Corona Second Wave: दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतें, सरकार ने रिपोर्ट में किया स्वीकार

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को संसद में जानकारी देते हुए कहा कि आंध्र प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी के कारण कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कुछ लोगों की मौत हुई थी।

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Published By :  Shashi kant gautam
Update: 2021-08-11 06:21 GMT

Corona Second Wave: देश में कोरोना की दूसरी लहर ने झकझोर कर रख दिया था। हर जगह आक्सीजन की कमी के चलते लोग मर रहे थे। आक्सीजन की कमी के कारण हुई मौतों पर खूब राजनीति हुई। इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को संसद में जानकारी देते हुए कहा कि आंध्र प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी के कारण कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कुछ लोगों की मौत हुई थी। सरकार के मुताबिक, कुछ मरीज़ जो वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे, उनकी मौत कोरोना की दूसरी लहर के दौरान इसी कारण हुई थी।

बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा ये पहली बार माना गया है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश में ऑक्सीजन की कमी के कारण मरीज़ों की जान गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बताया गया है कि 9 अगस्त, 2021 को आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा ये जानकारी सौंपी गई है जिसे अब संसद के जरिए बताया जा रहा है।

इस कारण हुई थी मरीजों की मौत

केंद्र सरकार ने संसद में जानकारी दी है कि आंध्र प्रदेश सरकार ने बताया कि 10 मई 2021 को SVRR अस्पताल में कुछ मरीज़ जो कि वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे, उनकी मौत हुई थी। शुरुआती जांच में ये बात सामने आई है कि ऑक्सीजन टैंक और बैकअप सिस्टम में बदलाव के बीच ऑक्सीजन लाइन में प्रेशर कमज़ोर हुआ था, जिसकी वजह से मरीज़ों को तकलीफ हुई। केंद्र सरकार ने संसद में बयान दिया था कि राज्य सरकारों द्वारा जो आंकड़े दिए गए हैं, उनमें किसी में भी ये नहीं कहा गया कि किसी मरीज़ की मौत ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुई है।

दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन का भारी संकट था: फोटो- सोशल मीडिया

ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई मौतों के सही आंकड़े नहीं दिए गए

बाद में राज्य सरकारों ने स्वीकारा है कि दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन का भारी संकट था। लेकिन किसी मरीज की मौत के पीछे इसे कारण नहीं माना गया। सरकार द्वारा दिए गए इसी जवाब पर तब काफी बवाल हुआ था। विपक्षी पार्टियों द्वारा केंद्र सरकार पर निशाना साधा गया था, जबकि भाजपा का कहना था कि केंद्र ने सिर्फ वही रिपोर्ट किया है जो राज्य सरकारों द्वारा आंकड़ा दिया गया है।

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