Farmers Black Day: गाजीपुर बॉर्डर पर उग्र हुए किसान, पुलिस से हुई झड़प
Farmers Black Day: गाजीपुर बॉर्डर पर काला दिवस मनाने के दौरान किसान उग्र हो गए और इस दौरान उनकी पुलिस से झड़प भी हो गई।
Farmers Black Day Protest: केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की अलग अलग सीमाओं पर किसान बीते 6 महीने से प्रदर्शन (Farmers Protest) कर रहे हैं। आज इस आंदोलन के पूरे छह महीने पूरे हो चुके हैं। जिसे किसान काला दिवस (Black Day) के तौर पर मना रहे हैं। इस बीच गाजीपुर बॉर्डर (Ghazipur Border) से बड़ी खबर सामने आ रही है। सीमा पर पर काला दिवस मनाने के दौरान बड़ा हंगामा देखने को मिला।
गाजीपुर बॉर्डर काला दिवस मनाने के दौरान किसान उग्र हो गए और हंगामा करने लगे। कोरोना वायरस प्रोटकॉल (Corona Protocol) की धज्जियां उड़ाते हुए किसान हंगामा करने लगे। जिसके कुछ वीडियो और फोटो भी सामने आए हैं। वहीं इस बारे में जब किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) से सवाल किया गया तो उन्होंने साफ कह दिया कि जो करना है कर लो।
किसानों और पुलिस के बीच हुई झड़प
सीमा पर भारी संख्या में किसान एक पुतला जलाते देखे गए। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में देखा जा सकता है कि किस तरह मौके पर जमा किसान पूतला को जलाने के लिए ले जा रहे हैं। इस वक्त पुलिस उन्हें रोकने की कोशिश भी कर रही थी। जिसके चलते पुलिस और किसानों के बीच झड़प भी हो गई। लेकिन किसानों ने पुतला फूंक दिया है।
पहले से ही कोरोना वायरस महामारी के बीच किसानों का प्रदर्शन जारी है। आंदोलन को लेकर किसान नेता टिकैत हमेशा कहते रहे हैं कि जब तक किसान कानून वापस नहीं ले लेती तब तक कोरोना प्रोटोकॉल के साथ प्रदर्शन जारी रहेगा। हालांकि आज किसी भी तरह से कोरोना नियमों का पालन होता नहीं दिखा दिया।
देखें वीडियो-
आंदोलन में कोरोना की एंट्री
किसानों का कहा गया था कि जो जहां पर हैं वहीं से ब्लैक डे मनाएं, लेकिन गाजीपुर बॉर्डर पर धीरे धीरे किसानों की भीड़ जुटने लगी और इसके बाद उन्होंने हंगामा करना शुरू कर दिया। आपको बता दें कि कोरोना वायरस संक्रमण की किसान आंदोलन में एंट्री हो चुकी है। लेकिन महामारी से बेखौफ किसानों ने सीमा पर जमकर हंगामा किया।
26 नवंबर से जारी है किसानों का प्रदर्शन
गौरतलब है कि नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांगों को लेकर किसान संगठन 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इस आंदोलन में कई रंग भी देखने को मिले। चाहे वो किसानों द्वारा भारत बंद हो या 26 जनवरी के दिन ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा, इनको कभी नहीं भूलाया जा सकता। प्रदर्शन को खत्म करने और कानून में बदलाव करने को लेकर सरकार और किसानों की जितनी भी वार्ताएं हुईं, सभी असफल रहीं।
कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि जब तक केंद्र द्वारा यह तीनों कानून वापस नहीं ले लिए जाते तब तक वो अपना आंदोलन खत्म नहीं करेंगे। जबकि केंद्र का कहना है कि कृषि कानूनों को निरस्त नहीं किया जाएगा, बल्कि इसमें कुछ बदलाव किए जा सकते हैं।
22 जनवरी से नहीं हुई वार्ता
आपको बता दें कि बीते कुछ महीनों से सरकार और किसान के बीच कोई वार्ता भी नहीं हुई है। इससे पहले जितनी भी दौर की बातचीत हुई हैं, वो बेनतीजा रहीं। केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक 11 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन कृषि कानूनों पर गतिरोध खत्म नहीं हुआ है। सरकार व किसानों के बीच आखिरी दौर की बातचीत 22 जनवरी को हुई थी और उसके बाद से बातचीत का रास्ता बंद पड़ा हुआ है। हालांकि अब संयुक्त किसान मोर्चा ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बातचीत फिर से शुरू करने की पहलकदमी करने की अपील की है।