Coronavirus News: जरूरी केमिकल की कमी के चलते जीनोम सीक्वेंसिंग में कमी

Coronavirus News: जीनोम सीक्वेंसिंग से पता लगाया जाता है कि कोई व्यक्ति वायरस के किस वेरिएंट से संक्रमित है।

Newstrack :  Network
Published By :  Monika
Update:2022-01-20 17:31 IST

जीनोम सीक्वेंसिंग (photo : social media ) 

Coronavirus News: कोरोना महामारी में टेस्टिंग (coronavirus testing) और जीनोम सीक्वेंसिंग (Genome sequencing) का बहुत बड़ा महत्व है, लेकिन दोनों में ही अब भारी कमी आ गयी है। जीनोम सीक्वेंसिंग (Genome sequencing) से ही पता चलता है कि कोरोना वायरस का कौन सा वेरियंट लोगों को संक्रमित कर रहा है। लेकिन ओमीक्रान वेरिएंट के तेजी से बढ़ते प्रसार के बीच देशभर में जीनोम सीक्वेंसिंग करने वाली पांच लैब बंद होने की खबरें आ रही हैं।

जीनोम सीक्वेंसिंग से पता लगाया जाता है कि कोई व्यक्ति वायरस के किस वेरिएंट से संक्रमित है। यह साधारण कोरोना टेस्ट से अलग और जटिल प्रक्रिया होती है। बताया जाता है कि जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए जरूरी केमिकल रिएजेंट (chemical reagents) के लिए फंड नहीं आ रहा है (lack of funds) और इसके चलते लैब बंद किए गए हैं।

सरकार ने 38 लैब का एक नेटवर्क बना रखा है, जिसे सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए तैयार किया गया था। केमिकल रिएजेंट की कमी के चलते लैब बंद करने पड़े हैं। किसी भी पैथोलॉजिकल लैब टेस्ट (pathological lab test) में केमिकल रिएजेंट का इस्तेमाल किया जाता है। हर टेस्ट में अलग रिएजेंट का प्रयोग होता है। जीनोम सीक्वेंसिग में भी इसकी जरूरत होती है। चूँकि सीक्वेंसिंग की ज्यादा मांग है सो इसकी कमी पड़ रही है। 

जीनोम सीक्वेंसिंग में भारी गिरावट

पिछले महीने की तुलना में इस महीने जीनोम सीक्वेंसिंग में भारी गिरावट आई है। नवंबर में ओमीक्रान वेरिएंट (omicron variant)  के सामने आने के बाद से देश में लगभग 25,000 सैंपलों की जीनोम सीक्वेंसिंग की गई है। वहीं महामारी के बाद से अब तक कुल 1.6 लाख सैंपलों की जीनोम सीक्वेंसिंग हुई है। दिसंबर में केंद्र सरकार ने कहा था कि हर मरीज के सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग संभव नहीं है। इसलिए सिस्टमैटिक सैंपलिंग करने की जरूरत है। केंद्र की तरह राज्यों सरकारों ने भी जीनोम सीक्वेंसिंग पर ज्यादा जोर नहीं दिया था। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा था कि वायरस के वेरिएंट का पता लगाने से ज्यादा जरूरी मरीजों का इलाज करना है। कोरोना वायरस के कई वेरिएंट का पता लगाने का एकमात्र रास्ता जीनोम सीक्वेंसिंग है। यह वायरस में आ रहे बदलावों पर नजर रखने के लिए भी बेहद जरूरी है। देश में कुछ ही जगहों पर इसकी सुविधा उपलब्ध है।

सिर्फ जीनोम सीकेव्न्सिंग ही नहीं, सामान्य पीसीआर टेस्टिंग भी कम हो गयी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पात्र भेज कर ताकीद की है कि टेस्टिंग को किसी हाल में कम न किया जाया क्योंकि महामारी के प्रबंधन में टेस्टिंग सबसे बड़ा औजार है।

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