मजदूरों की मजबूरी: कोरोना को देती खुली छूट, फिर बढ़ा संक्रमण का खतरा

दिल्ली में एक हफ्ते का लॉकडाउन लगाने का ऐलान किया गया है। जिसके बाद से एक बार फिर से पलायन जिस तरह से शुरू हुआ, काफी भयानव स्थिति थी। हजारों की तादात में लोग एक-दूसरे से चिपके हुए सटे में स्टेशनों पर इकट्ठा थे।

Newstrack Network :  Network
Published By :  Vidushi Mishra
Update:2021-04-20 09:30 IST

मजदूरों की भीड़(फोटो-सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: पूरे देश में कोरोना वायरस के कहर ने तबाही मचा दी है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित अन्य कई राज्य कोरोना की भयानक आफत का सामना कर रहे हैं। ऐसे में दिल्ली में एक हफ्ते का लॉकडाउन लगाने का ऐलान किया गया है। जिसके बाद से एक बार फिर से पलायन जिस तरह से शुरू हुआ, काफी भयानव स्थिति थी। हजारों की तादात में लोग एक-दूसरे से चिपके हुए सटे में स्टेशनों पर इकट्ठा थे।

राजधानी में मामले हर रोज इस कदर बढ़ रहे हैं, कि मरीज को भर्ती तक नहीं किया जा रहा। अस्पतालों में बेड फुल और ऑक्सीजन की कमी बताया जा रहा है। दर-दर भटकने के दौरान ही मरीज अपना दम तोड़ रहे हैं।  संक्रमण का सिलसिला तेजी से बढ़ता ही जा रहा है।    

दरअसल दिल्ली से हर रोज़ रिकॉर्डतोड़ मामले सामने आने के बाद सरकार ने राजधानी में लॉकडाउन लगाने का ऐलान कर दिया। राज्य में ये लॉकडाउन 19 अप्रैल की रात 10 बजे से 26 अप्रैल की सुबह 5 बजे तक जारी रहेगा। जिसके दौरान बेवजह बाहर निकलने पर मनाही है, केवल जरूरी क्षेत्रों के लोगों की ही बाहर निकलने की छूट दी गई है।


प्रवासी मजदूरों की मजबूरी

ऐसे में लॉकडाउन में मेट्रो, कैब, बस सर्विस चालू रहेंगी, लेकिन जिन्हें मंजूरी हैं वही बाहर जा सकते हैं। जबकि मॉल, बाजार, सिनेमा हॉल बंद रहेंगे और पेट्रोल पंप, बैंक, एटीएम खुले रहेंगे।

राजधानी में सीएम अरविंद केजरीवाल ने एक हफ्ते के लॉकडाउन का ऐलान जैसे ही किया, दिल्ली में मानो भगदड़ सी मच गई। तभी ऐलान के तुरंत बाद बाजारों में भीड़ बढ़ी तो शाम होते-होते बस अड्डों, रेलवे स्टेशन पर प्रवासी मज़दूरों की बाढ़ सी आ गई। लगभग हजारों की संख्या में मजदूर अपने घर वापस जाने के लिए बस अड्डों पर पहुंचे।

इस बारे में मज़दूरों का कहना है कि फिर लॉकडाउन लग गया है, काम-धंधा फिर से बंद हो गया है, ऐसे में वक्त रहते घर जाना ही बेहतर उपाय है। दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे पर बीती शाम हजारों की संख्या में मजदूर जुटे रहे और बसों के इंतजार में रहे।

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