Mamata Banerjee vs Center: ममता व केंद्र में टकराव चरम पर, PM की मीटिंग में देरी से पहुंचे मुख्य सचिव का दिल्ली तबादला
Mamata Banerjee vs Center: केंद्र सरकार की ओर से जारी आदेश में मुख्य सचिव को 31 मई की सुबह 10 बजे से पहले रिपोर्ट करने को कहा गया है।
नई दिल्ली: चक्रवाती तूफान यास (Cyclone Yaas) जाते-जाते एक बड़ा सियासी तूफान भी खड़ा कर गया। यास से होने वाले नुकसान की समीक्षा के लिए पश्चिम बंगाल में हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की बैठक के बाद एक बड़ा सियासी संग्राम शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री की बैठक में मुख्यमंत्री के साथ 30 मिनट देरी से पहुंचने वाले पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय का दिल्ली ट्रांसफर कर दिया गया है। केंद्र सरकार की ओर से जारी आदेश में मुख्य सचिव को 31 मई की सुबह 10 बजे से पहले रिपोर्ट करने को कहा गया है।
ममता सरकार और केंद्र सरकार के बीच पहले से ही टकराव चल रहा है और केंद्र सरकार के इस आदेश के बाद यह टकराव चरम पर पहुंच गया है। माना जा रहा है कि ममता बनर्जी भी केंद्र सरकार के इस कदम का तीखा जवाब देने में लगी हुई हैं। हालांकि उन्होंने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल सरकार से मुख्य सचिव को जल्द से जल्द रिलीव करने का अनुरोध किया है ताकि वे केंद्र में आकर अपनी जिम्मेदारी संभाल सकें।
पीएम को करना पड़ा आधे घंटे इंतजार
दरअसल प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को यास तूफान से हुए नुकसान का जायजा लेने पश्चिम बंगाल पहुंचे तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बैठक में हिस्सा लेने के लिए समय पर नहीं पहुंचीं। जानकारों के मुताबिक वह मीटिंग में शुभेंदु अधिकारी को बुलाए जाने से नाराज थीं। मुख्यमंत्री के साथ ही मुख्य सचिव भी बैठक में नहीं पहुंचे। प्रधानमंत्री मोदी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ को करीब 30 मिनट तक मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव का इंतजार करना पड़ा।
सीएम के साथ देरी से पहुंचे मुख्य सचिव
बाद में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय के साथ पश्चिमी मेदिनीपुर जिले के कलाइकुंडा में हुई इस बैठक में पहुंचीं और जल्द ही प्रधानमंत्री को तूफान से हुए नुकसान की रिपोर्ट सौंपकर बैठक से चली गईं। बैठक से निकलने के बाद उन्होंने कहा कि मैंने तूफान से जुड़े हुए दस्तावेज प्रधानमंत्री को सौंप दिए हैं और उनकी अनुमति लेकर बैठक से बाहर आई हैं। माना जा रहा है कि इसके बाद ही केंद्र सरकार की ओर से कड़ा कदम उठाते हुए मुख्य सचिव का दिल्ली तबादला कर दिया गया है।
चार दिन पहले ही बढ़ा था कार्यकाल
मुख्य सचिव अलपन बंधोपाध्याय का कार्यकाल इसी महीने के आखिर में खत्म होने वाला था मगर 4 दिन पहले 24 मई को ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनका कार्यकाल 3 महीने बढ़ा दिया था। 1987 बैच के आईएएस अफसर बंदोपाध्याय को ममता बनर्जी का काफी करीबी माना जाता है। वह बंगाल में कई जिलों के डीएम रह चुके हैं। पिछले साल सितंबर में राजीव सिन्हा के रिटायरमेंट के बाद उन्हें पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव पद पर नियुक्त किया गया था।
मुख्य सचिव के तबादले पर टीएमसी भड़की
केंद्र सरकार की ओर से उठाए गए इस कदम पर तृणमूल कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है। टीएमसी नेता और राज्यसभा सदस्य सुखेंदु शेखर राय ने मुख्य सचिव के ट्रांसफर पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि क्या आजादी के बाद आज तक ऐसा कभी हुआ है? उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव जैसे वरिष्ठ अफसर को जबरन केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेजने का आदेश जारी किया गया है।
उन्होंने कहा कि सबको यह सोचना होगा कि मोदी और शाह की भाजपा अब और कितना नीचे गिरेगी। उन्होंने कहा कि हाल में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल के लोगों ने मोदी और शाह को ठुकरा दिया था और ममता बनर्जी के समर्थन में भारी जनादेश दिया था। चुनाव नतीजे आने के बाद से ही केंद्र सरकार में बौखलाहट दिख रही है।
भाजपा ने ममता पर बोला हमला
दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी ने भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ तीखा बयान दिया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि ममता का व्यवहार पीड़ादायक और दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी की गलत नीतियों और क्षुद्र राजनीति की वजह से ही पश्चिम बंगाल के लोग परेशानी झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदा के बाद प्रधानमंत्री जनता को सहायता देने के भाव से बंगाल गए थे मगर उनके साथ इस तरह का व्यवहार किया जाना पीड़ादायक है।
रक्षा मंत्री ने भी घटनाक्रम को दुर्भाग्यपूर्ण बताया
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी पश्चिम बंगाल के शुक्रवार के घटनाक्रम को भी स्तब्ध करने वाला बताया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री व्यक्ति नहीं, संस्था हैं। आपदा काल में बंगाल की जनता को सहायता देने के लिए पहुंचे प्रधानमंत्री के साथ इस तरह का व्यवहार किया जाना पीड़ादायक है। यह राजनीतिक मतभेदों को जनसेवा के संकल्प व संवैधानिक कर्तव्य से ऊपर रखने का दुर्भाग्यपूर्ण उदाहरण है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी कहा कि टकराव का यह रुख राज्य और लोकतंत्र के हित में नहीं है। प्रधानमंत्री की बैठक में मौजूद राज्यपाल ने बाद में अपने ट्वीट में कहा कि मुख्यमंत्री और अफसरों का यह रवैया संविधान और कानून के शासन के अनुरूप नहीं है।