'थप्पड़' मारने की बात पर केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने दी सफाई, कही ये बात
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को 'थप्पड़' मारने की बात पर केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को रत्नागिरी कोर्ट से अग्रिम जमानत खारिज होने और बॉम्बे हाईकोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिलने के बाद पुलिस ने नारायण राणे को हिरासत में ले लिया।
केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के विवादित बयान से सियारत गरमा गई है। एक तरफ केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के समर्थन में कई BJP नेता साथ में खड़े हो गए हैं। वहीं, इस विवाद के बाद उद्धव और राणे की तनातनी खुलकर सामने आ गई है।
वहीं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को 'थप्पड़' मारने की बात पर केंद्रीय मंत्री नारायण राणे (Narayan Rane) को रत्नागिरी कोर्ट से अग्रिम जमानत खारिज होने और बॉम्बे हाईकोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिलने के बाद पुलिस ने नारायण राणे को हिरासत में ले लिया और फिर कुछ देर बाद उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया गया। इस कार्रवाई पर अब राणे ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे मुझसे डरते हैं इसलिए ऐसा कर रहे हैं। मैंने कुछ गलत नहीं कहा कि राणे ने अपने थप्पड़ वाले बयान को दोहराते हुए कहा कि अगर मैं वहां होता तो मैं उसे थप्पड़ मार देता। उन्होंने कहा कि उस दिन होता तो, ऐसा करता. ऐसा मैंने आज के लिए नहीं कहा है।
वहीं, राणे ने सीएम उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए यह भी कहा कि उनका बेटा सुशांत सिंह राजपूत और दिशा सालियन केस में शामिल था। तब उसकी गिरफ्तारी नहीं हुई तो मुझे क्यों गिरफ्तार किया जा रहा है... यह पूरी तरह गलत है। क्या इस गिरफ्तारी के बाद केंद्र बनाम महाराष्ट्र सरकार हो सकता है, के सवाल पर उन्होंने आगे कहा कि केंद्र से उनकी लड़ाई नहीं हो सकती। राज्य, केंद्र से नहीं लड़ सकता है। राणे ने कहा कि अभी मैं कुछ नहीं बोलूंगा हम ऐसा करने वालों पर फिर से कार्रवाई जरूर करेंगे.।
सुशांत सिंह मामले में राणे पहले भी साध चुके हैं उद्धव पर निशाना
बता दें कि बीते साल भी राणे सुशांत सिंह और दिशा को लेकर उद्धव और उनके बेटे पर निशाना साध चुके हैं। उन्होंने कहा था कि मैं आज कहता हूं कि सुशांत सिंह ने आत्महत्या नहीं की थी, उसका मर्डर हुआ था। अगर सच सामने आया तो एक शख्स जेल के अंदर होगा और वो है उनका बेटा आदित्य ठाकरे. सुशांत की हत्या कैसे हुई, सुशांत की हत्या किसने की, दिशा सालियान के साथ किसने रेप किया, वो कैसे फेंकी गई, सब कुछ बाहर आ जाएगा। उद्धव ठाकरे सीएम बनने लायक शख्स नहीं हैं। अगर आज बालासाहेब भी जिंदा होते तो उनको सीएम नहीं बनाते।
16 साल की उम्र में राणे ने थामा था शिवसेना का दामन
महाराष्ट्र के कद्दावर नेता माने जाने वाले नारायण राणे ने 1968 में 16 साल की उम्र में शिवसेना का दामन थामा था। शिवसेना में शामिल होने के बाद नारायण राणे की लोकप्रियता बढ़ती गई। शिवसेना प्रमुख बाला साहब ठाकरे भी नारायण राणे से खासे प्रभावित रहे। इसके चलते उन्होंने राणे को चेंबूर में शिवसेना का शाखा प्रमुख बना दिया। कहा जाता है कि नारायण राणे शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे से खासे प्रभावित हुए। अक्सर राणे के बेबाक बयानों में उनकी छवि झलकती है।1985 से 1990 तक राणे शिवसेना के कॉर्पोरेटर रहे। 1990 में पहली दफा नारायण राणे शिवसेना से विधायक चुने गए। उनको विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी बना दिया गया।
नारायण राणे और उद्धव ठाकरे के बीच पहली लड़ाई
उद्धव ठाकरे के उदय के बाद शिवसेना का चेहरा बदलने लगा। कुछ हद तक शह और मात की सियासत भी शुरू हो गई। ऐसा लगता था कि पार्टी दोनों गुटों में बंट गई थी। दूसरे ग्रुप में नारायण राणे थे। 1999 के विधानसभा चुनाव के लिए घोषित शिवसेना उम्मीदवारों की सूची में 15 नारायण राणे समर्थकों को बाहर कर दिया। यहीं पर नारायण राणे और उद्धव ठाकरे के बीच पहली लड़ाई हुई थी।
तत्कालीन आक्रामक शिवसेना नेता नारायण राणे ने 2005 में सनसनीखेज आरोप लगाकर महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी थी कि शिवसेना ने पदों के लिए बाजार बनाया है। कहा जाता है कि यह आरोप शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के खिलाफ नहीं था, बल्कि उद्धव ठाकरे के खिलाफ राणे के गुस्से का विस्फोट था। पिछले 15 सालों में इस धमाके के झटके कई बार महसूस किए गए हैं, उद्धव ठाकरे के खिलाफ राणे जैसे संघर्ष की चिंगारी भी उठी है।
2005 में राणे ने शिवसेना को दी महाराष्ट्र की आखिरी जीत'
उसके बाद बालासाहेब की बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य संबंधी शिकायतों के चलते उद्धव ठाकरे को पार्टी में सबने स्वीकार किया। अलग-अलग स्वभाव, अलग-अलग कार्यशैली और पिछले कुछ वर्षों के घटनाक्रम को देखते हुए उद्धव ठाकरे और नारायण राणे के लिए 'गठबंधन' बनाना मुश्किल था। इसके विपरीत, उनके बीच की खाई चौड़ी हो गई और 2005 में राणे ने शिवसेना को 'महाराष्ट्र की आखिरी जीत' बना दिया।
महाराष्ट्र में पहली बार शिवसेना बैकफुट पर थी
महाराष्ट्र पहली बार ऐसा नेता दिख रहा था जो ठाकरे के खिलाफ खुलकर और बहुत आक्रामक तरीके से बोला। विशेष रूप से, राणे के पास कुछ विधायकों और कार्यकर्ताओं के एक बड़े कैडर की ताकत थी। इसलिए, यह सचमुच शिवसेना पर लगा था और यह स्पष्ट था कि शिवसेना बैकफुट पर चली गई थी।
बालासाहेब का सहारे राणे पर वार
शिवसेना ने राणे को अपने ब्रह्मास्त्र - बालासाहेब के साथ भ्रमित करने की कोशिश की। शिवसेना ने सोचा था कि अगर बालासाहेब बोलेंगे तो राणे चुप रह जाएंगे। लेकिन, उद्धव अपने अनुमान से चूक गए। राणे और राज ठाकरे के विद्रोह के बाद इस बात पर चर्चा हुई थी कि शिवसेना बचेगी या नहीं। हालांकि, उद्धव ने अपने नेतृत्व को साबित किया और पार्टी को कायम रखा। शिवसेना में उद्धव ठाकरे के आगमन के साथ ही नारायण राणे का पार्टी से बाहर कर दिया।