Facebook पर क्या आपका अकाउंट एक्स चेक है, वीआईपी यूजर्स के लिए फेसबुक का अलग है सिस्टम
फेसबुक सोशल मीडिया का ऐसा प्लेटफार्म है, जहां अपनी बात रखने का सबको समान अधिकार मिला हुआ है।
नई दिल्ली: फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने सार्वजानिक रूप से कहा है कि फेसबुक पर उसके तीन अरब यूजर्स को किसी भी मसले पर बोलने का बराबर का अधिकार है, फेसबुक के लिए सब बराबर हैं। फेसबुक पर सबके लिए मानक एक समान हैं भले ही किसी का कोई भी स्टेट्स हो। यह तो हुई कहने वाली बात, लेकिन सच्चाई यह है कि फेसबुक ने एक ऐसा तंत्र विकसित कर रखा है जिसके अंतर्गत हाई प्रोफाइल लोगों को बहुत ढील और छूट मिली हुई है। यानी फेसबुक भी लोगों को उनके स्टेट्स के हिसाब से तौलता है। किसी सामान्य यूजर की पोस्ट हटा दी जायेगी लेकिन किसी वीआईपी की आपत्तिजनक पोस्ट चलती रहेगी।
वाल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, जुकरबर्ग की कंपनी ने 'क्रॉस चेक' या 'एक्स चेक' नाम से एक तंत्र बनाया हुआ है जिसके तहत इन्स्टाग्राम और फेसबुक के वीआईपी यूजरों के लिए स्पेशल नियम कायदे हैं।
आमतौर पर होता यह है कि फेसबुक की आर्टिफीशीयल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी या कंटेंट की निगरानी करने वाली टीम के लोग कम्पनी के नियमों का उल्लंघन करने वाली पोस्ट को हटा देते हैं। ऐसा आम जनता के साथ होता है। लेकिन 'एक्स चेक प्रोग्राम' वाले यूजरों का कंटेंट स्वतः हटता नहीं है। वह फेसबुक या इन्स्टाग्राम पर बना रहता है । फिर एक अलग निगरानी सिस्टम में चला जाता है। इस अलग निगरानी तंत्र को बेहतर ढंग से प्रशिक्षित मॉडरेटर चलाते हैं ।ये सब कंपनी के फुल टाइम कर्मचारी होते हैं। जबकि आम जनता के कंटेंट की निगरानी का काम आमतौर पर आउटसोर्स कंपनी द्वारा किया जाता है।
वाल स्ट्रीट जर्नल ने फेसबुक कंपनी के आन्तरिक दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा है कि वर्ष 2020 में फेसबुक के वीआईपी यूजरों की संख्या 58 लाख थी। इनमें फ़ुटबाल का इंटरनेशनल स्टार खिलाड़ी नेमार शामिल है। 2019 में नेमार ने अपने फेसबुक अकाउंट में एक ऐसी महिला की नग्न फोटो पोस्ट की थीं जिसने नेमार पर रेप का आरोप लगाया हुआ था। सामान्यतः इस तरह का कंटेंट फेसबुक से तुरंत हटा दिया जाता है । लेकिन 'एक्स चेक प्रोग्राम' ने नेमार के अकाउंट को बचाए रखा। फेसबुक के मॉडरेटरों को ये पोस्ट तत्काल हटाने से ब्लॉक भी कर दिया। रिपोर्ट के अनुसार नेमार की इस पोस्ट को फेसबुक और इन्स्टाग्राम पर 5 करोड़ 60 लाख लोगों ने देखा।
रिपोर्ट में बताया गया है कि वीआईपी एकाउंट्स में डाली गयी झूठी यानी फेक खबरों या जानकारियों को भी चलने दिया गया है। फेसबुक ने अपनी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए एक ओवरसाइट बोर्ड बना रखा है जिसका काम किसी भी गड़बड़ी को रोकना और गलतियों को सुधारना है। लेकिन उस बोर्ड को भी सही सही जानकारियां नहीं दी गयी हैं।
बहरहाल, मार्क जुकरबर्ग ने 2018 में ही स्वीकारा था कि फेसबुक पर कंटेंट को हटाने सम्बन्धी 10 फीसदी फैसले गलत होते हैं। फेसबुक पर जब कोई कंटेंट हटाया जाता है तो आमतौर पर यूजर को इसका कारण नहीं बताया जाता है और न ही यूजर को अपील करने का कोई अवसर दिया जाता है। लेकिन एक्स चेक वाले यूजरों के लिए अलग व्यवस्था चलती है। बताया जाता है कि फेसबुक ने अलग सिस्टम इसलिए बनाया क्योंकि वीआईपी यूजरों के कंटेंट पर कभी कभी गलत निर्णय लिए जाने से कंपनी की फजीहत हो जाती है। एक्स चेक सिस्टम में किसी यूजर को जोड़ने का काम फेसबुक के कर्मचारी कर सकते हैं। 2019 के एक ऑडिट में पता चला था कि वीआईपी यूजरों के एकाउंट्स को देखने के लिए कम से कम 45 टीमें लगी हुईं थीं। यूजरों को भी नहीं पता चलता कि उनको स्पेशल ट्रीटमेंट मिल रहा है। ये सब परदे के पीछे चलता रहता है।
तो अब आपको इन्स्टाग्राम या फेसबुक पर किसी हाई प्रोफाइल यूजर कि किसी पोस्ट या कंटेंट पर हैरानी हो वह कंटेंट क्यों चल रहा है तो समझ लीजिएगा कि मामला एक्स चेक प्रोग्राम का है जहाँ जनता अलग है और वीआईपी अलग हैं।