Nasal Spray Vaccine: कोरोना के खिलाफ नाक वाली वैक्सीन बनेगी गेमचेंजर
Nasal Spray Vaccine: नाक वाली वैक्सीन नाक में स्प्रे द्वारा दी जाती है। चूंकि इसमें इंजेक्शन का प्रयोग नहीं होता है सो बच्चों में इसे बहुत आसानी से दिया जा सकता है।
New Delhi: कोरोना (Coronavirus) के खिलाफ जंग में नाक से दी जाने वाली स्प्रे वैक्सीन (nasal spray vaccine) गेमचेंजर साबित हो सकती है। डेल्टा और ओमीक्रान (Delta and Omicron) के अलावा कोरोना के अन्य वेरियंट के खिलाफ नाक वाली वैक्सीनें बहुत कारगर कवच साबित हो सकते हैं।
भारत (Corona in India) समेत कई देश नाक वाली वैक्सीन डेवलप करने में जुटे हुए हैं और अब ये वैक्सीनें परीक्षण के अंतिम चरणों में हैं। उम्मीद की जा रही है कि 2022 में ऐसी वैक्सीन का रोल आउट शुरू हो जाएगा। भारत में ये वैक्सीन भारत बायोटेक और सीरम इंस्टिट्यूट (Bharat Biotech and Serum Institute) ने बनाई हैं।
क्या है नाक वाली वैक्सीन
नाक वाली वैक्सीन नाक में स्प्रे द्वारा दी जाती है। चूंकि इसमें इंजेक्शन का प्रयोग नहीं होता है सो बच्चों में इसे बहुत आसानी से दिया जा सकता है। ये वैक्सीनें संक्रमण के एंट्री पॉइंट पर ही इम्यून रिस्पांस उत्पन्न करती हैं। ये कोरोना का संक्रमण और ट्रांसमिशन (Corona infection and transmission), दोनों को ही ब्लॉक करती हैं। कोरोना वायरस सबसे पहले नाक और गले के जरिये शरीर में प्रवेश करता है सो उसी जगह पर ये वैक्सीन काम करेगी और एंटीबॉडी पैदा करेगी।
नाक वाली वैक्सीनें बच्चों के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती हैं
डब्लूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक डॉ सौम्या स्वामीनाथन (Dr. Soumya Swaminathan, Chief Scientist of WHO) का कहना है कि नाक वाली वैक्सीनें बच्चों के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती हैं। मौजूदा समय में नेज़ल वैक्सीन का परीक्षण ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, अल्टीम्यून, हांगकांग विश्वविद्यालय, मीसा वैक्सीन, कोडाजेनिक्स और क्यूबा के सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी द्वारा किया जा रहा है।
वैक्सीन को बतौर बूस्टर इस्तेमाल करने की अनुमति भारत बायोटेक ने मांगी
कोवैक्सिन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के साथ मिलकर नाक वाली वैक्सीन डेवलप की है। इस वैक्सीन को बतौर बूस्टर इस्तेमाल करने के लिए तीसरे चरण के ट्रायल की अनुमति भारत बायोटेक ने मांगी है। कम्पनी का प्लान 2022 में एक अरब डोज़ बनाने का है। दूसरी तरफ सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया, अमेरिका की कम्पनी कोडाजेनिक्स के साथ मिलकर कोविवैक नामक नेज़ल वैक्सीन बना रहा है। ये भी अभी परीक्षण के चरण में है।