Lata Mangeshkar: दुनिया भर की 36 भाषाओं में गाए गाने, संगीत की दुनिया में 80 साल का सफर

Lata Mangeshkar: लता मंगेशकर ने 13 साल की उम्र में 16 दिसंबर 1941 को पहली बार अपना गाना रिकॉर्ड किया था।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2022-02-06 06:09 GMT

लता मंगेशकर (फोटो-सोशल मीडिया)

Lata Mangeshkar: भारत रत्न से सम्मानित स्वर कोकिला लता मंगेशकर का आज मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत अनेक हस्तियों ने उनके निधन पर शोक जताया है। शनिवार को उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था और उनकी हालत लगातार नाजुक बनी हुई थी। लता मंगेशकर ने दुनिया भर की 36 भाषाओं में हजारों गाने गाए और उन्होंने पिछले साल 16 दिसंबर को संगीत की दुनिया में 80 साल का सफर पूरा किया था।

उन्होंने 13 साल की उम्र में 16 दिसंबर 1941 को पहली बार अपना गाना रिकॉर्ड किया था। 80 साल का सफर पूरा होने पर लता मंगेशकर ने खुद ट्वीट करके इतना लंबा सफर तय करने के लिए अपने फैंस और शुभचिंतकों के प्रति आभार जताया था। उनका कहना था कि मुझे पूरा विश्वास है कि मुझे भविष्य में भी अपने चाहने वालों का इसी तरह प्यार मिलता रहेगा।

लोगों के दिलों पर किया राज

लता मंगेशकर ने लंबे समय तक देश के लोगों के दिलों पर राज किया। संगीत जगत में लता दीदी का सफर इतना लंबा रहा कि देश के विभिन्न परिवारों की 3 पीढ़ियों के बीच वे समान रूप से लोकप्रिय और सबकी पसंद बनी रहीं। 16 दिसंबर 1941 को उन्होंने पहली बार रेडियो के लिए स्टूडियो में 2 गाने गाए थे।

संगीत जगत में उनके 80 साल का सफर पिछले साल की 16 दिसंबर को पूरा हुआ था और इस मौके पर उन्होंने कहा था कि देश के लोगों का जो असीम प्यार और आशीर्वाद मुझे मिला है, मुझे भरोसा है कि वह आगे भी मुझे इसी तरह मिलता रहेगा।

मुसीबतों से लड़कर आगे बढ़ीं लता

लता मंगेशकर अपने जीवन में तमाम कठिनाइयों से लड़ने के बाद बुलंदी पर पहुंची थीं। 13 साल की छोटी उम्र में ही उन्होंने अपने पिता दीनानाथ मंगेशकर को खो दिया था। पिता के निधन के बाद उनके ऊपर परिवार को संभालने की बड़ी जिम्मेदारी आ गई थी। 13 साल की छोटी उम्र में ही उन्होंने फिल्म पहली मंगलागौर के लिए गाने गाए थे।

वह जमाना दूसरा था और उस समय गाने के लिए काफी कम पैसे मिला करते थे। लता दीदी को भी अपने पहले गाने के लिए मात्र 25 रुपए ही मिले थे। गाना गाने की शुरुआत करने के बाद उन्होंने 1942 में मराठी फिल्म किती हसाल के लिए अपना सुर दिया था।

18 साल की उम्र में उन्हें दिग्गज गायक मुकेश के साथ गाने का मौका मिला था। यह मौका उन्हें मास्टर गुलाम हैदर ने दिया था और लता ने मुकेश के साथ मजबूर फिल्म के लिए अंग्रेजी छोरा चला गया गाना गाया था। इसके बाद लता दीदी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और उनकी झोली में लगातार अच्छी-अच्छी फिल्मों के लिए गाने के प्रस्ताव आते रहे।

लता के गाने की ऐसी थी दीवानगी

बाद के दिनों में फिल्मी दुनिया में लता की आवाज का जादू ऐसा चला कि हर फिल्म मेकर चाहता था कि उसकी फिल्म का गाना लता मंगेशकर ही गाएं। फिल्म मेकर ही नहीं बल्कि दिग्गज अभिनेत्रियों की भी यही चाहत रहती थी कि उन पर फिल्माए जाने वाले गाने को आवाज लता मंगेशकर ही दें।

लता मंगेशकर (फोटो-सोशल मीडिया)

यही कारण है कि पुरानी फिल्मों के तमाम चर्चित गाने लता मंगेशकर की आवाज में ही सुनने को मिलते हैं। लता दीदी ने मुकेश, किशोर कुमार और मोहम्मद रफी के साथ पुरानी फिल्मों में इतने मधुर गाने गाए कि लोग आज भी उन गानों को सुनने के लिए बेकरार रहते हैं। दुनिया भर की 36 भाषाओं में उन्होंने गाना गाया।

पिता के सामने गाने में डरती थीं लता

लता मंगेशकर ने एक बार इंटरव्यू में खुलासा किया था कि शायद मेरे पिताजी जिंदा होते तो मैं सिंगर न बन पाती। उन्हें अपने पिता के सामने गाने में भी काफी डर लगता था। यह अजीब विडंबना है कि उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर कभी यह समझ ही नहीं पाए कि उनकी बेटी इतना बढ़िया गा सकती है। उनकी मां भी गाने पर कई बार उन्हें डांट चुकी थी।

लता मंगेशकर किचन में मां को मदद देने के लिए आने वाली महिलाओं को गाना सिखाने की कोशिश करती थीं तो मां उन्हें डांट दिया करती थी मगर समय ने ऐसी करवट बदली कि लता ने बाद में देश के करोड़ों लोगों के दिलों पर अपने गायन के जरिए राज किया।

लता को मिला देश का सर्वोच्च सम्मान

संगीत की दुनिया में अतुलनीय योगदान का ही नतीजा था कि लता मंगेशकर को 1969 में ही पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। बाद में 1999 में उन्हें पद्मविभूषण सम्मान दिया गया जबकि 2001 में वे देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित की गईं। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके निधन की सूचना पाकर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई और लोग उनके निधन को देश की अपूरणीय क्षति बता रहे हैं।

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