अमेरिका का वैक्सीन दान, भारत समेत 29 देश पाएंगे 1 करोड़ 20 लाख खुराकें
अमेरिका ने ऐलान किया है कि वह अपने पास मौजूद 8 करोड़ सरपल्स वैक्सीन खुराकों को दुनिया के अन्य देशों में बांटेगा।
Corona Vaccine: अमेरिका ने ऐलान किया है कि वह अपने पास मौजूद 8 करोड़ सरपल्स वैक्सीन खुराकों को दुनिया के अन्य देशों में बांटेगा। किसे कितनी वैक्सीन मिलेगी, इसका रोडमैप भी जारी कर दिया गया है। मिसाल के तौर पर अमेरिका ने शुरुआती ढाई करोड़ खुराकें बांटने की जो योजना पेश की है उसमें 1 करोड़ 30 लाख खुराकें 29 देशों के बीच बटेंगी। यानी औसतन 4,13,793 खुराकें प्रति देश। अब चूँकि ये डबल डोज़ वैक्सीन की खुराकें हैं तो मात्र 2,06,896 लोग ही फुल डोज़ पा सकेंगे।
क्या है ढाई करोड़ खुराकों का प्लान
बिडेन प्रशासन ने शुरुआती ढाई करोड़ खुराकों के आवंटन का रोडमैप जारी किया है। उसके अनुसार, 1 करोड़ 90 लाख खुराकें 'कोवैक्स' के खाते में जायेंगी। इनमें से 60 लाख खुराकें ब्राजील, अर्जेंटीना, कोलंबिया, कोस्टा रीका, पेरू, इक्वेडोर, पैराग्वे, बोलीविया, ग्वाटेमाला, एल सल्वाडोर, होंडुरास, पनामा, हैती, डोमिनिकन रिपब्लिक और अन्य कैरेबियन देशों को जायेंगी।
70 लाख खुराकें भारत, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, अफगानिस्तान, मालदीव, मलेशिया, फिलिपीन्स, विएतनाम, इंडोनेशिया, थाईलैंड, लाओस, पापुआ न्यू गिनी, ताइवान और पैसिफिक आइलैंड को जायेंगी। 50 लाख खुराकें अफ्रीका के देशों को भेजी जायेंगी।
कोवैक्स के बाद 60 लाख खुराकें क्षेत्रीय प्राथमिकताओं के आधार पर तथा सहयोगियों को दी जायेंगी। इन देशों में भारत, मेक्सिको, कनाडा, कोरिया, वेस्ट बैंक व गाज़ा, यूक्रेन, कोसोवो, हैती, जॉर्जिया, इजिप्ट जॉर्डन, ईराक और यमन को दी जायेंगी।
अमेरिका ने कहा है कि वह अपने पास मौजूद कुल सरपल्स वैक्सीनों में से 8 करोड़ खुराकें बांटेगा। और इसमें से 75 फीसदी खुराकें कोवैक्स के जरिये दान दी जायेंगी। बाकी 25 फीसदी वैक्सीनें उन देशों को दी जायेंगी जिनको तत्काल मदद की दरकार है।
सबसे ज्यादा खुराकें आस्ट्रा ज़ेनेका वैक्सीन की
अमेरिका जिन 8 करोड़ वैक्सीनों को दान स्वरूप दे रहा है उनमें से 6 करोड़ वैक्सीनें आस्ट्रा ज़ेनेका की हैं। बाकी 2 करोड़ खुराकें फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन की हैं। चूँकि आस्ट्रा ज़ेनेका की वैक्सीन को अमेरिका में लगाने की मंजूरी अभी तक नहीं मिली है सो सबसे ज्यादा स्टॉक उसी का बांटा जाएगा।
जिन वैक्सीनों के डेवलपमेंट में अमेरिका का पैसा लगा है लेकिन उन वैक्सीनों को एफडीए की अनुमति नहीं मिले है उनको अन्य देशों को बांटने के लिए बिडेन प्रशासन डिफेन्स प्रोडक्शन एक्ट के कुछ प्रव्धों को हटा देगा। जिन वैक्सीनों को मंजूरी नहीं मिली है उनमें आस्ट्रा ज़ेनेका, सनोफी और नोवावैक्स कंपनियां शामिल हैं।
क्या है कोवैक्स
दुनिया के तमाम जरूरतमंद मुल्कों के बीच वैक्सीन की उपलब्धता बनाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक वैश्विक साझेदारी परियोजना बनाई है जिसका नाम 'कोवैक्स' रखा गया है। कोवैक्स का गठन इसीलिए किया गया है ताकि दुनिया के तमाम देशों को वैक्सीन पारदर्शी तरीके से मुहैया कराई जा सके। एक अनुमान है कि साल 2021 के आखिरी तक कोवैक्स के पास वैक्सीन की दो अरब डोज़ होगी। कोवैक्स पूल में कम्पनियाँ और देश अपनी तरफ से धन और वैक्सीनें देते हैं और फिर इसी पूल से वैक्सीन बांटी जाती हैं। धन का इस्तेमाल कंपनियों से वैक्सीन खरीदने के लिए किया जाता है।