Corona Virus : अब हड्डियों को गला रहा कोरोना, जानें कहाँ मिले Bone Death के मामले

Corona Virus : कोरोना संक्रमितों में जानलेवा फंगल इंफेक्शन के हजारों मामले आने के बाद अब हड्डियों की बीमारी सामने आई है। एवैस्कुलर नेक्रोसिस या बोन डेथ के कम से कम 23 मामले मुम्बई और दिल्ली में आये हैं।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Sushil Shukla
Update:2021-07-07 10:09 IST

प्रतीकात्मक फोटोः साभार सोशल मीडिया

नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी मरीजों के लिए तरह तरह की मुसीबतें खड़ी कर रही है। कोरोना संक्रमितों में जानलेवा फंगल इंफेक्शन (Fungal infection) के हजारों मामले आने के बाद अब हड्डियों की बीमारी सामने आई है। एवैस्कुलर नेक्रोसिस (Avascular necrosis) या बोन डेथ (Bone Death) के कम से कम 23 मामले मुम्बई और दिल्ली में आये हैं। इस बीमारी में मरीजों की हड्डियां गलने लगती हैं।

क्या है बोन डेथ


एवैस्कुलर नेक्रोसिस से ग्रसित मरीजों की हड्डियां गलने या फिर सूखने लगती है। यह बीमारी तब होती है, जब हड्डियों में ब्लड सर्कुलेशन रुक जाता है। यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। लेकिन मुख्य रूप से यह बीमारी ऐसे स्थान पर होती है, जहां पर खून का प्रवाह तुलनात्मक रूप से कम होता है, जैसे- कूल्हों की हड्डी और जांघ के ऊपरी हिस्से की हड्डी। शुरुआती चरण में किसी तरह के लक्षण नज़र नहीं आते हैं, लेकिन जब व्यक्ति प्रभावित जोड़ पर भार डालता है, तो गंभीर दर्द हो सकता है।

स्टेरॉयड या ब्लड क्लॉटिंग

डॉक्टर अभी निश्चित नहीं हैं कि ये बीमारी क्यों हो रही है। कुछ डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना से ठीक होने के बाद मरीजों में ब्लड क्लॉटिंग की समस्या देखी जाती है। ब्लड क्लॉटिंग के कारण हड्डियों में खून का प्रवाह रुक जाए, तो वहां हड्डियों की डेथ हो सकती है। यह परेशानी कभी भी अचानक नहीं होती है, बल्कि धीरे-धीरे नसों में क्लॉट के इकट्ठे होने के कारण हड्डियों में खून का प्रवाह रुक जाता है, जिससे हड्डियों के टिश्यूज मर या फिर सूख जाते हैं।

कुछ डॉक्टर इस बीमारी के लिए स्टेरॉयड के अंधाधुंध इस्तेमाल को दोषी मानते हैं। उनका कहना है कि स्टेरॉयड हडि्डयों को कमजोर बनाता है। इससे कार्टिलेज गिरने लगता है और हडि्डयों में खून की आपूर्ति बंद हो जाती है।

क्या हैं लक्षण

बोन डेथ बीमारी के शुरुआती चरण में कोई लक्षण सामने नहीं आते, लेकिन हालत बिगड़ने पर कूल्हों, कंधों, घुटनों, हाथ और पैरों समेत शरीर में कई जगह दर्द होने लगता है। फिजियोथैरेपी, सर्जरी और दवाओं के सहारे इसका इलाज किया जा सकता है।

मुम्बई के हिंदुजा हॉस्पिटल के डॉ मयंक विजयवर्गीय ने बताया है कि ये बीमारी जानलेवा नहीं है लेकिन इससे मरीज चलने से लाचार हो सकता है। ये बीमारी लाइलाज नहीं है और शुरुआत में पता चल जाने पर पूरी तरह ठीक हो सकती है।

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी में ये बीमारी ज्यादा देखने को मिल रही है जबकि पहले ये मरीजों में देखी जाती थी जो स्टेरॉयड का ज्यादा इस्तेमाल करते थे, स्टेरॉयड लेने के साल दो साल बाद ये लक्षण आते थे। अब तो कोरोना संक्रमितों में 50 दिन के भीतर लक्षण देखे जा रहे हैं। जज्यादातर मरीज ऐसे हैं जिनको इंट्रावेनस स्टेरॉयड दिया गया था।

Tags:    

Similar News