मामला भारत और अमेरिका के बीच 2013 में एक बड़ा राजनयिक विवाद बनकर उभरा। इस घटना ने दोनों देशों के संबंधों में तनाव ला दिया था और भारत में काफी राजनीतिक व सामाजिक चर्चा का विषय बना था।
11 दिसंबर 2013 को, अमेरिका में देवयानी खोब्रागड़े को वीजा धोखाधड़ी और अपनी घरेलू सहायिका, संगीता रिचर्ड को उचित वेतन न देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। अमेरिकी अभियोग के अनुसार, देवयानी ने संगीता के वर्क वीजा आवेदन में झूठी जानकारी दी थी और उसे अमेरिकी न्यूनतम वेतन से कम भुगतान किया जा रहा था।
अमेरिकी प्रशासन का दावा था कि देवयानी खोबरागड़े ने संगीता को 4500 डॉलर प्रति माह वेतन देने की बात कही थी, लेकिन असल में उसे इससे कहीं कम भुगतान किया जा रहा था. यह आरोप लगने के बाद न्यूयॉर्क पुलिस ने 12 दिसंबर 2013 को देवयानी को गिरफ्तार कर लिया.
देवयानी खोब्रागड़े का परिचय:
देवयानी खोब्रागड़े भारतीय विदेश सेवा (IFS) की 1999 बैच की अधिकारी हैं। उनका जन्म महाराष्ट्र में हुआ था और उन्होंने मुंबई के सेठ जीएस मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त की थी। उनके पिता, उत्तम खोब्रागड़े, एक वरिष्ठ भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी थे। देवयानी ने पाकिस्तान, इटली और जर्मनी में विभिन्न राजनयिक पदों पर कार्य किया था और 2013 में न्यूयॉर्क में भारत के उप महावाणिज्य दूत (Deputy Consul General) के रूप में नियुक्त थीं।
देवयानी खोब्रागड़े के व्यक्तिगत जीवन के संदर्भ में, वह एक डॉक्टर से राजनयिक बनी हैं। उनका नाम आदर्श सोसाइटी घोटाले में भी आया था, जिसमें उन्हें एक फ्लैट आवंटित किया गया था। इस प्रकार, देवयानी खोब्रागड़े मामला न केवल भारत-अमेरिका संबंधों में एक महत्वपूर्ण घटना रहा है, बल्कि भारतीय राजनीति और समाज में भी इसकी गूंज सुनाई देती रही है।
गिरफ्तारी और उसके प्रभाव:
देवयानी की गिरफ्तारी के दौरान उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। उन्हें सार्वजनिक रूप से हथकड़ी पहनाई गई, कपड़े उतरवाकर तलाशी ली गई, और सामान्य अपराधियों के साथ रखा गया। इस घटना ने भारत में बड़े पैमाने पर आक्रोश पैदा कर दिया। भारतीय सरकार और जनता ने इसे राष्ट्रीय अपमान के रूप में देखा।
देवयानी को अपनी घरेलू सहायिका संगीता रिचर्ड के वीजा आवेदन में गलत तथ्य देने के मामले में गिरफ्तार किया गया था. बाद में उन्हें ढाई लाख डॉलर के मुचलके पर जमानत मिली थी. इस मामले पर भारत की सख्त प्रतिक्रिया से अमेरिकी अधिकारी पूरी तरह से हिल गए थे और उन्हें इसका यकीन नहीं हो रहा था.
