फारूक ने किया कश्मीर में अगली सरकार बनाने का दावा, नेशनल कांफ्रेंस के रुख में बदलाव का संकेत
नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला ने पार्टी के 2018 का पंचायत चुनाव न लड़ने पर अफसोस जताया है।
नई दिल्ली: नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला ने पार्टी के 2018 का पंचायत चुनाव न लड़ने पर अफसोस जताया है। इसके साथ ही उन्होंने बड़ा दावा करते हुए कहा है कि जम्मू कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को ही जीत हासिल होगी और पार्टी सरकार बनाने में कामयाब होगी।
फारूक अब्दुल्ला के इस बयान को नेशनल कांफ्रेंस के रुख में बड़े बदलाव का संकेत माना जा रहा है। नेशनल कांफ्रेंस ने 2018 में हुए पंचायत चुनावों का बहिष्कार किया था। जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त किए जाने के बाद खंड विकास परिषद का चुनाव भी कराया गया था। मगर पार्टी ने इस चुनाव में भी हिस्सा नहीं लिया था। अगले विधानसभा चुनावों के लिए राज्य में परिसीमन का काम चल रहा है। इसे लेकर भी पार्टी विरोध जताती रही है। ऐसे में फारूक अब्दुल्ला की ओर से अगले विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
पंचायत चुनावों में हिस्सा न लेने का अफसोस
श्रीनगर में आयोजित एक समारोह के बाद मीडिया की ओर से आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों के संबंध में पूछे जाने पर फारूक अब्दुल्ला ने स्पष्ट तौर पर कहा कि हमारी पार्टी विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही है। हम इस चुनाव के दौरान बेहतर प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने दावा किया कि यदि निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव कराए गए तो निश्चित रूप से नेशनल कांफ्रेंस जम्मू-कश्मीर की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी और सरकार बनाने में कामयाब होगी।
इससे पूर्व संसदीय राज्य संस्थाओं को मजबूत करने के लिए आयोजित संसदीय संपर्क कार्यक्रम में नेशनल कांफ्रेंस के मुखिया ने कहा कि मुझे अपनी पार्टी के पंचायत चुनावों में हिस्सा न लेने का अफसोस है। अब हमें लगता है कि पार्टी को पंचायत चुनाव में हिस्सा लेना चाहिए था। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि जल्द ही जम्मू-कश्मीर में सरकार का गठन होगा। इसके बाद जनता के प्रति अधिकारियों की जवाबदेही भी तय की जाएगी।
घाटी में नहीं खत्म हुआ आतंकवाद
घाटी में आतंकवाद के मुद्दे पर फारूक ने कहा कि अभी भी आतंकवाद का अंत नहीं हुआ है। हम सभी घाटी में आतंकवाद झेल रहे हैं। भगवान ही इस बात का जवाब दे सकते हैं कि भविष्य में क्या होने वाला है। उन्होंने पंचायत सदस्यों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने पर जोर दिया। कहा कि पंचायत सदस्य ही आतंकियों के सबसे पहले निशाने पर होते हैं।
उन्होंने कहा कि आतंकवादी राजनीति करने वाले हर व्यक्ति को निशाना बनाने की कोशिश करते हैं। राष्ट्र के साथ खड़े होने वाले हर व्यक्ति को ऐसे हालात से जूझना पड़ता है। उन्होंने कहा कि हमारी इच्छा शक्ति ही विभिन्नताओं के बावजूद हमें एकजुट बनाए रखती है। देश के सभी लोगों को अपनी विभिन्नताओं को बचाए रखने की जरुरत है।
अफसरों के रवैये पर जताई नाराजगी
उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं से जुड़े सदस्यों को भी अपने रुख में बदलाव लाना चाहिए । लोगों की समस्याओं का निवारण करना चाहिए। उन्हें नौकरशाहों की तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए। अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में अधिकारियों के रवैये पर तीखी प्रतिक्रिया जताई। उन्होंने समारोह में मौजूद उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से अनुरोध किया कि वे अधिकारियों को जनता की समस्याएं सुलझाने का आदेश दें।
उन्होंने कहा कि घाटी में ऐसी शिकायतें आम हैं कि अफसर अक्सर जनता के फोन नहीं उठाते। उन्होंने उम्मीद जताई है कि जल्दी ही ऐसी सरकार का गठन होगा जो अफसरों को जवाबदेह बनाएगी। उन्होंने अफसरों पर निशाना साधते हुए यह भी कहा कि वे खुद को बादशाह समझने लगते हैं जबकि असलियत में वे जनता के सेवक हैं।
हालात में सुधार का लोग करें मूल्यांकन
मीडिया से बातचीत के दौरान नेशनल कांफ्रेंस के नेता ने कहा कि 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद हालात में कितना सुधार हुआ है। इसका मूल्यांकन मीडिया और उन लोगों को करना चाहिए जो इस बात का दावा किया करते थे कि जम्मू-कश्मीर में जल्द ही काफी कुछ बदल जाएगा। उन्होंने कहा कि इस बात को खुद ही देखना होगा कि हमारी स्थिति में क्या बदलाव आया है। अगर मैं इस संबंध में अपनी राय रखूंगा तो भाजपा के लोग कहने लगेंगे कि विपक्ष में होने के कारण मैंने उन्हें निशाना बनाना शुरू कर दिया है। इसलिए लोगों को खुद फैसला करना होगा कि राज्य में क्या बदलाव हुआ है और क्या नहीं।
तालिबान के कब्जे का दिखेगा असर
उन्होंने अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे का जिक्र करते हुए कहा कि निश्चित रूप से वहां पर बदलाव का असर दिखेगा। मुझे अभी नहीं पता कि तालिबान के सत्ता में आने से किस देश पर सबसे अधिक असर पड़ेगा, लेकिन इतना तो तय है कि पूरी दुनिया में इसका असर जरूर दिखेगा। उन्होंने पंचायत सदस्यों की सुरक्षा मजबूत करने पर भी जोर दिया और कहा कि हाल के दिनों में आतंकियों ने कई पंचायत सदस्यों को निशाना बनाया है। इसलिए उनकी सुरक्षा पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
पार्टी का रुख बदलने का संकेत
नेशनल कांफ्रेंस के मुखिया की ओर से अगला विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा को पार्टी के रुख में बड़े बदलाव का संकेत माना जा रहा है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री की ओर से जम्मू-कश्मीर के नेताओं की सर्वदलीय बैठक में नेशनल कांफ्रेंस ने भी हिस्सा लिया था। मगर पार्टी की ओर से अनुच्छेद 370 को समाप्त किए जाने पर विरोध जताया गया था। पार्टी का कहना था कि पहले डिलिमिटेशन, फिर राज्य का दर्जा और फिर उसके बाद चुनाव कराया जाना चाहिए। पार्टी का यह भी कहना था कि चुनाव कराना हो तो सबसे पहले राज्य का दर्जा लौटाया जाना चाहिए।
डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला की ओर से दिए गए बयान में पूर्ण राज्य के दर्जे की कोई बात नहीं कही गई है। उन्होंने सिर्फ यही दावा किया कि राज्य में अगले विधानसभा चुनाव के दौरान नेशनल कॉन्फ्रेंस चुनाव जीतने और सरकार बनाने में कामयाब होगी। ऐसे में फारूक के बयान को पार्टी का रुख बदलने का संकेत माना जा रहा है।