भारत की योग भूमि से आएगी दुनिया में स्थिरता व शांति: डॉ अशोक

Yoga Day : डॉ अशोक वार्ष्णेय ने कहा योग का उपयोग अगर पूरा विश्व करे तो दुनिया की बहुत सी समस्याएं सुलझ सकती हैं।

Newstrack :  Network
Published By :  Shraddha
Update: 2021-06-21 05:12 GMT

राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ अशोक वार्ष्णेय (फाइल फोटो - सोशल मीडिया)

Yoga Day : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (volunteer union) के वरिष्ठ प्रचारक व आरोग्य भारती (Arogya Bharti) के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ अशोक वार्ष्णेय (Dr. Ashok Varshney) ने कहा है कि योग का उपयोग अगर पूरा विश्व करे तो दुनिया की बहुत सी समस्याएं सुलझ सकती हैं। कम से कम 83 फ़ीसदी रोगों से बच जाएंगे और दुनिया भर में होने वाले सैन्य व सुरक्षा खर्चे तथा चिकित्सा खर्चों में भारी कमी स्वयमेव आ जाएगी। हर देश का हेल्प व हैप्पीनेस इंडेक्स बहुत अच्छा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत व तिब्बत की योग की भूमि के आपसी समन्वय से ही दुनिया में शांति व स्थिरता आएगी। विश्व योग दिवस (International Yoga Day) की पूर्व संध्या पर "योग: भारत का विश्व को उपहार" विषय पर भारत-तिब्बत समन्वय संघ" बीटीएसएस द्वारा आयोजित वेबिनार में कोयंबटूर से डॉ अशोक बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।

वेबिनार में बेंगलुरु से अतिथि-वक्ता व तिब्बती चिकित्सा पद्धति के अंतरराष्ट्रीय ख्याति के चिकित्सक डॉ दोरजी रैपटन ने कहा कि कोविड-19 युग में मानवता पर संकट है। केवल शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक व भावनात्मक उपचार देने की भी जरूरत पड़ रही है। तिब्बती पद्धति में नाड़ी, वात व मस्तिष्क को स्वस्थ करने की विधि अपनाई जाती है। हमें मनुष्य का उपचार करने के पहले उसमें सकारात्मक प्रेरणा देनी होती है और यह केवल योग से ही संभव है इसलिए योग का सम्मान करिए और इसे नित्य करिए। इससे बहुत बड़ी-बड़ी समस्याएं खत्म होती हैं। उन्होंने कहा कि शरीर व मन को पवित्र करने का साधन योग है।

हरिद्वार के पतंजलि विश्वविद्यालय के स्वामी परमार्थ देव ने अपने उद्बोधन में कहा कि योग के प्रयोग से आत्मबल, मनोबल, समाज बल व राष्ट्र बल मिलना संभव हो जाता है। योग से आत्मविश्वास ही नहीं आता बल्कि हर समस्या का समाधान है। उन्होंने कहा कि धरातल पर भले ही भारत और तिब्बत की अलग-अलग सीमा दिखती हो लेकिन वास्तव में दोनों तपोभूमि है। यहां से उपजे योग से मानवता का कल्याण होगा। योगी ही उपयोगी, सहयोगी व उद्योगी होता है।

देश के लोकप्रिय हनुमत कथावाचक व संघ के राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य संत अरविंद भाई ओझा ने अपने ओजस्वी भाषण में कहा कि आज गंगा दशहरा है। मां गंगा के अवतरण के आज पावन दिवस पर हम सब यह संकल्प लें कि जिस प्रकार से सोवियत संघ खंडित हुआ, बर्लिन की दीवार टूटी, उसी तरह से चीन के चंगुल से तिब्बत को मुक्त कराने के भाव में जुड़ना है, देखिएगा सफलता शीघ्र मिलेगी। उन्होंने कहा कि तिब्बत सृष्टि का पहला देश है और भारत सृष्टि का वह देश, जहां भगवानों ने स्वयं अवतार लिया। तिब्बत की स्वतंत्रता के लिए भारत को काम करना होगा क्योंकि आपस में दोनों के सांस्कृतिक राष्ट्रभाव हैं। उन्होंने कहा कि तिब्बतियों के लिए शरणार्थी शब्द कहना बंद करें। यह हमारे भाई हैं इनको परिवार के सदस्य के रूप में स्वीकारिये। उन्होंने कहा कि तिब्बतियों को तिब्बती नागरिकता के साथ-साथ भारत की नागरिकता भी दी जानी चाहिए।

तिब्बत सरकार के प्रतिनिधि जिग्मे सुल्ट्रीम ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि तिब्बती संस्कृति भारत की संस्कृति का ही प्रसार है और यही कारण है कि चिकित्सा में तिब्बती पद्धति के चिकित्सकों द्वारा लाभ भारतीयों को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि आज भले ही लोग शरणार्थी दिवस मनाते हों लेकिन हमारे लिए राजनीतिक स्वतंत्रता की अधिक आवश्यकता है। उन्होंने भारत-तिब्बत समन्वय संघ का अभिनंदन करते हुए कहा कि ऐसे ही संगठनों के प्रचार-प्रसार की वजह से चीन का मुखौटा उतर रहा है। इस वेबिनार में गूगल मीट पर कुल ढाई सौ से ज्यादा प्रतिनिधि जुड़े। जिसमें संघ के वरिष्ठ पदाधिकारीगण भी थे। संचालन हरिद्वार उत्तराखंड प्रांत के महामंत्री मनोज गहतोड़ी ने व समन्वय लखनऊ से राष्ट्रीय संयोजक प्रचार आशुतोष गुप्ता ने किया।

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