Monsoon Session 2021 Update: किसानों का मुद्दा गरमाया, BJP का राहुल पर पलटवार, कांग्रेस के घोषणापत्र की याद दिलाई
Monsoon Session 2021 Update: केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार कई बार यह बात पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि वह कृषि कानूनों के मुद्दे पर खुले मन से चर्चा करने के लिए तैयार है।
Monsoon Session 2021 Update: केंद्र सरकार की ओर से पारित नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ सियासत लगातार गरमाती जा रही है। संसद (Parliament) के मानसून सत्र (Monsoon Session 2021) के दौरान किसानों के मुद्दे पर राहुल गांधी की ओर से निकाले गए ट्रैक्टर मार्च (Rahul Gandhi Tractor Politics) के बाद यह मुद्दा और गरमा गया है। मानसून सत्र के दौरान विपक्ष ने किसानों के मुद्दे पर सरकार को घेरने की रणनीति तैयार की है। विपक्ष के रवैये को देखते हुए सरकार ने भी कांग्रेस पर पलटवार किया है।
मोदी सरकार की ओर से मोर्चा संभालते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar) ने कहा कि सरकार कई बार यह बात पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि वह कृषि कानूनों के मुद्दे पर खुले मन से चर्चा करने के लिए तैयार है। किसान संगठन केवल अपनी जिद पर अड़े हुए हैं जबकि उनके पास कृषि कानूनों को लेकर कोई ठोस प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने राहुल गांधी को घेरते हुए कहा कि वे लगातार किसानों को गुमराह करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। उन्होंने राहुल गांधी को कांग्रेस के घोषणापत्र की भी याद दिलाई।
राहुल के ट्रैक्टर मार्च से गरमाया मामला (Rahul Gandhi Tractor March)
दरअसल कांग्रेस नेता राहुल गांधी सोमवार को कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध जताने के लिए ट्रैक्टर चलाकर संसद पहुंचे। इस दौरान राहुल गांधी के साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे। बाद में दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला, कांग्रेस सचिव प्रणव झा और युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी को हिरासत में ले लिया। हालांकि कुछ देर बाद पुलिस ने इन सभी नेताओं को रिहा कर दिया।
दिल्ली पुलिस ने उस ट्रैक्टर को भी जब्त कर लिया है जिस पर बैठकर राहुल गांधी संसद पहुंचे थे। पुलिस सूत्रों का कहना है कि इस ट्रैक्टर को एक ट्रक में छिपाकर नई दिल्ली में एक नेता के घर पहुंचाया गया था। संसद पहुंचने के बाद मीडिया से बातचीत में राहुल गांधी ने कृषि कानूनों को लेकर मोदी सरकार को घेरा था। उन्होंने आरोप लगाया कि पीएम मोदी ने बड़े उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए यह काला कानून बनाया है। उनका यह भी कहना था कि सरकार को नए कृषि कानून हर सूरत में वापस लेना होगा।
तोमर ने राहुल गांधी को घेरा
राहुल गांधी के ट्रैक्टर मार्च के बाद अब इस मुद्दे को लेकर सियासत गरमा गई है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कांग्रेस पर जवाबी पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि सच्चाई तो यह है कि राहुल गांधी के मन में देश के गरीबों और किसानों के लिए कोई दर्द नहीं है।
उन्होंने राहुल गांधी को कांग्रेस के घोषणापत्र की भी याद दिलाई। तोमर ने कहा कि कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में कृषि कानूनों को लाने की बात कही थी। कांग्रेस नेता को स्पष्ट करना चाहिए कि वे अपने घोषणापत्र में झूठ बोल रहे थे या आज इस मुद्दे पर झूठ बोलकर किसानों को गुमराह करने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
किसानों को गुमराह करने की साजिश
तोमर ने कहा कि कांग्रेस को किसानों को गुमराह करने से बाज आना चाहिए। उन्होंने कहा कि राहुल को किसानों से जुड़े मुद्दों की जानकारी ही नहीं है और वे किसानों को बरगलाने की साजिश में जुटे हुए हैं। अपनी हल्की सोच के कारण ही वे अपनी पार्टी में भी सर्वमान्य नेता की छवि नहीं बना पाए हैं।
तोमर ने किसान संगठनों को भी घेरते हुए कहा कि उनके पास कृषि कानूनों के संबंध में कोई ठोस प्रस्ताव नहीं है। सरकार उनसे कई दौर की बातचीत कर चुकी है मगर किसान संगठन इस बाबत कोई ठोस प्रस्ताव नहीं दे सके। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों पर हम खुले दिल से चर्चा करने के लिए तैयार हैं मगर सरकार यह भी स्पष्ट कर देना चाहती है कि इन कानूनों को रद्द नहीं किया जाएगा।
किसान संगठनों की बड़ी रणनीति
दूसरी ओर किसान संगठन भी आंदोलन के आठ महीने पूरे होने के बाद आंदोलन को गरमाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। किसान नेता राकेश टिकैत ने आंदोलन के नए चरण का ऐलान किया है। उन्होंने पांच सितंबर को किसानों के मुद्दे पर बड़ी पंचायत आयोजित करने की घोषणा की है।
टिकैत ने कहा कि इससे पहले प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर अठारह बड़ी पंचायतों का आयोजन किया जाएगा। प्रदेश के हर जिले में किसान संगठनों की ओर से बैठकों का आयोजन होगा। उन्होंने दिल्ली की तरह लखनऊ की घेराबंदी करने की भी चेतावनी दी है। जानकारों के मुताबिक किसान संगठन सरकार पर दबाव बढ़ाने की रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और यही कारण है कि किसान संगठनों ने भाजपा पर दबाव बढ़ाने के लिए प्रदेश में आंदोलन को बड़ा रूप देने की रूपरेखा तैयार की है।