Booster Dose in India: भारत में भी तीसरा बूस्टर डोज जरूरी, ओमिक्रॉन के तेज संक्रमण से वैज्ञानिक चिंतित

Booster Dose in India: वैज्ञानिकों का इशारा खासकर ऐसे लोगों की तरफ है जो पहले से ही कई तरह की बीमारी की जटिलताओं से जूझ रहे हैं।

Newstrack :  Network
Published By :  Monika
Update:2021-12-22 14:45 IST

वैक्सीनेशन (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Booster Dose in India: दक्षिण अफ्रीका (South Africa) से सामने आये कोविड-19 के नए रूप ओमिक्रॉन (omicron variant news today) के यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) , अमेरिका (America) , जर्मनी (Germany) और इस्राइल (Israel)  में पांव पसारने के बाद अब भारत में भी यह पांव पसारने लगा है। इस बीच देश के कई राज्यों में इसके मामले सामने आने से वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ गई है और उन्होंने देश में तीसरे बूस्टर डोज (Third Booster Dose) की जरूरत पर जोर देना शुरू कर दिया है। वैज्ञानिक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि जिन लोगों को कोविड टीके के दोनों डोज लग चुके हैं उनमें अधिकतम छह माह बाद रोग प्रतिरोधक क्षमता नीचे आने लगती है। और खतरा बढ़ने लगता है। वैज्ञानिकों का इशारा खासकर ऐसे लोगों की तरफ है जो पहले से ही कई तरह की बीमारी की जटिलताओं से जूझ रहे हैं।

आईएलबीएस दिल्ली के निदेशक डॉ एस के सरीन (Dr S K Sarin)  ने भी कहा है हमें भारत में ओमिक्रॉन के खतरे को देखते हुए बूस्टर डोज देने पर विचार करना होगा। मुझे लगता है कि स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों (health care workers) और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं को एक बूस्टर (frontline workers booster dose) मिलना चाहिए और साथ ही कुछ सह-रुग्णता वाले लोगों के लिए भी बूस्टर डोज दिया जाना चाहिए उनका आशय ऐसे लोगों से है जो पहले से ही कई तरह की बीमारियों से जूझ रहे हैं। उन्होंने विश्वास जताया है कि मुझे लगता है कि सरकार इसके बारे में सोच रही होगी।

बूस्टर एक जरूरत

डॉ एस के सरीन ने कहा है उनकी राय में, बूस्टर एक जरूरत है। इसको समझाते हुए कहा है कि जब आप किसी टीके की दो खुराकें लेते हैं तो आपका सुरक्षा स्तर, विशेष रूप से 3 से 6 महीने के बाद नीचे चला जाता है। तीसरी खुराक या बूस्टर डोज दिया जाए तो गंभीर संक्रमण, अस्पताल में भर्ती होने की संभावना कम हो जाती है।

बूस्टर खुराक पर नीति आयोग के सदस्य-स्वास्थ्य डॉ वीके पॉल ने कहा है कि ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे को देखते हुए जरूरत, समय और वैरिएंट के प्रसार को बढ़ावा देने की प्रकृति को देखते हुए कोई भी निर्णय वैज्ञानिक सोच पर आधारित होगा। यह बात स्वास्थ्यमंत्री ने संसद में भी कही है।

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