Delhi Weather: 72 वर्षों में दिल्ली में दूसरी बार रहा सबसे गर्म अप्रैल, कई हिस्सों में पारा 46 डिग्री सेल्सियस के करीब
Delhi weather: दिल्ली ने पिछले 12 वर्षों में सबसे गर्म अप्रैल दर्ज किया है। इस साल अप्रैल में औसत अधिकतम तापमान 40.2 डिग्री सेल्सियस था, जो 2010 के बाद से सबसे अधिक है।
Delhi weather: पूरे देश में खास कर उत्तरी भारत को प्रचंड गर्मी का सामना करना पड़ रहा है। लू और गर्मी ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। देश की राजधानी दिल्ली में तो स्थितियां और भी ख़राब है। दिल्ली पहले से ही इस गर्मी की तीसरी लू की चपेट में है। सप्ताहांत के लिए भी लू की स्थिति बनी हुई है। बता दें कि दिल्ली में इस वर्ष का अप्रैल महीना बीते 12 वर्षों में सबसे गर्म रहा।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली ने पिछले 12 वर्षों में सबसे गर्म अप्रैल दर्ज किया है। इस साल अप्रैल में औसत अधिकतम तापमान 40.2 डिग्री सेल्सियस था, जो 2010 के बाद से सबसे अधिक है, जब अप्रैल महीने का औसत तापमान 40.4 डिग्री सेल्सियस था। पिछले 72 वर्षों में, 1951 से, अप्रैल में औसत अधिकतम तापमान केवल दो बार - 2010 में और अब 2022 में 40 डिग्री को पार कर गया है।
पिछले साल अप्रैल में औसत तापमान 37.3 डिग्री था। 2020, सफदरजंग मौसम वेधशाला में, जो शहर के लिए प्रतिनिधि डेटा प्रदान करता है, यह आंकड़ा और कम 35.3 डिग्री का था।
दिल्ली पहले से ही इस गर्मी की तीसरी लू की चपेट में है। शुक्रवार को सफदरजंग में अधिकतम तापमान सामान्य से पांच डिग्री अधिक 43.5 डिग्री था, जो राष्ट्रीय राजधानी में लू की स्थिति के दूसरे दिन था। शुक्रवार को दोपहर से पहले भी अधिकतम तापमान 11.30 बजे करीब 40.4 डिग्री रहा।
दिल्ली के अन्य मौसम केंद्रों ने और भी अधिक तापमान दर्ज किया। उत्तरी दिल्ली में रिज ने इस सीजन में पहली बार अधिकतम तापमान 45.7 डिग्री दर्ज किया, जबकि पूर्वी दिल्ली में सीडब्ल्यूजी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स ने गुरुवार को 46 डिग्री के तापमान को पार कर शुक्रवार को 46.4 डिग्री पर पहुंच गया। गुड़गांव में अधिकतम तापमान 45.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो इस मौसम में अब तक का सबसे अधिक तापमान है।
पिछले 72 वर्षों में, अप्रैल में सफदरजंग में सबसे कम औसत अधिकतम तापमान 1983 में 30.57 डिग्री था, जो इस साल महीने के औसत अधिकतम तापमान से लगभग दस डिग्री कम था।
सप्ताहांत के लिए भी लू की स्थिति बनी हुई है। 2 मई तक उत्तर पश्चिम भारत के अधिकतम तापमान में कोई खास बदलाव नहीं होने की संभावना है, जिसके बाद इसमें दो से तीन डिग्री की गिरावट आ सकती है।