Jahangirpuri History सांप्रदायिक झड़प के कारण सुर्खियों में आया दिल्ली का जहांगीरपुरी इलाका, जानें इसका इतिहास-भूगोल
Jahangirpuri Violence: देश की राजधानी दिल्ली के उत्तर – पश्चिम में बसा जहांगीरपुरी वो इलाका है जहां प्रवासी लंबे समय से रहते आ रहे हैं।;
दिल्ली का जहांगीरपुरी इलाका (फोटो: सोशल मीडिया )
Jahangirpuri Violence: दिल्ली का जहांगीरपुरी ( Jahangirpuri) इलाका इन दिनों सुर्खियों में छाया हुआ है। हनुमान जयंती के मौके पर हुई भीषण सांप्रदायिक झड़प को लेकर चर्चा में आए इस इलाके के बारे में लोगों की उत्सुकता काफी बढ़ी हुई है। खासकर दिल्ली से बाहर रह रहे लोग इस इलाके के इतिहास (Jahangirpuri history) – भूगोल के बारे में जानने को लेकर काफी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। मीडिया में इसे लेकर तरह – तरह के दावे चल रहे हैं, कोई कहता यहां बांग्लादेशी मुसलमान (Bangladeshi Muslims) रहते हैं तो कोई कहता है यहां रोहिंग्या मुस्लिम (Rohingya Muslim) रहते हैं। तो आईए आज हम आपको बताते हैं कि हनुमान जयंती दंगों को लेकर विवादों में आया ये इलाका कैसे अस्तित्व में आय़ा।
जहांगीरपुरी
देश की राजधानी दिल्ली के उत्तर–पश्चिम में बसा जहांगीरपुरी वो इलाका है जहां प्रवासी लंबे समय से रहते आ रहे हैं। इसे प्रवासियों का डेरा भी कहा जाता है। जहांगीरपुरी की बसाहट ठीक वैसी ही प्रवासी कॉलोनियों की तरह है, जैसे आमतौर पर प्रवासी क्षेत्र में देखने को मिलती है, मतलब गलियां तंग, बेतरतीब मकान, सड़कों पर गंदगी का अंबार औऱ जरूरी सुविधाओं से जूझती आबादी। दिल्ली के जिस इलाके की चर्चा शायद ही कभी होती होगी, आज वो चर्चा का प्रमुख विषय बनी हुई है।
ऐसे अस्तित्व में आया जहांगीरपुरी
जहांगीरपुरी का सफर साल 1975 यानि इमरजेंसी के दौर से शुरू होता है। देश पर उस दौरान प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की नेतृत्व वाली मजबूत कांग्रेस सरकार थी और इंदिरा सरकार में सबसे ताकतवर शख्स थे उनके बेटे संजय गांधी। कहा जाता है कि उस दौरान देश की सियासत में एक पत्ता भी संजय गांधी के इशारे पर ही खड़कता था। सख्त मिजाज के माने जाने वाले संजय दिल्ली को आकर्षक शहर बनाना चाहते थे। लिहाजा उस दौरान संजय गांधी की अगुवाई में देश की राजधानी दिल्ली को नए सिरे से संवारने का काम शुरू हुआ। इस अभियान में दिल्ली के मिंटो रोड, थॉमसन रोड, गोल मार्केट, मंदिर मार्ग और चाणक्यपुरी समेत कई अहम इलाकों से झुग्गी झोपड़ियों को हटाने की कार्यवाही शुरू हुई।
झुग्गी झोपड़ियों को हटाने के बाद यहां रह रहे बेघर लोगों को बसने के लिए दिल्ली के दूसरे इलाके में जमीन दी गई। ये इलाके थे जहांगीरपुरी और मंगोलपुरी। इन लोगों को यहां बसने के लिए छोटे – छोटे जमीन के टुकड़े दिए गए थे ताकि ये लोग अपना घर बसा सके। रिपोर्टे के मुताबिक, इन्हें साढ़े बाइस गज के छोटे – छोटे जमीन के टुकड़े दिए थे।
कौन थे यहां बसने वाले प्रवासी
जहांगीरपुरी में बसन वालों को लेकर इन दिनों बहस छिड़ी हुई है। इसे लेकर कई दावे किए जा रहे हैं। लेकिन बताया जाता है 1975 के दौरान जिन लोगों को यहां छोटे – छोटे जमीन के टुकड़े आवंटित किए गए थे, वे लोग छोटे रोजगार औऱ मजदूरी से जुड़े लोग थे। इनमें से अधिकतर ऐसे लोग थे जो अपनी रोजी रोटी के लिए देश के अन्य राज्यों से देश की राजधानी दिल्ली आए थे। ऐसे लोगों में अधिकतर संख्या बिहार, यूपी, पश्चिम बंगाल और राजस्थान के लोगों की थी। इनमें हर धर्म, संप्रदाय औऱ जाति के लोग थे। सभी को तत्कालिन सरकार द्वारा जमीन मुहैया कराया गया था। यही वजह है कि यहां की आबादी मिश्रित है। यहां हिंदू – मुस्लिम के अलावा बड़ी संख्या में दलित समुदाय के लोग भी रहते हैं। सभी का घर एक दूसरे के आसपास है।
बाद के दिनों में बाहर से और लोग यहां आने लगे, जिससे यहां की आबादी में तेजी से इजाफा होने लगा। इस तरह दिल्ली का जहांगीरपुर इलाका सबसे घनी आबादी वाला क्षेत्र बन गया। यहां अधिकतर प्रवासी मजदूर, फैक्ट्रियों में कम करने वाले श्रमिक और कचरा बीनने वाले मजदूरों की संख्या है।
मुस्लिम आबादी को लेकर दावे
जहांगीरपुरी इलाके में रह रहे बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी को लेकर तरह – तरह के दावे किए जा रहे हैं। इनके बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमान होने पर राजनीति भी तेज हो गई है। सत्ताधारी आम आदमी पार्टी और विपक्षी भाजपा के बीच इसपर जमकर बयानों के तीर चल रहे हैं। बीजेपी ने तो बकायदा इसके लिए एक प्रतिनिधमंडल भेजने का ऐलान तक कर दिया है। जो जहांगीरपुरी इलाके में जाएगा और पथराव की घटना की जांच करेगा। बीजेपी ने सीएम अरविंद केजरीवाल पर इलाके में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों को बिजली पानी की सुविधा मुहैया कराने का आरोप लगाया है। जबकि आप ने पलटवार करते हुए बीजेपी पर इन्हें यहां प्रश्रय मुहैया कराने का आरोप लगाया है।
यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि जहांगीरपुरी में रहने वाले अधिकतर मुसलमान पश्चिम बंगाल से हैं। पश्चिम बंगाल के मुसलमान और बांग्लादेश के मुसलमानों की भाषा कमोबेश समान होने के कारण ये बताना मुश्किल है कि कौन बांग्लादेशी मुस्लिम है औऱ कौन पश्चिम बंगाल का। यही बात रोहिंग्या मुस्लिमों पर भी लागू होती है। उनकी मातृभाषा बांग्ला ही है। हालांकि कुछ रिपोर्टस में जरूर दावा किया गया है कि बाद के दिनों में यहां बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिम रहने के लिए आए हैं। जिसे लेकर समय – समय पर बवाल भी होता रहा है।