आपके खून में प्लास्टिक: 80 प्रतिशत लोगों में ऐसा, वैज्ञानिकों ने किया बड़ा खुलासा

Microplastics in Blood: शोध से पता चला है कि प्लास्टिक के कण शरीर के भीतर चारों ओर यात्रा कर सकते हैं और अंगों में रह सकते हैं।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Vidushi Mishra
Update: 2022-03-24 16:31 GMT

खून में माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण (फोटो-सोशल मीडिया) 

Microplastics in Blood: प्लास्टिक हर जगह मौजूद है। कहीं बड़े आकार में तो कहीं माइक्रो यानी अतिसूक्ष्म आकार में। अब तो इनसानों के खून में माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण पहुँच चुका है। वैज्ञानिकों ने परीक्षण किए गए लगभग 80 फीसदी लोगों में प्लास्टिक के छोटे कणों का पता लगाया है।

शोध से पता चला है कि प्लास्टिक के कण शरीर के भीतर चारों ओर यात्रा कर सकते हैं और अंगों में रह सकते हैं। इनका मानव स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है, ये अभी तक पता नहीं चला है। लेकिन शोधकर्ताओं इस बात से चिंतित हैं क्योंकि माइक्रोप्लास्टिक्स प्रयोगशाला में मानव कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं। ये तो पहले से पता है कि वायु प्रदूषण के कण शरीर में प्रवेश करते हैं और इसकी वजह से हर साल वर्ष में लाखों मौतें होती हैं।

हर जगह है प्लास्टिक

पर्यावरण में भारी मात्रा में प्लास्टिक कचरा फेंका जाता है और माइक्रोप्लास्टिक अब माउंट एवरेस्ट के शिखर से लेकर सबसे गहरे महासागरों तक पूरे ग्रह को दूषित कर रहा है। ये पहले से पता है कि लोग भोजन और पानी के साथ-साथ सांस लेने के माध्यम से प्लास्टिक के छोटे कणों को अपने भीतर ले जा रहे हैं। प्लास्टिक के कण शिशुओं और वयस्कों के मल में पाए गए हैं।

बोतल, पैकेजिंग और बैग की प्लास्टिक पहुँची खून में

वैज्ञानिकों ने पूरी तरह स्वस्थ 22 गुमनाम व्यस्क वालंटियर्स के रक्त के नमूनों का विश्लेषण किया और 17 में प्लास्टिक के कण पाए। आधे नमूनों में पीईटी प्लास्टिक था, जो आमतौर पर पेय की बोतलों में उपयोग किया जाता है, जबकि एक तिहाई नमूनों में पॉलीस्टाइनिन पाया गया जिसका उपयोग भोजन और अन्य उत्पादों की पैकेजिंग के लिए किया जाता है। एक चौथाई रक्त के नमूनों में पॉलीइथाइलीन था, जिससे प्लास्टिक वाहक बैग बनाए जाते हैं।

नीदरलैंड में व्रीजे यूनिवर्सिटिट एम्स्टर्डम के एक इकोटॉक्सिकोलॉजिस्ट प्रोफेसर डिक वेथाक ने कहा - हमारा अध्ययन पहला संकेत है कि हमारे रक्त में पॉलीमर कण हैं। यह एक ब्रेकथ्रू स्टडी है। हमें अनुसंधान का विस्तार करना होगा और नमूना आकार, मूल्यांकन किए गए पॉलिमर की संख्या आदि में वृद्धि करनी होगी। उन्होंने कहा कि कई समूहों द्वारा आगे के अध्ययन पहले से ही चल रहे हैं।

उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से चिंतित होना चाहिए क्योंकि प्लास्टिक कण पूरे शरीर में घूम रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछली स्टडी से पता चला है कि वयस्कों की तुलना में शिशुओं के मल में माइक्रोप्लास्टिक 10 गुना अधिक था और प्लास्टिक की बोतलों से खिलाए गए बच्चे एक दिन में लाखों माइक्रोप्लास्टिक कण निगल रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हम सामान्य रूप से यह भी जानते हैं कि बच्चे और छोटे बच्चे रासायनिक और कण जोखिम के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। यह बहुत चिंतित करने वाली बात है।

बड़ा सवाल यह है कि हमारे शरीर में क्या हो रहा है? क्या कण शरीर में बरकरार हैं? क्या उन्हें कुछ अंगों में ले जाया जाता है, जैसे कि ब्लड-ब्रेन बैरियर को पार करना? और क्या ये स्तर बीमारी को ट्रिगर करने के लिए पर्याप्त रूप से काफी है? हमें तत्काल आगे के शोध को गंभीरता देने की आवश्यकता है ताकि हम पता लगा सकें।

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