Jayaprakash Narayan Wiki: जेपी की संपूर्ण क्रांति जिसकी कोख से भाजपा का हुआ जन्म

जयप्रकाश नारायण की संपूर्ण क्रांति ने राजनीतिक परिवेश को बदलकर रख दिया

Report :  Akhilesh Tiwari
Published By :  Raghvendra Prasad Mishra
Update:2021-10-11 20:52 IST

जेपी आंदोलन से जुड़ी फाइल तस्वीर (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

Jayaprakash Narayan Wiki: आजादी के बाद के शुरुआती दो दशक में ही जयप्रकाश नारायण (Jai Prakash Narayan) को एहसास हो गया था कि कांग्रेस के शासन से देश का भला होने वाला नहीं है। कांग्रेस का राजनीतिक विकल्प देश को देना होगा। कांग्रेस विरोध की राजनीतिक को उन्होंने आंदोलन और कार्यक्रमों से लैस करने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया। 1975 में उन्होंने संपूर्ण क्रांति (sampoorna kranti) का नारा दिया। यह अलग बात है कि उनका यह नारा जमीनी हकीकत नहीं बन पाया। लेकिन जयप्रकाश नारायण (Jai Prakash Narayan) की संपूर्ण क्रांति की कोख से ही भारतीय जनता पार्टी, लालू यादव का राष्ट्रीय जनता दल, रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी, वीपी सिंह का जनता दल, नीतीश कुमार की जद यू और मुलायम सिंह की समाजवादी पार्टी जैसे राजनीतिक दलों का उदय हुआ। इन राजनीतिक दलों और उनके नेताओं ने सत्ता की मलाई को पिछले तीन से चार दशक के दौरान जमकर खाया । लेकिन जिस कांग्रेस शासन का विरोध करते हुए इन सभी दलों व नेताओं का उदय हुआ, सत्ता पाने के बाद इन सब में वैसी ही विकृतियां जन्म लेने लगी । यही नहीं इन में से बहुतो ने तो कांग्रेस के साथ सियासी पारी खेलने में भी कोई गुरेज़ नहीं किया। नतीजन,संपूर्ण क्रांति का आवाहन केवल नारा बनकर रह गया।

जय प्रकाश नारायण का जीवन परिचय (jai prakash narayan ka jeevan parichay)

जयप्रकाश नारायण (Jai Prakash Narayan) का जन्म 1902 में बिहार के सारण जिले के सिताबदियारा में हुआ था। यह हिस्सा उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से जुड़ा हुआ है। बलिया के लोग बाबू जयप्रकाश नारायण को अपने बलिया का निवासी मानते हैं। इनके पिता का नाम देवकी बाबू और माता का नाम फुलरानी देवी था। 1920 में जयप्रकाश नारायण का विवाह प्रभावती से हुआ। जयप्रकाश नारायण के कई संस्मरणों में यह बताया गया है कि उनकी पत्नी प्रभावती देवी ने ही महात्मा गांधी से मिलने की उन्हें सलाह दी थी।

पटना में अपने शुरुआती पढ़ाई पूरी करने के बाद जयप्रकाश नारायण उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चले गए। अमेरिका से वह 1929 में भारत लौट कर आए तब तक वह वैचारिक तौर पर पूरी तरह मार्क्सवादी बन चुके थे। सशस्त्र क्रांति के जरिए भारत से अंग्रेजों को बेदखल करने का सपना देख रहे थे। जयप्रकाश नारायण ने अपने एक इंटरव्यू में बताया है कि प्रभावती देवी के कहने पर जब वह महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू से मिले तो देश की आजादी की लड़ाई को लेकर उनके दृष्टिकोण में बदलाव आया। उन्होंने सशस्त्र क्रांति के बजाय लोकतांत्रिक क्रांति का रास्ता चुना।

आचार्य विनोबा भावे और जेपी (Jaya Prakash Narayan Vinoba Bhave)

देश आजाद होने के बाद जयप्रकाश नारायण का धीरे-धीरे जवाहरलाल नेहरू से मोहभंग होने लगा । उन्हें आचार्य विनोबा भावे की भूदान योजना अच्छी लगे लगने लगी । वह आचार्य विनोबा भावे के सर्वोदय आंदोलन से जुड़ गए। कई सालों तक ग्रामीण भारत में इस आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए कार्य करते रहे ।1950 में उनकी एक पुस्तक आई जिसको लेकर खासी चर्चा हुई । 'राज्य व्यवस्था की पुनर्रचना' नामक इस पुस्तक में उन्होंने नेहरू की तत्कालीन शासन व्यवस्था की खामियों को न केवल इंगित किया बल्कि देश के नवनिर्माण ढांचे का वैचारिक आधार भी प्रस्तुत किया। बताया जाता है कि उनकी इसी पुस्तक से प्रभावित होकर जवाहरलाल नेहरू ने मेहता आयोग का गठन किया । जयप्रकाश नारायण के सत्ता के विकेंद्रीकरण के सिद्धांत को अपना समर्थन दिया। देश के नवनिर्माण की उनकी दृष्टि को लेकर नेहरू प्रभावित थे। उनसे अपनी सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए कहा लेकिन जयप्रकाश नारायण इसके लिए तैयार नहीं हुए। आखिरकार 1975 में उन्होंने कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के लिए संपूर्ण क्रांति का आवाहन किया।


