क्या सामाजिक न्याय मंत्रालय की सिफ़ारिश दे पायेगी आर्यन खान को राहत
भारत में मादक पदार्थ रखना दंडनीय अपराध है । एनडीपीएस अधिनियम की धारा 27 में मादक पदार्थ के इस्तेमाल के लिए एक साल तक की कैद या 20,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
नई दिल्ली : किसी व्यक्ति के पास बहुत कम मात्रा में ड्रग्स मिलने पर उसे जेल भेजने की बजाए नशा मुक्ति केंद्र में भेजना चाहिए। यह सिफारिश की है सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने। मंत्रालय की सिफारिश है कि एनडीपीएस एक्ट में बदलाव करके निजी इस्तेमाल के लिए कम मात्रा में मादक पदार्थ रखने को अपराध की श्रेणी से हटा दिया जाए।
मंत्रालय ने एक्ट की अपनी समीक्षा राजस्व विभाग को सौंप दी है। अभी एनडीपीएस एक्ट में किसी तरह की राहत या छूट का कोई प्रावधान नहीं है। बताया जाता है कि मंत्रालय ने सुझाव दिया है कि निजी इस्तेमाल के लिए कम मात्रा में नशीले पदार्थ के साथ पकड़े जाने पर व्यक्ति को जेल भेजे जाने के बजाय सरकारी केंद्रों में अनिवार्य उपचार के लिए भेजा जाना चाहिए।
मादक पदार्थ रखना दंडनीय अपराध
भारत में मादक पदार्थ रखना दंडनीय अपराध है । एनडीपीएस अधिनियम की धारा 27 में मादक पदार्थ के इस्तेमाल के लिए एक साल तक की कैद या 20,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। अभिनेता शाह रुख खान के बेटे आर्यन खान को इसी धारा के तहत गिरफ्तार किया गया है। इस धारा में लती, पहली बार के यूजर या मौज मस्ती के लिए ड्रग का प्रयोग करने वालों में कोई भेद नहीं किया गया है। इसी प्रावधान में बदलाव की बात की जा रही है।
मंत्रालय का कहना है कि ड्रग्स का इस्तेमाल करने वालों या उसके लती लोगों को पीड़ित माना जाना चाहिए। एनडीपीएस एक्ट में ड्रग्स की मात्रा के बारे में कहा गया है कि वह केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित होगी। मिसाल के तौर पर अभी गांजे की लिमिट 100 ग्राम और कोकीन की लिमिट 2 ग्राम है।
राजस्व विभाग ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, सीबीआई, विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से कहा था कि वे एनडीपीएस एक्ट में बदलाव के लिए सुझाव दें। फ्रांस, अमेरिका समेत कई देशों में इस तरह के कानूनी बदलाव आए हैं और ड्रग्स इस्तेमाल तथा ड्रग्स रखने के बारे में सजा के प्रावधान में परिवर्तन किया गया है।