गांवों में स्पीड पकड़ता कोरोना, बन रहा बड़ा खतरा

गांवों की बड़ी आबादी कोरोना (CoronaVirus) से संक्रमित होती जा रही है। मौतों की खबरें आ रही हैं।

Written By :  Ramkrishna Vajpei
Published By :  Ashiki
Update:2021-05-13 15:34 IST

गांवों में स्पीड पकड़ता कोरोना (Photo-Social Media)

लखनऊ: कोरोना (CoronaVirus) खतरनाक रूप अख्तियार कर गांवों की ओर बढ़ चुका है। राहत की बात यह है कि शहरों में संक्रमित होने वाले लोगों के आंकड़े घटने शुरू हो गए हैं लेकिन अब गांवों से कोरोना (Corona in Rural India) की विभीषिका की खबरें बहुत तेजी से आ रही है। गांवों की बड़ी आबादी कोरोना से संक्रमित होती जा रही है। मौतों की खबरें आ रही हैं। इसकी एक बड़ी वजह गांवों के लोगों का इस महामारी के प्रति गंभीर न होना है। इसके अलावा गांवों में चिकित्सकीय सुविधाएं, टीकाकरण की उचित पहुंच न होना भी एक बड़ा कारण है। अकेले उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा कराय़ी गई जांच में चार लाख लोगों का संक्रमित पाया जाना बड़े खतरे की आहट है। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने योगी सरकार के कोरोना से निपटने के तरीके की तारीफ की है जिसके बेहतर नतीजे जल्द ही सामने आने लगेंगे लेकिन हाल फिलहाल मास्क और सामाजिक दूरी। संक्रमित शवों की गाइडलाइन का पालन करते हुए अंत्येष्टि किये जाने की जरूरत है।

10 फरवरी के आसपास से शुरू हुई कोरोना की दूसरी लहर ने 10 अप्रैल के बाद विकराल रूप लिया लेकिन 10 मई के बाद शहरों में इसका कहर उतार पर आता दिख रहा है। लेकिन इसके जाने में अभी दो महीने का समय शेष है। विशेषज्ञों के अनुसार इसे तीसरी लहर में बदलने से हर हालत में रोकना होगा।

छोटे शहरों और गांवों में तेजी से फैल रहा 

कड़ी पाबंदियों एवं लॉकडाउन के असर से वायरस शहर में शांत होने लगा है लेकिन उसने अपना ठिकाना बदलकर गांवों में फैलना शुरू कर दिया है। अब कोविड-19 महामारी छोटे-छोटे शहरों और गांवों में तेजी से पांव पसार रही है। जिलावार आंकड़े बताते हैं कि ज्यादातर राज्यों में अब शहरों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों से ज्यादा कोरोना केस आ रहे हैं। चिंता की बात यह है कि गांवों में अपेक्षित स्तर पर कोरोना टेस्ट हो ही नहीं रहे हैं। इस कारण कई पॉजिटिव केस सरकारी आंकड़ों में शामिल ही नहीं हो पा रहे। कोरोना वायरस के कहर से ग्रामीण इलाकों की अर्थव्यवस्था और चिकित्सा व्यवस्था लगभग चौपट हो रही है। वहां दम तोड़ने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है।

कोरोना के प्रसार वाले 24 राज्यों में 13 राज्य ऐसे हैं जहां बड़े शहरों के मुकाबले कस्बों और देहातों से ज्यादा कोरोना केस सामने आ रहे हैं। जब से कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर चली तब से लगभग सभी राज्यों से आने वाले कोरोना केस में ग्रामीण इलाकों की हिस्सेदारी बढ़ रही है।

बिहार के शहरी क्षेत्र में कोरोना केस का पीक 3,482 था जबकि ग्रामीण क्षेत्र का यह आंकड़ा 10,710 प्रतिदिन का रहा। 9 अप्रैल को यहां कुल कोरोना केस में ग्रामीण क्षेत्रों की हिस्सेदारी 53% थी जो 9 मई को बढ़कर 76% हो गई।

इसी तरह महाराष्ट्र में नौ अप्रैल को 32 फीसदी केस ग्रामीण क्षेत्रों में थे तो 51 फीसदी शहरी क्षेत्र के लेकिन 9 मई को ये डाटा उलट गया 44 फीसदी केस शहरी क्षेत्र के आए तो 56 फीसदी ग्रामीण क्षेत्रों से, इसी तरह उत्तर प्रदेश में नौ अप्रैल को 51 फीसदी मामले शहरी क्षेत्र के थे तो 49 फीसदी ग्रामीण इलाकों के लेकिन नौ मई को 65 फीसदी ग्रामीण क्षेत्र के मामले सामने आए तो शहरी क्षेत्र के घटकर 35 फीसदी रह गए।

यही हालत आंध्र प्रदेश की है राज्य में नौ अप्रैल को ग्रामीण और शहरी अनुपात 53:47 फीसद था तो नौ मई को ग्रामीण 72 और शहरी 28 हो गया। राजस्थान में कमोवेश गांव में पहले ही वायरस का प्रसार ग्रामीण 67 शहरी 33 फीसदी ज्यादा था और नौ मई को भी कुछ और बढ़ गया ग्रामीण 72 और शहरी 28 हो गया। हरियाणा में भी ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से वायरस बढ़ रहा। चंडीगढ़ में गांवों में करीब 90 फीसदी इसका प्रसार हो चुका है। मध्य प्रदेश, उड़ीसा, झारखंड, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश में वायरस लगातार ग्रामीण इलाकों में बढ़ता जा रहा है। देश के लगभग एक दर्जन ऐसे राज्य हैं जहां शहरों से ज्यादा केस आ रहे हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों की हिस्सेदारी भी लगातार बढ़ रही है। गांवों में ज्यादातर वही लोग टेस्ट करवा रहे हैं जिनमें कोरोना के गंभीर लक्षण दिख रहे हैं। सामान्य लक्षण वाले ज्यादातर लोग जांच ही नहीं करवा रहे।

कोरोना का असर किसान आंदोलन वाले पंजाब के पश्चिमी हिस्से के गांवों, हरियाणा के दिल्ली से लगे गांवों, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गांवों में ज्यादा दिख रहा है। या फिर वायरस उन गांवों में ज्यादा प्रभावी है जहां अधिक संख्या में बाहर से प्रवासी श्रमिक लौटकर आए हैं। 

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