कांग्रेस में घमासान: अब कपिल सिब्बल ने नेतृत्व पर साधा निशाना, गांधी परिवार अब दूसरे को दे मौका
Kapil Sibal Attacked Gandhi Family: कपिल सिब्बल ने विधानसभा चुनावों में पार्टी की करारी हार के बाद एक बार फिर नेतृत्व पर निशाना साधा है।
Kapil Sibal Attacked Gandhi Family: पूर्व केंद्रीय मंत्री और जी-23 (Congress G-23 Group) के मुखर सदस्य कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने विधानसभा चुनावों में पार्टी की करारी हार के बाद एक बार फिर नेतृत्व पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि करारी हार के बाद ही यह सही समय है जब गांधी परिवार (Gandhi Family) को पार्टी के नेतृत्व से हट जाना चाहिए। उन्होंने मांग की कि अब पार्टी का नेतृत्व किसी अन्य व्यक्ति को सौंपा जाना चाहिए। सिब्बल ने कहा कि अब घर की कांग्रेस नहीं, सबकी कांग्रेस होनी चाहिए।
पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस (Congress) की करारी हार के बाद कांग्रेस कार्यसमिति (Congress Working Committee) ने हाल में हुई बैठक (CWC Meeting) में एक बार फिर सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के नेतृत्व में ही विश्वास जताया था। ऐसे में सिब्बल का यह बयान सियासी नजरिए से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में असंतुष्ट खेमे से जुड़े कुछ और नेताओं की ओर से यह मांग उठाई जा सकती है।
विचार मंथन सत्र से कुछ भी हासिल नहीं होगा
सिब्बल पार्टी के पहले नेता हैं जिन्होंने मांग की है कि अब गांधी परिवार को किसी दूसरे नेता के लिए लीडरशिप (Congress Leadership) छोड़ देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पार्टी को लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है। फिर भी विचार मंथन सत्र आयोजित करने की बात कही जा रही है। ऐसे सत्र के आयोजन से कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि लगता है कि पार्टी का नेतृत्व कुकु लैंड में रह रहा है जिसे 8 साल से लगातार मिल रही हार के बावजूद पार्टी के पतन के कारणों की अभी तक जानकारी ही नहीं हो सकी है।
सिब्बल को जी-23 का मुखर नेता माना जाता है और इस ग्रुप ने 2020 में ही पार्टी में बड़े बदलाव की मांग की थी। हालांकि अभी तक पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है। सिब्बल ने कहा कि अब वह समय आ गया है जब गांधी परिवार को स्वेच्छा से पार्टी का नेतृत्व छोड़ देना चाहिए और किसी अन्य नेता के लिए मार्ग प्रशस्त करना चाहिए। नेतृत्व के करीबी लोग कभी यह सुझाव नहीं देंगे कि उसे अब लीडरशिप रोल से अलग हो जाना चाहिए।
अब घर की नहीं सबकी कांग्रेस की जरूरत
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अब घर की कांग्रेस नहीं बल्कि सबकी कांग्रेस होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि सीडब्ल्यूसी पूरे देश के कांग्रेसियों का प्रतिनिधित्व नहीं करती। देश के विभिन्न राज्यों में ढेर सारे ऐसे लोग हैं जो कार्यसमिति की राय से सहमति नहीं रखते।
मेरी निजी राय है कि अब पार्टी को घर की कांग्रेस नहीं बल्कि सबकी कांग्रेस होना चाहिए। मैं सबकी कांग्रेस के लिए लड़ाई लड़ रहा हूं और अपनी इस लड़ाई को आखिरी दम तक जारी रखूंगा। मैं दूसरों की बात तो नहीं जानता मगर मेरा मानना है कि पार्टी को सबसे जोड़े जाने की जरूरत है।
पार्टी की करारी हार पर हैरानी नहीं
उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार से उन्हें तनिक भी हैरानी नहीं हुई है। पार्टी चुनाव के दौरान कभी मजबूत स्थिति में दिख ही नहीं रही थी। करारी हार के बावजूद सीडब्ल्यूसी की बैठक में सोनिया गांधी के नेतृत्व में एक बार फिर विश्वास जताने से भी मुझे किसी भी प्रकार का आश्चर्य नहीं हुआ है। मेरा मानना है कि सीडब्ल्यूसी से बाहर के नेताओं के दृष्टिकोण को भी समझने की जरूरत है।
सीडब्ल्यूसी से बाहर बड़ी संख्या में ऐसे नेता हैं जिनका दृष्टिकोण पूरी तरह अलग है। उनकी राय को भी महत्व दिया जाना चाहिए। सिब्बल ने कहा कि मैं सीडब्ल्यूसी में शामिल नहीं हूं और मेरी तरह तमाम कई अन्य नेता भी सीडब्ल्यूसी के सदस्य नहीं हैं मगर उनका दृष्टिकोण पूरी तरह अलग है। इसलिए उनकी राय भी सुनी जानी चाहिए।
पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस की करारी हार
पांच राज्यों में हाल में हुए चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का मुंह देखना पड़ा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में 77 सीटें जीतकर पंजाब में सरकार बनाने वाली कांग्रेस इस बार सिर्फ 18 सीटों पर सिमट गई है। उत्तर प्रदेश में पार्टी सिर्फ दो सीटों पर चुनाव जीतने में कामयाब हो सकी है जबकि गोवा, उत्तराखंड और मणिपुर में सत्ता में वापसी का पार्टी का सपना भी पूरा नहीं हो सका है। ऐसे में सिब्बल के बयान को सियासी नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है। जानकारों के मुताबिक आने वाले दिनों में कुछ और नेताओं की ओर से भी नेतृत्व पर सवाल खड़े किए जा सकते हैं।
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