निजामुद्दीन मरकज: पांच वक्त की नमाज के लिए 50 लोगों को मिली अनुमति
दिल्ली HC ने रमजान के दौरान निजामुद्दीन मरकज मस्जिद में 50 लोगों को दिन में पांच वक्त की नमाज अदा करने की अनुमति दी।
नई दिल्ली: निजामुद्दीन मरकज में रमजान के महीने में नमाज पढ़ने का रास्ता कुछ पाबंदियों के साथ साफ हो गया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने रमजान के दौरान निजामुद्दीन मरकज मस्जिद में 50 लोगों को दिन में पांच वक्त की नमाज अदा करने की अनुमति दी। साथ ही अदालत ने स्पष्ट किया कि अन्य धर्म स्थल खुले हैं तो मस्जिद को भी खोलने की मंजूरी दी जानी चाहिए।
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने स्पष्ट किया कि नमाज अदा करने के लिए नामाजियों को कोरोना गाइडलाइन का कड़ाई से पालन करना होगा। साथ ही अदालत ने क्षेत्रीय थानाध्यक्ष को निर्देश दिया कि बंगला वाली मस्जिद की पहली मंजिल पर दिन में पांच वक्त की नमाज अदा करने के लिए 50 लोगों को अनुमति दें।
अदालत ने ये भी कहा कि स्थिति दिन प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है, लेकिन सभी धर्म स्थल खुले हैं, इसलिए मस्जिद को भी खोला जाना जरूरी है। अदालत ने दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) द्वारा पारित 10 अप्रैल की अधिसूचना का हवाला देते हुए कहा कि इसके तहत धर्म स्थलों, पूजा स्थलों को बंद करने का कोई निर्देश नहीं है। अदालत ने कहा कि अधिसूचना में सामाजिक, राजनीतिक, खेल, मनोरंजन, अकादमिक, सांस्कृतिक समारोह इत्यादि प्रतिबंधित है।
अन्य मंजिलों में नमाज के लिए पुलिस लेगी निर्णय
आपको बता दें कि अदालत ने यह निर्देश वक्फ बोर्ड की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया। बोर्ड के अधिवक्ता रमेश गुप्ता ने तर्क रखा कि मस्जिद की चार मंजिलों में नमाज अदा की जा सकती है। अदालत ने कहा कि तीन अन्य मंजिलों में नमाज पढ़ने की मंजूरी के लिए वे पुलिस से संपर्क कर सकते है और पुलिस अपने विवेक पर स्थिति को देखकर निर्णय लेगी।
अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया उनका मानना है कि नमाजियों को नमाज अदा करने का अधिकार है। मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी के शुरुआती दिनों के दौरान तब्लीगी जमात के आयोजन के बाद सुर्खियों में आए निजामुद्दीन मरकज को बंद कर दिया गया था। वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता ने अदालत का ध्यान अन्य धार्मिक स्थलों के खुलने व भारी भीड़ की तरफ दिलवाया था। अदालत ने इस पर केंद्र सरकार को स्पष्ट करने का निर्देश दिया था कि क्या डीडीएमए दिशा निर्देशों का सभी स्थानों पर सख्ती से पालन हो रहा है।