राकेश टिकैत को फिर मिली जान से मारने की धमकी, कार्यकर्ता ने दर्ज कराई शिकायत
Kisan Andolan: किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे राकेश टिकैत को एक बार फिर से जान से मारने की धमकी मिली है।
Kisan Andolan: केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान बीते 6 महीने से दिल्ली की अलग अलग सीमाओं पर आंदोलन (Kisan Andolan) कर रहे हैं। इस बीच आंदोलन की अगुवाई कर रहे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (RakeshTikait) को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है। राकेश टिकैत को एक बार फिर से फोन पर जान से मारने की धमकी (Threats To Kill) मिली है। साथ ही उन्हें व्हाट्सएप पर गालियां भी मिली हैं।
किसान नेता राकेश टिकैत (RakeshTikait) को जान से मारने की धमकी मिलने के बाद भारतीय किसान यूनियन संगठन के कार्यकर्ता प्रज्जवल त्यागी उर्फ मन्नू त्यागी ने कौशांबी थाने में शिकायत दर्ज कराई है। जिसके बाद पुलिस और साइबर सेल मामले की जांच में जुट गई है। बता दें कि अब तक राकेश टिकैत को कम से कम चार बार इस तरह की धमकी मिल चुकी है।
पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मामला किया दर्ज
मामले में किसान यूनियन संगठन के कार्यकर्ता प्रज्जवल त्यागी (Prajjawal Tyagi) ने बताया कि चार अप्रैल से 26 मई तक एक मोबाइल नंबर से राकेश टिकैत को वाट्सएप पर संदेश आए हैं। जिसमें उन्हें गालियां दी गई हैं। साथ ही मारने की धमकी भी मिली है। उन्होंने गुरुवार रात करीब 11 बजे के आसपास कौशांबी थाने में इस मामले में शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने पुलिस को सबूत के तौर पर चैट का प्रिंट आउट भी सौंपा है। फिलहाल पुलिस ने इस मामले में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।
वहीं, पुलिस अधीक्षक नगर द्वितीय गाजियाबाद ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि मामले के संबंध में रिपोर्ट दर्ज कर जांच की जा रही है। सर्विलांस और साइबर सेल की टीम भी लगाई गई है।
इससे पहले भी कई बार मिल चुकी हैं धमकियां
बता दें कि इससे पहले भी राकेश टिकैत को फोन पर धमकियां मिल चुकी हैं। सबसे पहले उन्हें दिसंबर में फोन पर धमकी मिली थी। जिसके बाद पुलिस ने आरोपित मानव मिश्रा को बिहार के भागलपुर से गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्हें अप्रैल में धमकी मिली। इस मामले का आरोपी युवक फिरोजाबाद से पकड़ा गया। फिर हफ्ते भर पहले उन्हें तीसरी धमकी मिली, जिसकी पुलिस फिलहाल जांच कर रही है। इस बीच एक बार फिर से उन्हें वाट्सएप संदेश भेज कर धमकी दी गई है। यह चौथी बार है जब उन्हें धमकी मिली है। अब पुलिस इस मामले में भी आरोपी का पता लगा रही है।
किसान आंदोलन को 6 महीने हुए पूरे
गौरतलब है कि नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांगों को लेकर किसान संगठन 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इस आंदोलन में कई रंग भी देखने को मिले। चाहे वो किसानों द्वारा भारत बंद हो या 26 जनवरी के दिन ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा, इनको कभी नहीं भूलाया जा सकता। प्रदर्शन को खत्म करने और कानून में बदलाव करने को लेकर सरकार और किसानों की जितनी भी वार्ताएं हुईं, सभी असफल रहीं।
26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद से तो यह आंदोलन खत्म होते दिखाई दे रहा था, लेकिन 29 जनवरी को कुछ ऐसा हुआ, जिसे इस आंदोलन की न केवल दिशा बदल दी, बल्कि आंदोलन को तेजी देने का भी काम किया। दरअसल, जब किसान संगठन आंदोलन से अपना नाम वापस लेने लगे और किसान सीमाओं से अपने राज्य पलायन करने लगे तो 28 जनवरी को राकेश टिकैत के आंसू ने हजारों किसान को फिर से जुटाने का काम किया था।
सरकार और किसान के बीच वार्ता होने के आसार!
बता दें कि बीते कुछ महीनों से सरकार और किसान के बीच कोई वार्ता भी नहीं हुई है। इससे पहले जितनी भी दौर की बातचीत हुई हैं, वो बेनतीजा रहीं। केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक 11 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन कृषि कानूनों पर गतिरोध खत्म नहीं हुआ है। सरकार व किसानों के बीच आखिरी दौर की बातचीत 22 जनवरी को हुई थी और उसके बाद से बातचीत का रास्ता बंद पड़ा हुआ है। हालांकि अब संयुक्त किसान मोर्चा ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बातचीत फिर से शुरू करने की पहलकदमी करने की अपील की है।
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