दवाओं व वैक्सीन में बुजुर्गों के बजाए युवाओं को मिले प्राथमिकता: दिल्ली हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने इटली का उदाहरण देते हुए कहा कि जब इटली में बेड कम पड़ने लगे तो वहां बुजुर्गों को भर्ती करना बंद कर दिया गया

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Pallavi Srivastava
Update:2021-06-02 11:55 IST

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने देश में ब्लैक फंगस के मामलों में हो रही बढ़ोतरी और इस बीमारी के इलाज की दवाई उपलब्ध न होने पर केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। ब्लैक फंगस से जुड़े मामले में केंद्र सरकार की ओर से हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दायर की गई थी मगर हाईकोर्ट ने इस रिपोर्ट पर नाखुशी जताते हुए कई सवाल खड़े कर दिए। हाईकोर्ट ने वैक्सीन की किल्लत को देखते हुए वैक्सीनेशन में प्राथमिकताएं तय करने का भी निर्देश दिया।

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि इस महामारी के कारण हमने काफी संख्या में युवाओं को खो दिया है मगर सरकार ऐसे लोगों की जिंदगी बचाने में लगी है जो अपनी जिंदगी जी चुके हैं। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि हम सीनियर सिटिजंस को प्राथमिकता न देने की बात नहीं कह रहे हैं मगर दवाओं और वैक्सीन की कमी को देखते हुए सरकार को प्राथमिकताएं तय करनी चाहिए क्योंकि बुजुर्ग देश को नहीं चलाएंगे।



केंद्र की स्टेटस रिपोर्ट को बताया अस्पष्ट

जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने ब्लैक फंगस के इलाज के लिए दवाओं के वितरण की नीति बनाने और रोगियों की प्राथमिकता तय करने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट ने वैक्सीन की उपलब्धता और दवाओं के संबंध में केंद्र सरकार की ओर से दायर स्टेटस रिपोर्ट को पूरी तरह अस्पष्ट बताया और कहा कि इस रिपोर्ट से सरकार की प्राथमिकताओं का पता नहीं चलता। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की मौजूदा नीतियों को लेकर भी फटकार लगाई। हाईकोर्ट ने कहा कि देश में दवाओं और वैक्सीन की किल्लत है और ऐसे में सरकार को अपनी प्राथमिकताएं तय करनी होंगी।


युवाओं को देनी होगी प्राथमिकता

हाईकोर्ट ने कहा कि हमें यह समझना होगा कि 80 साल के बुजुर्ग ने अपनी जिंदगी जी ली है और वे अब इस देश को आगे नहीं ले जाने वाले हैं। इसलिए हमें वैक्सीनेशन में पहले युवाओं का चुनाव करना होगा। हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि हम यह बात नहीं कह रहे हैं कि किसी का जीवन ज्यादा महत्वपूर्ण है तो किसी का कम। देश में रहने वाले हर किसी की जिंदगी महत्वपूर्ण है, लेकिन हमें कोई फैसला तो लेना ही होगा।

हाईकोर्ट ने कहा कि हमें दूसरे देशों को भी देखना चाहिए। वैक्सीन और दवाओं की दिक्कत होने पर दूसरे देशों ने भी अपनी प्राथमिकताओं में बदलाव किया है। इटली का उदाहरण देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि जब वहां बेड कम पड़ गए तो उन्होंने बुजुर्गों को भर्ती करना बंद कर दिया।


दिल्ली हाई कोर्ट ने युवाओं की वैकसीन पर दिया जोर pic(social media)


बिना तैयारी के शुरू कर दिया टीकाकरण

हाईकोर्ट ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर भी तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार ने 18 से 45 आयु वर्ग के लिए टीकाकरण अभियान का ठीक ढंग से प्रबंधन नहीं किया। कोर्ट ने कहा कि हमें देश के भविष्य यानी युवाओं को देखना होगा और पहले उन्हें बचाने की जरूरत है जबकि यहां बुजुर्गों को प्राथमिकता दी गई है। केंद्र सरकार को घेरते हुए हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि 18 साल से ऊपर वालों का टीकाकरण तो शुरू कर दिया गया है मगर सरकार यह सुनिश्चित नहीं कर सकी कि आखिर टीके की आपूर्ति कैसे की जाएगी।

बेंच ने कहा कि अगर पर्याप्त मात्रा में टीका उपलब्ध नहीं था तो ऐसी घोषणाएं नहीं की जानी चाहिए थी। हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार को कोरोना के इलाज में कारगर दवाओं, वैक्सीन और ब्लैक फंगस के इंजेक्शन को लेकर एक प्रभावी योजना तैयार करनी चाहिए ताकि लोगों की जान बचाई जा सके।

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