Subramanian Swamy : BJP का वह शख्स जिसके बोल लगातार चुभते रहे मोदी सरकार को

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सुब्रमण्यम स्वामी का नाम शामिल नहीं किया है। बीजेपी की इस 80 सदस्यीय कार्यकारिणी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कई केंद्रीय मंत्रियों, राज्य के नेताओं के नाम शामिल हैं।

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Published By :  Deepak Kumar
Update:2021-10-08 13:11 IST

पीएम नरेंद्र मोदी व एमपी सुब्रमण्यम स्वामी। (Social Media)

Lucknow: देश-विदेश, आर्थिक, रक्षा, राजनीति सहित कोई भी मुद्दा हो कोई बोले न बोले स्वामी जी जरूर बोलते हैं। जी, सुब्रमण्यम स्वामी। वही, सुब्रमण्यम स्वामी जिन्हें गुरुवार (07 अक्टूबर)  भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल नहीं किया है। बीजेपी की इस 80 सदस्यीय कार्यकारिणी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कई केंद्रीय मंत्रियों, राज्य के नेताओं के नाम शामिल हैं। लेकिन इस सूची में सुब्रमण्यम स्वामी का नाम नहीं है। इसकी वजह हाल में उनके बागी तेवरों को बताया जा रहा है। 

सुब्रमण्यम स्वामी के लिए एक बात प्रचलित है कि जरूरी नहीं कि उनके निशाने पर हर वक्त विपक्षी पार्टी या नेता ही हों। उनकी जुबान रूपी बंदूक से निकली गोली से अधिकतर बार 'अपने' ही घायल होते हैं। स्वामी अक्सर ट्विटर पर भी बेबाकी से लिखते नजर आते हैं। फिर उस पर बवाल मचना आम है। ऐसे कई मौके आए जब सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी ही सरकार को घेरा। उनके बयानों से विपक्ष को मोदी सरकार पर निशाना साधने का मौका मिल गया। स्वामी के ऐसे ही कुछ बयान जिससे मोदी सरकार बैकफुट पर आई। 

सार्वजनिक उद्यम बेचना मानसिक दिवालियापन

स्वामी के निशाने पर हाल ही में निर्मला सीतारमण आ गईं, क्योंकि अभी वही वित्त मंत्री हैं। आये दिन उनके तल्ख शब्द मोदी सरकार को चुभते रहे हैं। हाल ही में एक ट्वीट कर सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सार्वजनिक उद्यम को बेचे जाने पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, 'ऐसे समय में जब अर्थव्यवस्था लगातार गिर रही है, सार्वजनिक उद्यम बेचना मानसिक दिवालियापन है। ट्वीट में लिखा, 'जब देश की अर्थव्यवस्था में गहरी गिरावट हो रही है। ऐसे समय में सार्वजनिक उद्यम बेचना मानसिक दिवालियापन और हताशा का संकेत है। यह अच्छी सोच नहीं है। मोदी सरकार इस बात से इनकार नहीं कर सकती कि सीएसओ के आंकड़े बताते हैं कि 2016 के बाद से जीडीपी की ग्रोथ तिमाही दर साल गिरती रही है।

अरुण जेटली को घमंडी कहा था 

स्वामी के निशाने पर सबसे आगे वही शख्स होता है, जो वित्त मंत्रालय देख रहा होता है। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में स्वामी के निशाने पर तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली रहते थे।कालेधन मामले पर उन्होंने अरुण जेटली को घमंडी तक कह दिया था। जेटली पर ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा था, 'मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई बार उपाय बताए कि वो काला धन कैसे भारत लायेगी।लेकिन वित्त मंत्रालय पहुंचते ही मेरा पत्र रद्दी में डाल दिया गया। इसकी वजह मंत्रालय में मौजूद वित्त मंत्री अरुण जेटली का घमंडी होना है।'  

