Kisaan Andolan: पहली बरसी को लेकर आज सिंघु बॉर्डर पर किसानों की बैठक, ले सकते हैं बड़ा फैसला
Kisaan Andolan: संयुक्त किसान मोर्चा के नेता दोपहर 2 बजे एकत्रित होंगे और आंदोलन के आगे की रणनीति तय करेंगे।
Kisaan Andolan : तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी (MSP) पर कानून बनाने की मांग को लेकर पिछले एक साल से धरना प्रदर्शन कर रहे किसानों की आज सिंघु बॉर्डर (singhu border) पर बड़ी बैठक होगी। संयुक्त किसान मोर्चा (United Kisaan Morcha) के नेता दोपहर 2 बजे एकत्रित होंगे और आंदोलन के आगे की रणनीति तय करेंगे। बता दें 26 नवंबर को किसान आंदोलन के 1 साल पूरे हो जाएंगे। उससे पहले आज पश्चिमी यूपी, हरियाणा, पंजाब के बड़े किसान नेता सिंघु बॉर्डर पर एक बार फिर से एकत्रित होंगे और इस आंदोलन की आगे की रूपरेखा तैयार करेंगे।
आज होने वाली इस बैठक पर सरकार और आम लोगों की निगाहें टिकी हैं। क्योंकि 26 नवंबर को उनके आंदोलन के एक साल हो जाएंगे । ऐसे में किसान नेता आज संयुक्त बैठक में कोई बड़ा निर्णय ले सकते हैं। जिसमें भारत बंद या आंदोलन तेज करने जैसे फैसले संभव है। क्योंकि उत्तर प्रदेश और पंजाब में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं। इस चुनाव को देखते हुए किसान भी अपने आंदोलन को और गति देकर बीजेपी सरकार (BJP government) पर दबाव बनाने का काम कर सकता है। दिल्ली में किसान पिछले एक साल से इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी पर कानून बनाने की मांग पर अड़े हैं। जबकि सरकार उनसे काफी समय से बातचीत भी नहीं कर रही है। किसानों का यह धरना दिल्ली एनसीआर के सिंघु, शाहजहांपुर, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर चल रहा है। ऐसे में अगर किसान मोर्चा कोई बड़ा फैसला करता है तो आम लोगों की ही मुसीबत बढ़ने वाली है।
17 सितम्बर को संसद में पास हुआ था नया कृषि कानून
बता दें मोदी सरकार 17 सितंबर, 2020 को संसद में कृषि से जुड़े ये तीन कानून पास कराए थे। ये वही कानून है जिनके विरोध में पिछले साल 26 नवंबर से किसान दिल्ली के बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं। ठंडी, गर्मी और बरसात में किसानों का प्रदर्शन डिगा नहीं। किसान कानून की वापसी की मांग को लेकर अड़े हुए हैं। कई किसानों की जान भी जा चुकी है।
तीनों कृषि कानून में क्या
पहला कृषि कानून
कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य संवर्धन और सुविधा विधेयक 2020 है। इसके मुताबिक किसान मनचाही जगह पर अपनी फसल भेज सकते हैं । बिना किसी रूकावट के दूसरे राज्यों में भी फसल बेच और खरीद सकते हैं।
दूसरा कृषि कानून
मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवाओं पर कृषक सशक्तिकरण एवं संरक्षण अनुबंधन विधेयक 2020 है। इसके जरिए देशभर में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है।फसल खराब होने पर उसके नुकसान की भरपाई किसानों को नहीं बल्कि एग्रीमेंट करने वाले पक्ष या कंपनियों को करनी होगी।
तीसरा कृषि कानून
इस कानून में आवश्यक व संशोधन बिल 1955 में बने आवश्यक वस्तु अधिनियम से अब खाद्य तेल, तिलहन, दाल, प्याज, आलू जैसे कृषि उत्पादों पर से स्टाक लिमिट हटा दी गई है।
इन्हीं तीनों कृषि कानून के खिलाफ किसान आंदोलनरत हैं। पिछले साल मानसून सत्र में सरकार ने जब 14 सितंबर को ये कृषि सुधार अध्यादेश वित्त विधेयक के तौर पर संसद में पेश किया और 17 सितंबर को लोकसभा में इसे पारित कराया तो पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के किसानों के बीच एक सुगबुगाहट चली और फिर 27 नवंबर से वह दिल्ली बॉर्डर पर डेरा डाल दिए तभी से ये आंदोलन अनवरत जारी है।