Corona Vaccination: एंटीबॉडी बनाने के लिए वैक्सीन की एक ही डोज काफी- ICMR
Corona Vaccination: एक नई स्टडी में दावा किया गया है कि वैक्सीन की एक डोज ऐसे लोगों के लिए पर्याप्त है जो कोरोना से ठीक हो चुके हैं।;
Corona Vaccination: देश में जारी कोरोना की दूसरी लहर (Corona Virus Second Wave) के बीच वैज्ञानिक लगातार तीसरी लहर के जल्द दस्तक देने की चेतावनी दे रहे हैं। ऐसे में सरकार जल्द से जल्द ज्यादा से ज्यादा आबादी का टीकाकरण (Vaccination) कराने पर जोर दे रही है। इस बीच अब बच्चों के लिए भी जल्द कोरोना टीका (Corona Vaccine) आने की उम्मीद जताई जा रही है।
फिलहाल देश में वैक्सीनेशन (Corona Vaccination) के लिए के लिए तीन वैक्सीनों का इस्तेमाल हो रहा है। इन टीकों की दो खुराक लोगों की दी जा रही है। हालांकि इस बीच भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के वैज्ञानिकों ने कहा है कि कोरोना संक्रमण से ठीक होने वाले लोगों के लिए वैक्सीन (Corona Vaccine) की एक ही खुराक पर्याप्त है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण की वजह से इन लोगों में एंटीबॉडी विकसित होती हैं, जिन्हें न्हें कोविशील्ड वैक्सीन की एक खुराक देने के बाद बढ़ाया जा सकता है। ऐसे में कोरोना से ठीक होने वाले लोगों को दो डोज देने की जरूरत नहीं है। वैज्ञानिकों ने यह सलाह असम और जम्मू-कश्मीर के चिकित्सीय संस्थानों में अध्ययन के आधार पर दी है। बता दें कि अब तक कोविशील्ड वैक्सीन (Covishield Vaccine) को लेकर इस तरह की स्टडी पहले कभी सामने नहीं आई है।
वैक्सीनेशन में तेजी लाने में मिलेगी मदद
ICMR के वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर सरकार ने सलाह पर ध्यान देती है तो फिर वैक्सीन की कमी के बीच वैक्सीनेशन अभियान में तेजी लाई जा सकती है, क्योंकि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान देश की एक बड़ी आबादी संक्रमण की चपेट में आई है। बता दें कि विशील्ड वैक्सीन पर इस अध्ययन को ICMR के असम स्थित क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, कश्मीर के शेर-ए-कश्मीर इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और असम मेडिकल कॉलेज ने संयुक्त रूप से किया है।
मेडिकल जर्नल मेडरेक्सिव में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक, स्टडी में 121 लोगों को शामिल किया गया, जिनमें से 46 लोगों में सीरो पॉजीटिविटी पाई गई थी। जबकि अन्य में यह निगेटिव थी। दोनों ग्रुप को कोविशील्ड वैक्सीन की एक-एक खुराक दी गई, जिसके बाद 35 दिनों तक उनका फॉलोअप किया गया और फिर इन्हें दूसरी डोज भी दी गई। इसका भी अगले 35 दिनों तक फॉलोअप लिया गया।
नतीजों में सामने आया कि जिन लोगों में कोरोना के खिलाफ पहले से एंटीबॉडी (सीरो पॉजीटिविटी) थीं, उनमें वैक्सीन की एक ही खुराक लेने के बाद पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडी विकसित हो गईं। ऐसे लोगों को दूसरी खुराक लेने की आवश्यकता नहीं है। जबकि दूसरी समूह के लोगों के लिए वैक्सीन की दोनों डोज लेने की आवश्यकता पाई गई।
आईसीएमआर के वैज्ञानिक डॉ. विश्वज्योति बोरकाकोट्य के मुताबिक, वर्तमान में वैक्सीन उत्पादन की क्षमता काफी सीमित और मांग काफी ज्यादा है। ऐसी स्थिति में वैक्सीनेशन को बढ़ाने के उद्देश्य से यह अध्ययन किया गया। इस अध्ययन में 45.4 फीसदी पुरुष और 54.6 फीसदी महिलाएं शामिल थीं। हालांकि उन्होंने यह भी जानकारी दी है कि ऐसे अध्ययन को बड़े स्तर पर भी किया जाना चाहिए।
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