Digital Payment: अब बिना इंटरनेट के भी मिलेगी लेनदेन की सुविधा, जानें क्या कर सकते हैं
कोरोना काल में डिजिटल पेमेंट ने भारत में बनाया नया रिकॉर्ड
Digital Payment: भारत में डिजिटल लेनदेन अब बहुत बढ़ गया है। कोरोना काल में विशेषकर इसमें तेजी आई है। सितंबर महीने में ही डिजिटल पेमेंट (Digital Payment) ने नया रिकॉर्ड बनाया है। इस दौरान साढ़े छह लाख करोड़ रुपए का ट्रांजैक्शन हुआ है। सितंबर लगातार तीसरा महीना है जब यूपीआई के जरिए 3 अरब से ज्यादा के लेनदेन हुए। यूपीआई (UPI) से भुगतान करने में सिर्फ नंबर, बैंक खाता या क्विक रिस्पॉन्स कोड को स्कैन कर तुरंत पैसे भेजे जा सकते हैं। अब ऐसी व्यवस्था बनाई जा रही है जिसमें डिजिटल पेमेंट (Digital Payment) करने या प्राप्त करने के लिए अब इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत नहीं होगी।
दरअसल, भारत में डिजिटल पेमेंट्स तेजी से बढ़ रहे हैं और मोबाइल ऐप के जरिए भी लोग छोटे-बड़े भुगतान कर रहे हैं। कई बार इंटरनेट की वजह से डिजिटल भुगतान नहीं हो पाता है। अब रिजर्व बैंक एक ऐसा सिस्टम बना रहा है जिसमें ऑफलाइन डिजिटल पेमेंट मुमकिन होंगे। यानी गांव देहात या सुदूर इलाकों में जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी कम है या उपलब्ध नहीं है, वहां भी ऑफलाइन मोड में डिजिटल लेनदेन किया जा सकेगा।
भारत में कैशलेस लेनदेन की दिशा में ये बहुत महत्वपूर्ण कदम होने जा रहा है। रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया है कि ऑफलाइन मोड में डिजिटल भुगतान की सुविधा प्रदान करने वाली इस नई तकनीक का पायलट प्रयोग सफल रहा है और संकेत मिलता है कि इस तरह के समाधान पेश करने की गुंजाइश खासकर दूरदराज के क्षेत्रों में है।
बीते साल 6 अगस्त को रिज़र्व बैंक ने नई टेक्नोलॉजी के पायलट परीक्षण करने के लिए एक योजना की घोषणा की थी। ये परीक्षण उन स्थितियों में किया गया जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी कम है या उपलब्ध नहीं है। इस परीक्षण में देखा गया कि ऑफलाइन मोड में भी खुदरा डिजिटल लेनदेन किये जा सकते हैं कि नहीं। परीक्षण के तहत सितंबर 2020 से जून 2021 तक देश के विभिन्न हिस्सों में इस योजना के तहत तीन पायलट प्रोजेक्ट्स का सफलतापूर्वक संचालन किया गया। इस दौरान 1.16 करोड़ रुपये के मूल्य के 2.41 लाख छोटे लेनदेन शामिल थे।
पायलट प्रोजेक्ट से मिले फीडबैक को देखते हुए रिज़र्व बैंक ने अब पूरे देश में ऑफलाइन मोड में खुदरा डिजिटल भुगतान करने के लिए एक सिस्टम का प्रपोजल बनाया है। भारत में कई ऐसे इलाके हैं जहां इंटरनेट की पहुंच बहुत कमजोर है या ना के बराबर है। ऐसे में यह सुविधा उन लोगों को काफी लाभ दे सकती है।