Dolo 650: बिना प्रचार अभियान के एक दवा, जो कोरोना काल में बनी डॉक्टरों और मरीजों की पहली पसंद
Dolo 650: कोवैक्सीन या कोविशील्डक वैक्सीसन की तरह डोलो-650 कोरोना के उपचार या लक्षणों के उपचार में ये दवा कोरोना मरीजों और डॉक्टरों की पहली पसंद बन गई लोगों ने डॉक्टरों के पर्चे पर या बिना पर्चे के मेडिकल स्टोरों से इसकी खूब खरीदारी की।
Dolo 650: कोरोना की पहली, दूसरी और तीसरी लहर में एक दवा सबसे कॉमन होकर उभरी। इसे बनाने वाली कंपनी के एमडी दिलीप सुराना भी हैरान हैं कि हमने कभी कोई दावा नहीं किया कोई प्रचार नहीं किया लेकिन ये दवा कैसे कोरोना का उपचार करने वाले डॉक्टरों और रोगियों की पहली पसंद बन गई। आज भी डॉक्टर पैरासिटामॉल के बजाय कोरोना के दौरान होने वाले बदन दर्द और बुखार के लिए डोलो की सलाह देते हैं। मैने लखनऊ के स्वास्थ्य विशेषज्ञ एपिडियोमॉलॉजिस्ट डा. अमित सिंह से बात की तो उन्होंने इस तीसरी लहर में भी मुझे डोलो लेने की सलाह दी।
जब पहली लहर में मुझे कोरोना हुआ था उस समय भी अस्पताल में डॉक्टरों ने मुझे डोलो दी थी। आश्चर्यजनक है कि कोवैक्सीन या कोविशील्डक वैक्सीसन की तरह डोलो-650 कोरोना के उपचार या लक्षणों के उपचार में ये दवा कोरोना मरीजों और डॉक्टरों की पहली पसंद बन गई लोगों ने डॉक्टरों के पर्चे पर या बिना पर्चे के मेडिकल स्टोरों से इसकी खूब खरीदारी की। जबकि यह दवा सिर्फ बुखार और बदन दर्द में दी जाती है।
कंपनी के चेयरमैन और एमडी दिलीप सुराना का कहना है कि वो खुद इस बात से चकित हैं।वह मानते हैं कि इसका कॉम्बिनेशन पैरासिटामोल दवा जैसा है। लेकिन उन्होंने डोलो-650 के लिए कभी कोई प्रचार कैम्पेन नहीं छेड़ा लेकिन जब इसकी अंधाधुंध बिक्री शुरू हुई तो उन्हें इसकी सप्लाई बढ़ाने में दिक्कत आई। लेकिन इससे उन्हें अपनी जिम्मेीदारी का अहसास हुआ और उन्होंने बिजनेस पर अधिक ध्या।न दिया।
देश में लगभग हर कोरोना मरीज को डोलो-650 लिखी जाती है। इस दवा के जबर्दस्त असर ने इसे लोकप्रिय बनाया। और सिर्फ माउथ पब्लसिटी के जरिये लोगों ने इसके फायदे को अपनों से साझा किया। यह दवा पैरासिटामॉल से एक क्लास आगे की दवा है।
जब लोग क्वांरंटीन थे, डॉक्टंर सीधे मरीजों को नहीं देख पा रहे थे उस समय डोलो-650 जमकर काम आई और लोगों को आराम मिला। और एक से दूसरे तक होते हुए सोशल मीडिया के जरिये ये दवा करोड़ों लोगों तक पहुंच गई।