New Delhi: बच्चों के पोषण में यूपी-बिहार पिछड़े, कहां जा रहा केंद्र का पैसा

खुद को नंबर वन का खिताब देने वाले प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री ने कुपोषण में यूपी को नंबर वन बना दिया है।

Written By :  Akhilesh Tiwari
Published By :  Durgesh Bahadur
Update: 2021-07-31 13:05 GMT

बच्चों के पोषण में यूपी-बिहार पिछड़े (सांकेतिक फोटो- सोशल मीडिया)

New Delhi: 21 वीं सदी के भारत के लिए यह सर्वाधिक चिंताजनक और चौंकाने वाली जानकारी है कि देश में नौ लाख से भी ज्यादा बच्चे गंभीर कुपोषण (Malnutrition) की गिरफ्त में हैं। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने संसद में बताया है कि गंभीर कुपोषण (Severe Malnutrition) वाले सर्वाधिक 3,98,359 बच्चे अकेले उत्तर प्रदेश से हैं। दूसरे नंबर पर बिहार राज्य है, जबकि इन दोनों ही राज्यों को केंद्र सरकार ने पिछले साल अपने बजट का बीस प्रतिशत से भी अधिक 3255 करोड़ रुपया दिया है। गंभीर कुपोषण वाले बच्चों के मरने का खतरा नौ गुना अधिक होता है।

गंभीर कुपोषण वाले बच्चों की सूची आंगनबाड़ी केंद्रों से तैयार की गई है। इस श्रेणी में उन बच्चों को शामिल किया गया है, जिनके बारे में स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि अगर उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती कर इलाज नहीं किया गया, संपूर्ण पोषण नहीं मिला तो उनकी मौत भी हो सकती है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह की ओर से पूछे गए लिखित प्रश्न के जवाब में यह जानकारी संसद में दी है।

अपने जवाब में उन्होंने बताया है कि एकीकृत बाल विकास सेवा आईसीडीएस के तहत इन बच्चों को पूरक पोषाहार मुहैया कराया जाता है। शून्य से छह वर्ष की उम्र वाले बच्चों को संपूर्ण पोषण देने के ​लिए 8 मार्च 2018 से पोषण अभियान का संचालन किया जा रहा है। इसके बावजूद देश के नौ लाख 27 हजार 606 बच्चे गंभीर तौर पर कुपोषित पाए गए हैं।

इसके साथ ही संसद में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने बताया कि शून्य से छह साल उम्र वाले उत्तर प्रदेश में गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या जहां तीन लाख 98 हजार 359 है, वहीं बिहार में ऐसे बच्चों की तादाद दो लाख 79 हजार 427 मिली है। महाराष्ट्र में कुपोषित बच्चों की तादाद 70665, गुजरात में 45 हजार 749, छत्तीसगढ़ में 37 हजार 249, राजस्थान में पांच हजार 732, केरल में छह हजार 188, उड़ीसा में 15 हजार 595, तमिलनाडु में 12 हजार 489, झारखंड में 12 हजार 059, आंध्र प्रदेश में 11 हजार 201, तेलंगाना में नौ हजार 045, असम में सात हजार 218 और कर्नाटक में छह हजार 899 है।

मध्यप्रदेश समेत पांच राज्यों में कोई भी गंभीर कुपोषित बच्चा नहीं मिला-

शून्य से छह साल के बच्चों के पोषण को ध्यान में रखने में मध्यप्रदेश समेत पांच राज्यों ने बाजी मारी है। इसमें से दो केंद्र शासित क्षेत्र लद्दाख व लक्षद्वीप हैं। देश के सर्वाधिक बड़े राज्यों में शुमार किए जाने वाले मध्य प्रदेश की स्थिति सबसे बेहतर है। यहां एक भी बच्चा गंभीर कुपोषित नहीं मिला है। मध्य प्रदेश के पड़ोसी राज्य राजस्थान में स्थिति छत्तीसगढ़ समेत सभी राज्यों से बेहतर मिली है। गुजरात और छत्तीसगढ़ में गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या क्रमश : 45 हजार 37 हजार है, जबकि राजस्थान में तादाद बेहद कम है।

गंभीर कुपोषण का क्या है मानक-

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बच्चों में गंभीर कुपोषण का अर्थ है कि उनकी जान खतरे में है। शून्य से छह साल की उम्र वाले इन बच्चों को तत्काल चिकित्सकों की देखरेख में रखना जरूरी है, जहां पोषण के साथ अन्य जरूरी दवाएं भी दी जाएं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार लंबाई के अनुपात में अगर बच्चों का वजन बेहद कम हो। ऐसे बच्चों के बांह के मध्य उपरी हिस्से की परिधि 115 मिलीमीटर से कम पाई जाती है और पोषक तत्वों की कमी से शरीर के हिस्सों में सूजन मिलती है तो उन्हें गंभीर कुपोषण की श्रेणी में रखा जाता है।

कोरोना महामारी में ऐसे बच्चों की जान को सर्वाधिक खतरा-

देश में गंभीर कुपोषण की जद में दर्ज नौ लाख 27 हजार बच्चों के लिए कोरोना महामारी में खतरा बढ़ गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि गंभीर कुपोषित बच्चों में मृत्यु की आशंका नौ गुना अधिक है। ऐसे बच्चों का प्रतिरक्षा तंत्र बेहद कमजोर होता है। उनके किसी भी तरह के संक्रमण का शिकार होने पर जान को खतरा बढ़ जाता है।

कहां जा रहा केंद्र का पैसा-

संसद में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने बताया कि पोषण मिशन के तहत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से देश के सभी राज्यों को धन आवंटित किया गया है। पोषण मिशन 2.0 के तहत गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के खान-पान के लिए अलग से बजट दिया गया है। सभी को पोषण सामग्री भी भेजी जा रही है। केंद्र सरकार ने 2017-18 से 2020-21 के दौरान सभी राज्यों को 5312 करोड़ रुपये दिए हैं, जिसमें से केवल 2985 करोड़ का उपयोग किया जा सका है। पिछले साल 2020-21 के दौरान केंद्र सरकार ने राज्यों को 15797 करोड़ रुपये दिए हैं, जिसमें से बिहार को 1270 करोड़, यूपी को 1985 करोड़, महाराष्ट्र को 1187 करोड़, मध्य प्रदेश को दो बार में 2490 करोड़ रुपये दिए गए हैं। संसद में उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 2018-19 के दौरान केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को 16750 करोड़ रुपये दिए गए हैं, जिसमें से 15150 करोड़ रुपये खर्च भी किए जा चुके हैं।

प्रियंका गांधी वाड्रा ने भाजपा पर साधा निशाना-

कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव व उत्तर प्रदेश संगठन प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने बच्चों के कुपोषण संबंधी आंकड़ों को लेकर भाजपा पर निशाना साधा है। 30 जुलाई 2021 को अपने ट्वीट में उन्होंने कहा कि यूपी में डबल इंजन सरकार है। इसके बावजूद बच्चों के पोषण का आंकड़ा सर्वाधिक है। खुद को नंबर वन का खिताब देने वाले प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री ने कुपोषण में यूपी को नंबर वन बना दिया है।

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