कोरोना तीसरी लहरः विलेज डिपो, रयूमर रजिस्टर व कम्युनिटी हेल्थ गार्ड की अहम भूमिका

Coronavirus की तीसरी लहर के लिए विशेषज्ञों ने सरकार को विलेज डिपो, रयूमर रजिस्टर, कम्युनिटी हेल्थ गार्ड के सुझाव दिए है।

Written By :  Ramkrishna Vajpei
Published By :  Chitra Singh
Update: 2021-05-29 10:05 GMT

कोरोना वायरस (कॉन्सेप्ट फोटो- सोशल मीडिया)

Coronavirus: कोरोना की तीसरी लहर को लेकर पहली और दूसरी लहर के अनुभवों से जनता में जागरूकता आई है, लेकिन हमें किसी भी स्तर पर ढिलाई नहीं बरतनी है ,इसलिए सरकार को ऐसा ढांचा तैयार कर लेना चाहिए, जिसमें किसी भी स्तर पर कैसी भी चूक का स्थान न रहे। इसके लिए बाढ़ के समय बनाए जाने वाले ओआरएस हाउसेज की तर्ज पर बनाएं विलेज डिपो, सीएचसी, पीएचसी पर रखे जाने वाले रयूमर रजिस्टर व कम्युनिटी हेल्थ गार्ड की पुरानी व्यवस्था को एक्टिव करने की महामारी विशेषज्ञों ने आवश्यकता जताई है।

विशेषज्ञों का कहना है कि पहले बाढ़ के समय गांवों में ओआरएस हाउसेज बनाए जाते थे ताकि बाढ़ जनित बीमारियों के फैलने पर चिकित्सा विशेषज्ञों की टीम पहुंचने तक प्राथमिक स्तर पर उपचार के प्रबंध सुनिश्चित किये जा सकें। उनका कहना है कि सरकार कोरोना संक्रमण को प्राथमिक स्तर पर चिह्नित करने और उपचार के लिए गांव-गांव में मेडिसिन के विलेज डिपो बनाए ताकि लक्षण प्रकट होने पर गांव में रहने वाले लोग निकटवर्ती आशा या एएनएम के जरिये प्राइमरी ट्रीटमेंट ले सकें और उनकी निगरानी भी हो सके।

इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम

विशेषज्ञों का कहना है कि इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम के तहत इस पर प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है। इस प्रोग्राम के तहत हेल्थ वर्कर्स को अल्पकालिक मात्र छह दिन या दो सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जा सकता है। यह प्रशिक्षण गांव में ग्राम प्रधानों और पंचायत सदस्यों को दिया जा सकता है और शहरों में नागरिक सुरक्षा संगठन के वार्डेंस को देकर उनका उपयोग किया जा सकता है।

रयूमर रजिस्टर

इसी तरह से सीएचसी व पीएचसी पर रयूमर रजिस्टर की पुरानी व्यवस्था को सक्रिय करके कोरोना संक्रमण के बारे में जानकारी जुटाई जा सकती है, जिसमें लोग बेखौफ होकर अपने क्षेत्र और गांव में संक्रमण के प्रसार की सूचना दर्ज करा सकते हैं, जिससे महामारी नियंत्रण में मदद मिलेगी, क्योंकि यह ऐसी बीमारी है, जिसे लोग प्रकट न करके छिपाना शुरू कर देते हैं।

कम्युनिटी हेल्थ गार्ड

विशेषज्ञों का कहना है कि इसी तरह कम्युनिटी हेल्थ गार्ड को एक्टिव करके कोरोना पर प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है। ग्राम पंचायत स्तर पर जन स्वास्थ्य रक्षक कोरोना महामारी को रोकने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। मध्य प्रदेश में पूर्व से प्रशिक्षित जन स्वास्थ्य रक्षक ग्रामीण क्षेत्रों में महिला बाल विकास एवं पंचायत विभाग तथा आपदा प्रबंधक के साथ मिलकर कोरोनावायरस को रोकने के लिए सक्रिय रूप से किल कोरोना अभियान के तहत घर-घर जाकर डोर टू डोर सर्वे के साथ कोविड-19 गंभीर मरीजों की पहचान कर थर्मल स्क्रीनिंग के साथ ऑक्सीजन लेवल चेक कर सर्दी खांसी बुखार वाले मरीजों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों पर भेज रहे हैं।

रोको टोको अभियान

इसके साथ रोको टोको अभियान के तहत ग्रामीणों को महामारी से बचने के उपाय बताया जा रहा है तथा कोविड टीकाकरण में जन स्वास्थ्य रक्षकों द्वारा अपनी भूमिका इस आपदा की घडी में निस्वार्थ भाव से निभाई जा रही है। कोरोना महामारी की प्रथम लहर में भी जन स्वास्थ्य रक्षकों ने प्रत्येक चेक पोस्ट पर दिन रात आठ-आठ घंटे अपनी निश्शुल्क सेवा प्रदान की थी। इसलिए कोरोना की तीसरी लहर आने से पहले ग्रामीण क्षेत्र में पूर्व से प्रशिक्षित जन स्वास्थ्य रक्षकों को उतारा जा सकता है। इससे सरकार को इस महामारी के समय में स्वास्थ्य विभाग में सपोर्ट स्टाफ कर्मचारी के रूप में निश्शुल्क सेवा कार्य करने वाले जन स्वास्थ रक्षक सहयोगी के रुप में मिल सकते हैं।

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