5 जून, 1975 के अपने इस भाषण में उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार मिटाना, बेरोजगारी दूर करना, शिक्षा में क्रांति लाना ऐसी बातें हैं जो मौजूदा व्यवस्था से पूरी नहीं हो सकती। क्योंकि इस व्यवस्था ने ही इन समस्याओं को जन्म दिया है। यह लक्षण कब पाया जा सकता है, जब संपूर्ण व्यवस्था बदलती जाए ।संपूर्ण व्यवस्था के परिवर्तन के लिए संपूर्ण क्रांति आवश्यक है। उनके इस प्रसिद्ध भाषण के बाद देश में दूसरी आजादी का नारा भी तेजी से फैला और लोगों ने यह कहा कि पहले आजादी देश को 1947 में मिली । लेकिन अंग्रेजी शासन व्यवस्था आज भी हावी है। अंग्रेजी शासन व्यवस्था को हटाकर हमें देसी शासन व्यवस्था को लाना होगा। इसके लिए दूसरी आजादी मिलना आवश्यक है।

क्या है जयप्रकाश नारायण की संपूर्ण क्रांति (jai prakash narayan ki sampoorna kranti)

1975 के आंदोलन में जयप्रकाश नारायण ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार को भ्रष्ट और अलोकतांत्रिक बताया। जब अदालत ने इंदिरा गांधी को भ्रष्टाचार का दोषी करार दिया तब जयप्रकाश (jay prakash narayan in hindi) ने उनके इस्तीफे की मांग की ।इसके जवाब में इंदिरा गांधी ने राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर दी। जयप्रकाश नारायण समेत तमाम विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया। जयप्रकाश नारायण की संपूर्ण क्रांति का यह दौर ऐसा था, जब घर घर से लोग उनके समर्थन में आगे आ रहे थे । लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान, जॉर्ज फर्नांडीज, मधु लिमए जैसे नेता उनके साथ थे। जनसंघ के अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी सरीखे नेता भी जेपी के आंदोलन में शामिल हुए। इसी माहौल में जयप्रकाश नारायण के साथ राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर भी जुड़े।

उन्होंने अपनी कालजयी रचना —सिंहासन खाली करो कि जनता आती है, इसी काल में की। जयप्रकाश नारायण की संपूर्ण क्रांति का असर रहा कि 1977 में जब देश में चुनाव हुए तो छोटे-छोटे राजनीतिक दलों को मिलाकर बनी जनता पार्टी ने पूरे देश में सत्ता परिवर्तन कर दिया। जेपी ने 8 अक्टूबर, 1979 को पटना में अंतिम सांस ली ।उसके कुछ दिनों बाद ही जनता पार्टी की सरकार भी गिर गई। इसी के साथ संपूर्ण क्रांति के नेताओं के आपसी मतभेद सामने आने लगे। 1951 से सक्रिय भारतीय जनसंघ ने 1977 में अपना विलय जनता पार्टी में कर दिया ।लेकिन जयप्रकाश नारायण के निधन के बाद जनता पार्टी के समाजवादी धड़े और जनसंघ के नेताओं का मतभेद बढ़ता गया। एक पार्टी, एक पद के सिद्धांत पर विवाद इस कदर बढ़ा कि भारतीय जनसंघ ने 1980 में जनता पार्टी से अलग होने का एलान कर दिया।

जयप्रकाश नारायण (LK Advani Jayprakash Narayan) की संपूर्ण क्रांति में कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष करने वाले अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) और लालकृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) ने भारतीय जनता पार्टी के नाम से 1980 में नए राजनीतिक दल का गठन कर लिया। इसके बाद हुए चुनाव में कांग्रेस ने केंद्र में वापसी की । लेकिन तब तक दूसरी आजादी का सपना जयप्रकाश नारायण ने पूरे देश को दिखा दिया था। इस सपने को साकार करने के लिए देश की जनता ने पिछले 40 साल के दौरान बार—बार उन नेताओं को देश व राज्य में सरकारें बनाने का मौका दिया जो जेपी की संपूर्ण क्रांति आंदोलन में शामिल रहे। यही वजह है कि जेपी की जयंती पर आज भी देश की बड़ी आबादी यह मानकर उन्हें याद कर रही है कि आने वाले दिनों में दूसरी आजादी का सपना साकार होगा। जयप्रकाश नारायण की संपूर्ण क्रांति होनी अभी बाकी है। देश में सरकारें बदलती रहीं। लेकिन व्यवस्थागत बदलाव नहीं हो पाए। जब तक व्यवस्था परिवर्तन नहीं होता है तब ​तक जयप्रकाश का संपूर्ण क्रांति का नारा अधूरा ही है।

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