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भारत की प्रतिक्रिया:
भारत ने इस घटना पर कड़ा विरोध जताया। नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास के सामने से सुरक्षा बैरिकेड्स हटाए गए, अमेरिकी दूतावास के लिए विशेष सुविधाओं को वापस लिया गया, और अमेरिकी राजनयिकों के लिए जारी किए गए विशेष हवाईअड्डा पास रद्द कर दिए गए। इसके अलावा, भारत ने अमेरिकी दूतावास में कार्यरत भारतीय कर्मचारियों के वेतन विवरण की भी मांग की।
अमेरिका का रुख:
अमेरिका ने अपनी कार्रवाई को कानून सम्मत बताया और यह कहा कि संगीता रिचर्ड को उचित वेतन न देना अमेरिकी कानूनों का उल्लंघन था। हालाँकि, अमेरिका पर यह आरोप भी लगा कि उसने इस मामले में भारत की संवेदनशीलता को नहीं समझा और राजनयिक प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया।
हालांकि अमेरिकी प्रशासन के एक अधिकारी ने तब कहा था कि, 'हमें महसूस हुआ है. हमें परिणाम भुगतना होगा.' भारत ने जोर देते हुए कहा था कि इस तरह की गिरफ्तारी न सिर्फ विएना कनवेंशन का उल्लंघन है, बल्कि भारत-अमेरिका संबंध की उस भावना के खिलाफ है जिसके लिए राष्ट्रपति बराक ओबामा पिछले पांच सालों से प्रयासरत हैं।
राजनयिक समाधान:
घटना के बाद, भारत सरकार ने देवयानी को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में स्थानांतरित कर दिया, जिससे उन्हें पूर्ण राजनयिक छूट मिल सके। 8 जनवरी 2014 को, अमेरिका ने उन्हें जी-1 वीजा जारी किया, जिससे उन्हें पूर्ण राजनयिक छूट प्राप्त हुई। हालांकि, इसके बाद अमेरिका ने उनकी छूट को रद्द करने का अनुरोध किया, जिसे भारत ने अस्वीकार कर दिया। अंततः, देवयानी को अमेरिका छोड़कर भारत लौटना पड़ा। 2013 में देवयानी खोब्रागड़े की गिरफ्तारी के बाद, यूपीए सरकार के विभिन्न मंत्रियों और विपक्षी नेताओं ने इस घटना पर अपनी प्रतिक्रियाएँ दीं।
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यूपीए सरकार के मंत्रियों की प्रतिक्रियाएँ:
विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद: उन्होंने इस घटना को गंभीरता से लिया और अमेरिकी अधिकारियों के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया। खुर्शीद ने कहा कि भारत इस तरह के अपमानजनक व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करेगा और उन्होंने अमेरिकी प्रशासन से देवयानी के साथ उचित व्यवहार की मांग की।
विदेश सचिव सुजाता सिंह: उन्होंने अमेरिकी प्रशासन के साथ सीधे संवाद किया और देवयानी की गिरफ्तारी के तरीके पर आपत्ति जताई। अमेरिकी प्रशासन ने सुजाता सिंह को कॉल कर इस घटना पर खेद व्यक्त किया।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन: उन्होंने देवयानी के साथ हुए व्यवहार को "बर्बर" करार दिया और इसे अस्वीकार्य बताया। अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने मेनन को फोन कर इस घटना पर खेद प्रकट किया।
विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रियाएँ:
अरुण जेटली (तत्कालीन विपक्ष के नेता, राज्यसभा): उन्होंने इस घटना को भारत की राष्ट्रीय प्रतिष्ठा से जोड़ते हुए कहा कि एक भारतीय राजनयिक के साथ इस तरह का व्यवहार वियना संधि का उल्लंघन है। जेटली ने सरकार से आग्रह किया कि वह इस मुद्दे पर सख्त कदम उठाए और अमेरिका को कड़ा संदेश दे।
मायावती (बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख): उन्होंने सरकार से स्पष्टता की मांग की कि वह देवयानी को इस मामले से बचाने के लिए कौन से विशिष्ट कदम उठा रही है। मायावती ने इस घटना को गंभीर बताते हुए सरकार से ठोस कार्रवाई की अपेक्षा की।
इस मामले की राजनीतिक गूंज:
यह मामला भारत की राजनीति में भी बड़ा मुद्दा बना। विपक्षी दलों ने मनमोहन सिंह सरकार की प्रतिक्रिया को लेकर सवाल उठाए, जबकि यूपीए सरकार ने इसे राष्ट्रीय सम्मान का मुद्दा बताते हुए कड़े कदम उठाए।देवयानी खोब्रागड़े मामला भारत-अमेरिका संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इसने राजनयिक प्रतिरक्षा, अंतरराष्ट्रीय कानून, और द्विपक्षीय संबंधों पर बहस छेड़ी। भले ही यह मामला वर्षों पुराना है, लेकिन इसका प्रभाव आज भी देखने को मिलता है। इस विवाद से यह स्पष्ट हुआ कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में परस्पर सम्मान और कूटनीतिक नियमों का पालन कितना आवश्यक होता है।देवयानी खोब्रागड़े मामला 2013 में भारत और अमेरिका के बीच एक प्रमुख राजनयिक विवाद का कारण बना, जिसने दोनों देशों के संबंधों में तनाव उत्पन्न किया। हाल ही में, यह मामला फिर से चर्चा में आया है, जिसके पीछे कई कारण और राजनीतिक हलचलें हैं।
देवयानी खोब्रागड़े मामला भारत-अमेरिका संबंधों में एक महत्वपूर्ण घटना रही है, जिसने दोनों देशों के बीच राजनयिक प्रोटोकॉल, प्रतिरक्षा और आपसी सम्मान जैसे मुद्दों पर बहस छेड़ी। हालांकि यह मामला 2013 में हुआ था, लेकिन वर्तमान राजनीतिक संदर्भों में इसकी पुनरावृत्ति यह दर्शाती है कि अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में ऐसी घटनाओं का दीर्घकालिक प्रभाव हो सकता है।