पेगासस पर भी सरकार से मांगी सफाई 

हाल के ही महीने में जब संसद सत्र के दौरान विपक्ष ने पेगासस जासूसी मामला जोर-शोर से उठाया था तब स्वामी ने फिर अपने चिर-परिचित अंदाज में ट्वीट कर मोदी सरकार को ही असहज कर दिया था। सत्र के दौरान हंगामे के बीच उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि 'पेगासस स्पाईवेयर एक व्यावसायिक कंपनी है। जो पैसा लेकर ही काम करती है। इसलिए एक सवाल लाजमी है कि भारतीय लोगों पर जासूसी के लिए उन्हें पैसे किसने दिए? अगर भारत सरकार ने नहीं दिए, तो आखिर किसने दिए। मोदी सरकार को इसका जवाब देश की जनता को देना चाहिए।' हालांकि संसद सत्र शुरू होने से पहले स्वामी ही थे जिन्होंने कहा था कि 'वाशिंगटन पोस्ट और लंदन गार्डियन एक रिपोर्ट छापने जा रहा है, जिसमें इजरायल की कम्पनी पेगासस को मोदी कैबिनेट के मंत्री, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और पत्रकारों के फोन टैप करने के लिए हायर किए जाने का भंडाफोड़ होगा।'   

पंजशीर मसले पर भी लताड़ा 

बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी इसी साल तब एक बार और भड़के जब विदेश मंत्री एस.जयशंकर के 'ब्रिक्स सम्मेलन 2021' में चीन के साथ मंच साझा करने की बात आई। इसी क्रम में उन्होंने अफगानिस्तान की पंजशीर घाटी में पाकिस्तानी दखल के मुद्दे पर भी भारत सरकार को खरी-खरी सुनाई। कहा, पंजशीर मसले पर ईरान आलोचना कर रहा है लेकिन भारत चुप है।

कश्मीर पर सरेंडर वाला ट्वीट 

इसी साल की शुरुआत में भारत सरकार के पाकिस्तान के साथ व्यापार बहाली की संभावना जताई जा रही थी। इस बात को बल तब मिला जब केंद्र सरकार ने भी कुछ सकारात्मक इशारे दिए। हालांकि ये बातें न सिरे चढ़ी और न कोई बात आगे बढ़ी । लेकिन स्वामी का ट्वीट आ गया। ट्वीट कर उन्होंने लिखा, 'कश्मीर पर सरेंडर। गुड बाय पीओके। मुझे यकीन है कि जल्दी ही मोदी, इमरान के साथ लंदन में डिनर करेंगे।' बस, इतना कहना था कि विपक्षी भी मोदी सरकार पर हमलावर हो गए। असहज होने की बारी एक बार फिर बीजेपी की थी।   

'ये ईमानदार लोगों के लिए त्रासदी'

सुब्रमण्यम स्वामी ने हाल ही में ट्वीट करते हुए मोदी सरकार को घेरते हुए लिखा, 'पेट्रोल, डीजल और दूसरे ईंधन की कीमतें भारत के ईमानदार लोगों के लिए एक त्रासदी बन गई है। लगातार बढ़ती कीमतें मांग को कम कर देंगी। साथ ही, यह देश में आर्थिक सुधारों को और ज्यादा मुश्किल बना देगा।' स्वामी आर्थिक नीतियों को लेकर मोदी सरकार के आलोचक रहे हैं। ये ट्वीट उसी की बानगी हैं। स्वामी ने एक ओर इसे आम लोगों के लिए एक त्रासदी बताया है, तो वहीं दूसरी ओर देश की अर्थव्यवस्था के विकास के लिए भी इसे खराब कहा है।

नोटबंदी के सरकारी आंकड़े फर्जी 

यह बात है साल 2017 की। यानि, नोटबंदी के ठीक एक साल बाद की। अहमदाबाद में चार्टर्ड अकाउंटेंट के एक कार्यक्रम में स्वामी ने यह कहकर बवाल मचा दिया था कि सरकार ने नोटबंदी का अर्थव्यवस्था और जीडीपी पर विपरीत असर नहीं दिखाने के लिए केंद्रीय सांख्यिकी संगठन के अधिकारियों पर बेहतर आर्थिक आंकड़े देने का दबाव बनाया था। स्वामी ने तब सरकारी आंकड़ों को फर्जी बताया था। 

पीएनबी घोटाले पर वित्त मंत्रालय चुप क्यों? 

पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले पर भी बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी ही सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा, कि 'इस मुद्दे पर सिर्फ अरुण जेटली ही नहीं बल्कि पूरा वित्त मंत्रालय ही चुप है। यहां तक की रिजर्व बैंक के बोर्ड में बैठने वाले बैंकिंग सेक्रेटरी भी चुप हैं।' स्वामी यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि इतना बड़ा घोटाला सेक्रेटरी बैंकिंग की जानकारी के बिना नहीं हो सकता। स्वामी से जब पूछा गया कि वित्त मंत्री की जगह दूसरे मंत्रालय घोटाले पर क्यों अपनी बात रख रहे हैं। इसके जवाब में तब स्वामी ने कहा था कि ये तो पार्टी अध्यक्ष को पूछना होगा, क्योंकि वो तय करते हैं कि किस मसले पर कौन प्रवक्ता बोलेगा?

'मैं मोदी के खिलाफ नहीं बोलता'

सुब्रह्मण्यम स्वामी के मोदी सरकार पर लगातार हमलावर होने को लेकर जब उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, 'मैं मोदी के खिलाफ कभी नहीं बोलता हूं। वो मेरे दोस्त हैं। मैं जो कहता हूं, उसे पार्टी चार-पांच महीने बाद लागू करती है। मैं पार्टी के हित में बोलता हूं। गुजरात में बहुमत आया है। मैंने 105 सीट कहा था, लेकिन 99 सीटें मिलीं। जिसने 150 कहा था उससे पूछो कि क्यों नहीं आई। अगर उससे पूछोगे तो कह देगा कि जुमला है।' स्वामी का यह जवाब भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को एक बार फिर झेंपने को मजबूर कर गया था। 

बीजेपी नेताओं के वेस्टर्न कपड़ों पर भड़के 

सुब्रह्मण्यम स्वामी एक बार अपनी पार्टी के नेताओं के कपड़ों को लेकर ही भड़क गए। स्वामी बोले, 'वेस्टर्न कपड़े विदेशियों द्वारा थोपी गई कई चीजों में से ही एक है। वेस्टर्न कपड़े भारतीय मौसम के अनुकूल नहीं हैं। यह विदेशियों द्वारा हम पर थोपी गई है। बीजेपी को यह पार्टी अनुशासन के तौर पर लागू करना चाहिए कि पार्टी के सभी मंत्री भारतीय मौसम के अनुकूल ही कपड़े पहनें।' 

बीजेपी में बैन हो शराब

एक बार तो स्वामी बीजेपी नेताओं के शराब पीने से जुड़े मुद्दे पर गरम हो गए। उन्होंने कहा, 'संविधान का आर्टिकल- 49 कहता है, कि शराब को बैन कर देना चाहिए। हालांकि मैं ऐक्शन पैनल में नहीं हूं। लेकिन बीजेपी को पार्टी में अनुशासन के तौर पर शराब पर बैन लगा देना चाहिए।'

ममता बनर्जी को रोम जाने से क्यों रोका

हाल ही में जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को केंद्र की मोदी सरकार ने रोम जाने के लिए अनुमति नहीं दी, तो केंद्र के इस फैसले पर ममता ने तो हमला बोला ही, खुद बीजेपी के सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने भी अपनी ही सरकार को घेरा। स्वामी ने अपनी ही पार्टी की सरकार से पूछा है कि आखिर किस वजह से ममता बनर्जी को रोम जाने से रोका गया है। ट्वीट करते हुए उन्होंने पूछा, 'गृह मंत्रालय ने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को रोम में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने से क्यों रोका? कौन सा कानून उन्हें जाने से रोकता है?' बता दें कि ममता बनर्जी को 'विश्व शांति सम्मेलन' में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया गया था।

इसके अलावा भी कई बार सुब्रह्मण्यम स्वामी ऐसा कुछ न कुछ बोलते रहे हैं जिससे पार्टी की किरकिरी होती रही है। राजनीतिक जानकारों में भी स्वामी को लेकर कई विचार हैं। कोई उन्हें महत्वाकांक्षी कहता है तो कोई दबाव की राजनीति करने वाला, तो कोई बड़बोला। चाहे, जो भी हो जो स्वामी ने अब तक अपने खुलासों और तथ्य से विपक्ष को परेशानियों में डालते रहे हैं, बीते कुछ समय से अपनी ही पार्टी के लिए मुसीबत बने हुए हैं।

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