Gandhi Jayanti: गांधी पर गहरी छाप डाली थी गोखले, रायचंद भाई और टॉलस्टॉय ने

Gandhi Jayanti: आइए जानते है गांधी जयंती पर बापू के उन विचारों के बारे में, जिससे लियो टॉलस्टॉय, गोपाल कृष्ण गोखले से लेकर रायचंद भाई को प्रभावित हुए थे।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Chitra Singh
Update: 2021-10-02 08:27 GMT

गांधी- रायचंदभाई - गोखले- टॉल्स्टॉय (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

Gandhi Jayanti: गांधी को महात्मा बनाने में कई महान विभूतियों और पुस्तकों का भी हाथ रहा है। गांधी के विचार कई लोगों के व्यक्तित्व और उनके लेखन से प्रभावित हुए थे, जिनमें लियो टॉलस्टॉय, गोपाल कृष्ण गोखले से लेकर रायचंद भाई शामिल हैं। गाँधी जी ने अपनी आत्मकथा (Gandhi ki Atmakatha) में इन विभूतियों के बारे में लिखा है। गांधी जी ने लिखा है कि किस तरह उनके जीवन और विचारों (Gandhi ke Vichar in hindi) पर इन शख्सियतों का गहरा प्रभाव पड़ा था।

रायचंद भाई

गांधी की मुलाकात 1891 में श्री राजचंद्र या रायचंद भाई से हुई थी। वे उनके शास्त्रों के ज्ञान और गहरी समझ से बहुत प्रभावित हुए थे, जिसका ज़िक्र उनकी आत्मकथा सत्य के प्रयोग में भी मिलता है।

राजचंद्र को कई लोग जैनों का 25वाँ तीर्थंकर कहते थे, वर्धमान महावीर जैनों के 24वें तीर्थंकर थे. गांधी उनसे अध्यात्मिक विषयों पर लगातार विचार-विमर्श करते रहते थे और उनसे बहुत प्रभावित थे। श्रीमद राजचंद्र उम्र में गांधी से दो ही वर्ष बड़े थे।

गांधी- रायचंद भाई (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

गांधी ने लिखा है कि उनके अध्यात्मिक जीवन पर जिन लोगों ने सबसे अधिक असर डाला है , उनमें श्रीमद राजचंद्र अग्रणी थे, जिन्हें गांधी प्यार से रायचंद भाई कहते थे। अपने अफ्रीका प्रवास के दौरान गांधी सभी अंगरेज़ी जानने वालों को टॉल्सटॉय की किताबें और गुजराती भाइयों को रायचंद भाई की आत्म सिद्धि पढ़ने की सलाह देते थे। श्री राजचंद्र के बारे में कहा जाता है कि उन्हें अपने पिछले कई जन्मों की बातें याद थीं। उनकी स्मरण शक्ति बहुत तेज़ थी. लेकिन वे परंपरागत जैन धर्म के मुनि के तौर पर नहीं बल्कि आत्म-साक्षात्कार का ज्ञान देने वाले संत के रूप में जाने जाते हैं।

गोपाल कृष्ण गोखले

गांधी के जीवन पर गोपाल कृष्णा गोखले का भी गहरा प्रभाव रहा है। गाँधी ने अपनी आत्मकथा में सात अध्याय सिर्फ गोखले को समर्पित किये हैं। जब गाँधी 1915 में साउथ अफ्रिका से भारत लौटे तब उन्होंने गोखले को अपना गाइड माना था। गाँधी ने लिखा है - मुझे भारत में एक पूर्ण सत्यवादी आदर्श पुरूष की तलाश थी। वह आदर्श पुरूष मुझे गोखले की रूप में मिला. उनके ह्रदय में भारत के प्रति सच्चा प्रेम और वास्तविक श्रद्धा थी. वे देश की सेवा करने के लिए अपने सारे सुखो और स्वार्थ से परे रहे।

गोपाल कृष्ण गोखले-गांधी (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

गाँधी जी ने गोखले को अपना राजनैतिक गुरु मान लिया था। गाँधी जी कहते थे, "गोखले उस गंगा का प्रतिरूप है, जो अपने ह्रदय स्थल पर सबको आमंत्रित करती रहती है और जिस पर नाव खेने पर उसे सुख की अनुभूति होती है। गाँधी जी ने गोखले से स्वराज प्राप्ति का तरीका सीखा। गोखले भी गाँधी जी की सादगी और दृढ़ता से बहुत प्रभावित हुए और उन्हें बड़े भाई सा आदर देने लगे।

लियो टॉलस्टॉय

गाँधी को प्रभावित करने वालों में रूसी लेखक और चिन्तक लियो टॉलस्टॉय का अभी हाथ रहा है। टॉलस्टॉय की अवधारणा थी कि 'ईश्वर तुम्हारे अन्दर है' और इस अवधारणा का गांधी के चिंतन पर गहरा प्रभाव पड़ा। गाँधी ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि टॉलस्टॉय की इस अवधारणा ने उनपर सताए प्रभाव डाला। गाँधी जी के शब्दों में, टॉलस्टॉय की बात ने उनके संदेहों का निराकरण किया था। अहिंसक प्रतिरोध के प्रति गाँधी जी की प्रतिबद्धता पर टॉलस्टॉय के विचारों का गहन असर रहा है।

लियो टॉलस्टॉय-गांधी (डिजाइन फोोटो- सोशल मीडिया)

गाँधी ने ये स्वीकार किया था कि टॉलस्टॉय को पढने से उन्हें सार्वभौम प्रेम की अनंत संभावनाओं का एहसास हुआ।.अहिंसा में विश्वास और भी दृढ हुआ था। गाँधी जी और टॉलस्टॉय में पत्र व्यवहार था. गाँधी को लिखे अपने अंतिम पत्र में लियो टॉलस्टॉय ने लिखा था कि दक्षिण अफ्रीका में गाँधी का सत्याग्रह आन्दोलन शोषितों के मुक्ति संघर्ष की एक नई विधि साबित हुआ। टॉलस्टॉय के अनुसार, दक्षिण अफ्रीका में गाँधी की गतिविधियाँ विश्व में हो रहे सभी महतवपूर्ण कार्यों में सबसे अनिवार्य थी।

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