Mumbai 26/11 Attack: अभी तक मुंबई हमले के दोषी सलाखों से दूर, ये हैं देश के दुश्मन
Mumbai 26/11 Attack News: मुंबई में 26/11 हमले को तेरह साल हो गए, आज मुंबई आतंकवादी हमले की 13वीं बरसी है। ऐसे में मुंबई हमले के हीरोज (Mumbai Hamle ke Heros) को आज याद करने का दिन है। इस खौफनाक हमले में 212 लोग मारे गए थे।
Mumbai 26/11 Attack News: 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले की 13वीं बरसी (13th anniversary of terrorist attack) पर ताजा जानकारी ये है कि एक पाकिस्तानी कनाडाई तहव्वुर हुसैन राणा (Tahawwur Hussain Rana), और चार अन्य, जिन अभियुक्तों पर अमेरिकी अदालत (American Court) में आरोप लगाया गया है, भारत प्रत्यर्पण (extradition to india) किये जाने के फैसले की प्रतीक्षा में हैं। राणा को लॉस एंजिल्स मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर (Los Angeles Metropolitan Detention Center) में रखा जा रहा है। मुंबई हमले की 13वीं बरसी पर (Mumbai Hamle ki 13th Barsi)यह सबसे अहम जानकारी है। ये पांच लोग अभी तक भारत की गिरफ्त से दूर हैं।
राणा के बचपन के दोस्त, पाकिस्तानी अमेरिकी दाउद सैयद गिलानी (Dawood Syed Geelani), जो पश्चिमी नाम डेविड कोलमैन हेडली नाम से जाना जाता हैं वह भी एक संघीय न्यायाधीश द्वारा मुंबई हमलों में मदद करने के आरोप में दोषी ठहराए जाने के बाद 35 साल की सजा काट रहा है। मुंबई 26/11 हमले के आरोप में शिकागो के कारोबारी को आतंकी संबंधों का दोषी करार दिया गया है। जेल में अधिकतम उम्रकैद की सजा से बचने के लिए वह सरकारी गवाह बन गया और राणा के खिलाफ गवाही दी। उन्हें भारत में एक सरकारी गवाह भी घोषित किया गया था और मुंबई सत्र अदालत ने उन्हें 2015 में क्षमा कर दिया और उन्हें अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में स्वीकार कर लिया।
अन्य अभियुक्त
लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) (Lashkar-e-Taiba) का साजिद मीर, जिसे 2008 के हमले के सिलसिले में शिकागो की एक संघीय अदालत में आरोपित किया गया था, एफबीआई की मोस्ट वांटेड आतंकवादी सूची में एक भगोड़ा है, जिसके सिर पर 5 मिलियन डालर का इनाम है। मेजर इकबाल ने कथित तौर पर 26/11 हमले की योजना बनाई थी हमलावरों का कथित प्रशिक्षक अबू काहाफा और लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर मजहर इकबाल उर्फ अबू अल-क़मा है। चारों पाकिस्तान के निवासी हैं।
राणा को शिकागो (Chicago) में एक संघीय अदालत ने लश्कर की मदद करने और एक डेनिश अखबार के खिलाफ एक आतंकवादी साजिश में भाग लेने के लिए दोषी ठहराया था और 2013 में 14 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। उसे कोविड -19 महामारी (covid-19 pandemic) के कारण अस्थायी रूप से रिहा कर दिया गया था, लेकिन भारत से प्रत्यर्पण अनुरोध के बाद पिछले साल जून में एक संघीय अदालत के वारंट पर तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया था और अभी भी हिरासत में है।
इनकी शहादत को नमन
26/11 मुंबई हमले के हीरोज (Mumbai Hamle ke Heros) को आज याद करने का दिन है। इस खौफनाक हमले में 212 लोग मारे गए थे। जिनमें आईपीएस हेमंत करकरे, अशोक कामले, मेजर संदीप उन्नीकृष्णन, पुलिस इंस्पेक्टर विजय सालस्कर, शशांक शिंदे, पुलिस सब इंस्पेक्टर प्रकाश पी. मोरे, भूपसाहेब दुरुगडे, उसिस्टेंट पुलिस सब इंस्पेक्टर तुकाराम जी. ओमबले, बालासाहेब भोसले, पुलिस हेड कांस्टेबल एमसी चौधरी, एनएसजी कमांडो गजेंद्र सिंह, पुलिस कांस्टेबल जयवंत पाटिल, विजय खांडेकर, अरुण चित्ते, योगेश पाटिल, अम्बादास पवार, राहुल एस. शिंदे, होमगार्ड मुकेश बी. जाधव की शहादत को याद करने का दिन है।
26/11 मुंबई हमला एक तरह से भारत के खिलाफ खुली जंग का एलान था। आज इस हमले को 13 साल बीत गए लेकिन पाकिस्तान (Pakistan) की आत्मा आज तक नहीं जागी कि दोषियों को सजा दिलाने की दिशा में पहल करे। जबकि नवाज शरीफ (Nawaz Sharif) ने पाकिस्तान की भूमिका की बात को स्वीकार भी किया था। वास्तव में 26/11 का हमला देश के इतिहास में सबसे अमानवीय और कायरतापूर्ण आतंकी हमलों में से एक था। जिसमें मां भारती के वीर सपूतों और निर्दोष नागरिकों ने शहादत दी थी।
क्या था 26/11 हमला
26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमले में करीब 160 लोगों की जान गई थी और तमाम लोगों ने बुरी तरह घायल होने के बाद घातक चोटों की वजह से दमतोड़ दिया था। इस हमले में 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। तीन दिन तक चले हमले के दौरान हमारे सुरक्षाबलों ने नौ आतंकवादियों को मार गिराया था। इस मुठभेड़ के दौरान एक आतंकवादी गंभीर रूप से घायल होने के बाद जिंदा पुलिस के हाथ लगा था जिसका नाम अजमल कसाब था जिसे 2012 में फांसी दी गई थी।
मुंबई हमले में एके 47, आरडीएक्स, आईईडी और ग्रेनेडों का इस्तेमाल हुआ था जिसमें 166 मासूम लोगों की जान गई थी इसके अलावा तमाम लोग लापता हो गए थे। तीन सौ से अधिक मासूम घायल हुए थे।
हमले का मास्टर माइंड लश्कर ए तैयबा (Lashkar-e-Taiba) का सरगना जकीउर रहमान लखवी (Zakiur Rehman Lakhvi) पाकिस्तान में पकड़ा गया ता। जिसे आतंकवादियो की मदद और पैसे मुहैया कराने के आरोप में पकड़ा गया था। अफसोस की बात ये रह कि तमाम अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद पाकिस्तान ने लखवी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। इस हमले पर तमाम फिल्में बनी जिनको देखकर रूह कांप जाती है।