दिल्ली मस्जिद में गणेश जी: अब नहीं हटेंगी मूर्तियां, साकेत कोर्ट ने दिया आदेश
Ganesh Statue in Mosque: याचिकाकर्ताओं ने अदालत में नई अर्जी दायर कर मांग की थी मस्जिद परिसर से भगवान गणेश की मूर्तियों को बाहर नहीं किया जाना चाहिए।
Ganesh Statue in Mosque: नई दिल्ली. कुतुब मीनार के परिसर में मौजूद कुव्वत अल इस्लाम मस्जिद में रखी भगवान गणेश की मूर्तियों को अभी वहां से नहीं हटाया जाएगा। दिल्ली की साकेत अदालत ने इस मामले में दायर एक याचिका की सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया है। दरअसल मस्जिद परिसर के अंदर हिंदू देवी देवताओँ की पुर्नस्थापना और पूजा अर्चना के अधिकार को लेकर दायर की गई याचिका के याचिकाकर्ताओं ने अदालत में नई अर्जी दायर कर मांग की थी मस्जिद परिसर से भगवान गणेश की मूर्तियों को बाहर नहीं किया जाना चाहिए।
क्या है मामला
दरअसल नेशनल मॉन्यूमेंट अथॉरिटी (NMA) ने मूर्तियों को मस्जिद से नेशनल म्यूजियम में ट्रांसफर करने के लिए खत लिखा था। खत में एनएमए के चेयरमैन तरूण विजय ने मस्जिद परिसर में मौजूद गणेशजी की मूर्तियों को हटाने की मांग की थी। 25 मार्च को लिखे अपने खत में उन्होंने मस्जिद परिसर में दयनीय स्थिति में भगवान गणेश की मूर्तियों के रखे जाने का उल्लेख करते हुए कहा था कि वहां गणेश जी की मूर्तियां बेहद अपमानजनक स्थिति में रखी हैं। एक मूर्ति ऐसी जगह है, जहां लोगो के पैर लगते हैं, वहीं दूसरी जाली में बंद है। उन्हें वहां से हटाकर नेशनल म्यूजियम जैसी दूसरी जगह रखा जा सकता है।
वहीं इस मामले को अदालत ले जाने वाले याचिकाकर्ताओं ने कहा कि मूर्तियों को किसी दूसरी जगह पर शिफ्ट किए जाने की बजाय मस्जिद परिसर में ही इसे सम्मानजनक स्थिति में रखा जाना चाहिए। उनका कहना था कि उन्होंने इस जगह हिंदू देवी देवताओँ की पुर्नस्थापना और पूजा अर्चना के अधिकार को लेकर याचिका दायर की है। इसलिए वहां मौजूद तमाम मूर्तियां केस संपत्ति है। लिहाजा एएसआई मस्जिद परिसर से कोई मूर्ति बाहर नहीं ले जा सकता, बल्कि उसकी जिम्मेदारी है कि वो मस्जिद परिसर में ही मूर्तियों की सम्माजनक अवस्था को सुनिश्चित करे।
मंदिरों के अवशेष से बनी है कुव्वत अल इस्लाम मस्जिद
कुतुब मीनार परिसर में मौजूद कुव्वत अल इस्लाम मस्जिद में तीर्थंकर ऋषभदेव, भगवान विष्णु, गणेशजी, शिव-गौरी, सूर्य़ देवता समेत कई देवी देवताओं की मूर्तियां रखी हैं। मस्जिद के बाहर लगे एएसआई के बोर्ड में लिखा गया है कि ये मंदिर 27 हिंदू जैन मंदिरों को तोड़कर उनके अवशेषों से बनाई गई है। साकेत अदालत में इसी को लेकर एक याचिका की गई थी, जिसमें वहां हिंदू देवी देवताओं की पुर्नस्थापना और पूजा अर्चना का अधिकार दिए जाने की मांग की गई थी। इस मामले में जैन तीर्थंकर ऋषभदेव और भगवान विष्णु को याचिकाकर्ता बनाय़ा गया था।