आखिर क्या है सिख धर्म में बेअदबी के मायने, बेहद खतरनाक और भयावह है इसका संकेत
गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी आखिर है क्या? बेअदबी के मामलों को रोकने के लिए 2015 में भाजपा-अकाली दल की पंजाब सरकार ने विधेयक पारित किया था
New Delhi: स्वर्ण मंदिर (Golden Temple) और कपूरथला में गुरु ग्रंथ साहिब (Guru Granth Sahib in Kapurthala) के साथ 'बेअदबी' की कोशिश और आरोपियों को पीट कर मार डालने की घटनाएं बेहद गम्भीर और दूरगामी परिणामों वाली हैं। ये मामले ऐसे समय पर आए हैं जब राज्य में चंद महीने बाद ही विधानसभा चुनाव (Assembly elections) होने हैं।
बहरहाल, यह जानना भी जरूरी है कि गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी आखिर है क्या। दरअसल, सिख धर्म में आखिरी गुरु, गुरु गोविंद सिंह (Guru Gobind Singh) के बाद गुरु ग्रंथ साहिब को ही जीवित गुरु माना गया है। चूंकि ग्रंथ को जीवित गुरु माना गया है, इसलिए इसके प्रति असम्मान को बेहद गंभीर बेअदबी माना जाता है। गुरु सेवा में उपयोग होने वाली चीजों - पगड़ी, कृपाण, रीतियों और धार्मिक इतिहास के प्रति असम्मान को भी बेअदबी माना जाता है।
बेअदबी के मामलों को रोकने के लिए पंजाब सरकार ने विधेयक पारित किया था
बेअदबी के मामलों को रोकने के लिए 2015 में भाजपा-अकाली दल की पंजाब सरकार ने विधेयक पारित किया था , जिसमें आईपीसी में नई 295एए धारा जोड़कर गुरु ग्रंथ साहिब का अपमान करने पर आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया था। हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसे यह कहकर लौटा दिया कि यह संविधान की धर्मनिरपेक्ष भावना के खिलाफ है। 2018 में कांग्रेस सरकार ने भी सभी धर्मों के लिए ऐसा विधेयक पारित किया। लेकिन इसे कभी लागू नहीं किया गया।
पंजाब में बेअदबी के सबसे अधिक मामले सामने आते हैं। 2018 में राज्य में प्रति 10 लाख जनसंख्या पर बेअदबी के 0.7 मामले सामने आए, वहीं अन्य राज्यों में ये आंकड़ा 0.1 से 0.4 के बीच रहा। 2019 में पंजाब में 0.6 मामले सामने आए, वहीं 2020 में यह आंकड़ा 0.5 रहा। इन तीनों साल पंजाब इस मामले में शीर्ष पर रहा। राज्य में 2017 से 2020 के बीच बेअदबी के कुल 721 मामले सामने आ चुके हैं।
बेअदबदी की घटनाएं
सिखों के सातवें गुरु, गुरु हरराय ने अपने बेटे राम राय का ही बहिष्कार कर दिया था, जो कि अपने पिता के उत्तराधिकारी बनने के दावेदार थे। इसकी वजह यह थी कि राम राय ने मुगल शासक औरंगजेब को खुश करने के लिए गुरु ग्रंथ साहिब के कुछ वाक्यों से छेड़छाड़ कर उसके शब्द बदल दिए थे। मुगलकाल में बड़े स्तर पर शुरू हुईं बेअदबदी की घटनाएं आजादी के बाद भी पूरी तरह खत्म नहीं हुईं। कुछ स्थानों पर इससे जुड़ी घटनाएं सामने आती रहीं। इसमें 1984 के दौर की कुछ घटनाएं भी शामिल रहीं।