Gold Man Neeraj Chopra: तू भी है राणा का वंशज फेंक जहां तक भाला जाए..., किसकी हैं ये लाइनें
Gold Man Neeraj Chopra: टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण जीत कर आज नीरज चोपड़ा पूरे देश का हीरो हो गया है।
Gold Man Neeraj Chopra: टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण जीत कर आज नीरज चोपड़ा पूरे देश का हीरो हो गया है। देश भर में आज एक ऐसा जश्न का माहौल है मानो पूरे देश की एक साथ लाटरी लग गई हो। ओलंपिक से सोना जीतने पर ऐसा लग रहा है जैसे हर घर में सोने की चमक बिखर गई हो। कोई कह रहा है इतिहास रच दिया कोई बाहुबलि कह रहा है। किसी की मांग है एक सिक्का जारी हो। तो कोई भाला फेंकते नीरज चोपड़ा के लिए कह रहा है तू भी है राणा का वंशज फेंक जहां तक भाला जाए... क्या आपको पता है ये लाइनें मंच के सरताज रहे कवि वाहिद अली वाहिद की हैं। जिन्हें पिछले दिनों कोरोना के क्रूर हाथों ने हमसे छीन लिया। बेबसी ऐसी की टूटती सांसों को थामने के लिए अस्पताल में भी जगह न मिली।
कवि वाहिद अली वाहिद की पूरी कविता कुछ इस तरह है
कब तक बोझ सम्भाला जाये
युद्ध कहां तक टाला जाये।
दोनों ओर लिखा हो भारत
सिक्का वही उछाला जाये।
इस बिगड़ैल पड़ोसी को तो
फिर शीशे में ढाला जाये।
तू भी है राणा का वंशज
फेंक जहां तक भाला जाये।
तेरे मेरे दिल पर ताला
राम करे ये ताला जाये।
'वाहिद' के घर दीप जले तो
मंदिर तलक उजाला जाये।
वाहिद का रचना संसार लखनऊ की संस्कृति और तहजीब में रचा बसा है। यहां के भाईचारे की मिसाल जहां अलीगंज का बजरंग बली का मंदिर है तो वाहिद की ये पंक्तियां भी
जब जेठ की धूप में चैन मिले
बरसेगी मोहब्बत की बदली,
बदली बरसे जब राम गली
खुश होके चलें रमज़ान अली,
रमज़ान अली नवरात्रि जगे
अफ्तार कराते हैं राम बली,
मियाँ वाहिद बोलत मौला अली
बजरंगबली बजरंगली..!"
संगीत सुरों को मिला के बना
कोई ढोल बजाए कोई ढपली
बिस्मिल्ला कहो शहनाई बजे
हर बीन पे नागिन है मचली
सद्भाव के ताल में ताल मिला
फिर याद रही बस प्रेम गली
तब वाहिद बोलत मौला अली
बजरंगबली बजरंगली..
जब पूजा अजान में भेद न हो
खिल जाती है भक्ति की प्रेम कली
रहमान की राम की एक सदा
घुलती मुख में मिसरी की डली
जब संत फ़कीरों की राह मिली
तब भूल गये अगली पिछली
तब वाहिद बोलत मौला अली
बजरंगबली बजरंगली...
नीरज चोपड़ा ने आज भाला फेंक कर पूरे देश को एक अविस्मरणीय आनंद दिया। जवान पीढ़ी के लिए तो यह पहला मौका है जब उन्होंने ओलंपिक में स्वर्ण मिलने की खुशी पता चली है। ऐसे मे वाहिद अली की पंक्तियों ने देश के उत्साह को दूना कर दिया है।