कोरोनाः नदियों में 20 से 25 दिन जिंदा रह सकता है वायरस, फैला सकता है संक्रमण

गंगा, यमुना आदि नदियों में कोरोना से संक्रमित शवों को बहाए जाने के बाद यह सवाल प्रमुखता से उठ रहा है कि क्या नदी के पानी से संक्रमण फैल सकता है।

Written By :  Ramkrishna Vajpei
Published By :  Monika
Update:2021-05-16 13:23 IST

पानी से कोरोना फैलने का खतरा (फोटो : सोशल मीडिया )

लखनऊ: गंगा, यमुना आदि नदियों में कोरोना से संक्रमित शवों (Corona infected dead body) को बहाए जाने के बाद यह सवाल प्रमुखता से उठ रहा है कि क्या नदी के पानी से संक्रमण फैल सकता है। हालांकि चिकित्सा विशेषज्ञों (Medical experts) का दावा है कि कोरोना का वायरस पानी से शरीर में नहीं फैलता। उनका कहना है कि शरीर से निकलकर यह वायरस जब पानी में जाता है तो वहां ज्यादा सक्रिय नहीं रहता। लेकिन कई सूक्ष्म जीव विज्ञानी इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि हवा के मुकाबले कोरोना का वायरस नदी में ज्यादा समय तक जिंदा रह सकता है क्योंकि पानी में उसे अपने अनुकूल ठंडा तापमान ज्यादा समय तक मिलता है। इस चौंकाने वाले अध्ययन ने नदियों के संक्रमित होने पर तमाम आशंकाएं उत्पन्न कर दी हैं।

गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. रमेश चंद दुबे का कहना है कि कोरोना का वायरस पानी में अधिक समय तक जिंदा रह सकता है और संपर्क में आने पर मुंह नाक कान के रास्ते शरीर में प्रवेश कर सकता है।

प्रो. दुबे का कहना है कि हवा में यह वायरस या अन्य वायरस जहां तीन से पांच दिन तक जीवित रह सकते हैं वहीं नदियों के पानी में 20 से 25 दिन तक इनके जीवित रहने की संभावना है।

नदी में डुबकी लगाता व्यक्ति (फाइल फोटो : सोशल मीडिया )

नदी का तापमान हवा के मुकाबले कम 

इस रिसर्च के पीछे तर्क यह है कि नदी का तापमान हवा के मुकाबले कम होता है। जिसके चलते वायरस को अनुकूल ठंडे तापमान के साथ नमी भी मिलती है। इसलिए जिस नदी का पानी जितना ठंडा होगा उसमें कोरोना वायरस या अन्य वायरस अधिक समय तक जीवित रहेंगे।

श्री हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय के पर्यावरणविद प्रो. आरसी शर्मा का भी कहना है कि कोरोना वायरस या अन्य वायरस हवा में ज्यादा देर जिंदा नहीं रह सकते हैं क्योंकि हवा में नमी और ठंडापन कम मिलता है। जबकि पानी अनुकूल माहौल उसकी जीवन शक्ति बढ़ा देता है। प्रो. शर्मा का यह भी कहना है कि कोरोना वायरस शरीर में प्रवेश करते ही इसलिए घातक हो जाता है क्योंकि उसे मानव शरीर में ग्लूकोज पर्याप्त मात्रा में मिल जाता है जो कि उसका पसंदीदा भोजन है।

आस्था की डुबकी लगाता व्यक्ति (फाइल फोटो : सोशल मीडिया )

इन नदियों में स्नान करने से फैलेगा संक्रमण

इस शोध के मुताबिक नदी में जब लोग स्नान करेंगे तो संक्रमण अधिक फैलेगा। क्योंकि आचमन या नदी में डुबकी लगाने से इसे शरीर में प्रवेश करने का मौका मिल जाता है। इससे नदियों के पानी की सप्लाई वाले शहरों में भी संक्रमण फैलने का खतरा हो सकता है। नदी में स्नान करने से यह संक्रमण सीधा फेफड़ों पर अटैक करता है।

वैज्ञानिक अभी इस बात पर शोध कर रहे हैं कि नदी के पानी में मौजूद बैक्टीरिया फाज इस वायरस से क्यों लड़ नहीं पाया। फाज पानी को स्वच्छ बनाने का काम करता है।

हालांकि पूर्व में कुछ विशेषज्ञों ने कहा था कि इस वायरस की चपेट में आकर दम तोड़ने वाले का शव पानी में है तो उसके जरिये दूसरे लोगों तक वायरस पहुंचने का अभी तक कोई प्रमाण नहीं मिला है। इसलिए नदी में नहाने व पानी पीने से कोरोना संक्रमण होने की संभावना नहीं है। इतना जरूर है कि प्रदूषित पानी से पेट व त्वचा रोग हो सकता है।

एसजीपीजीआई के निदेशक प्रो. आरके धीमान का भी कहना है कि अभी तक पानी से वायरस के फैलाव को लेकर कोई स्टडी नहीं आई है। इतना जरूर है कि यह वायरस नाक के जरिये शरीर में प्रवेश करता है। कुछ मामलों में मुंह से भी संक्रमण के सुबूत मिले हैं। सांस लेने के दौरान नाक से वायरस के शरीर में जाने की वजह से फेफड़े में संक्रमण होता है।

शरीर में लंबे समय तक रह सकते है

केजीएमयू माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शीतल वर्मा का भी कहना है कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मौत होने पर उसके जरिये दूसरों में वायरस फैलने की आशंका रहती है। शून्य तापमान पर भी यह शरीर में जिंदा रहता है। लेकिन संक्रमित शव के पानी में होने पर यह पानी के जरिये एक जगह से दूसरी जगह तक नहीं जा सकता।

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