Navjot Singh Sidhu Ka Istifa: पंजाब कांग्रेस में फिर छिड़ा घमासान, सिद्धू ने अचानक प्रदेश अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा
पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से नवजोत सिंह सिद्धू ने दिया इस्तीफा
नई दिल्ली: पंजाब कांग्रेस में जारी सियाशी तूफान अब तबाही की तरफ बढ़ चला है। मामले को शांत कराने के लिए कांग्रेस ने जहां मुख्यमंत्री कातक बदल दिया वहीं आज प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
नवजोत सिंह सिद्धू बीजेपी की टिकट पर पहली बार 2004 में अमृतसर की लोकसभा सीट से सांसद चुने गये। उन पर एक व्यक्ति की गैर इरादतन हत्या का आरोप लगा। मुकदमा चला और अदालत ने उन्हें 3 साल की सजा सुनायी। जिसके बाद उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से तत्काल त्यागपत्र देकर उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की।
नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तीफा (Navjot Singh Sidhu Ka Istifa)
उच्चतम न्यायालय द्वारा निचली अदालत की सजा पर रोक लगाने के पश्चात उन्होंने दोबारा उसी सीट से चुनाव लड़ा। सीधे मुकाबले में कांग्रेस प्रत्याशी व पंजाब के वित्त मंत्री सुरिन्दर सिंगला को 77,626 वोटों के बड़े अंतर से हराया। 2009 के आम चुनाव में सिद्धू बीजेपी के टिकट से मैदान में उतरे और कांग्रेस के ओम प्रकाश सोनी को 6,858 वोटों से हराकर अमृतसर की सीट पर तीसरी बार विजय हासिल की। मगर 2014 के लोकसभा चुनावों में सिद्धू को भाजपा ने अमृतसर से चुनाव नहीं लड़ने दिया गया। उनकी जगह पार्टी ने अरुण जेटली को उतारा। हालांकि जेटली यह चुनाव हार गए।
नाराज सिद्धू को बीजेपी ने अप्रैल 2016 में राज्यसभा भेजा। लेकिन वे खुश नहीं थे। सिद्धू ने जुलाई 2016 में बीजेपी और राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। बीजेपी छोड़ने के बाद उन्होंने अपनी पार्टी 'आवाज-ए-पंजाब' बनाई। सिद्धू ने जनवरी 2017 में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की। इसके बाद 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा। इसमें सिद्धू ने 42,809 वोटों के अंतर से जीत हासिल की।
कौन हैं नवजोत सिंह सिद्धू (Kaun Hai Navjot Singh Sidhu)
नई दिल्ली: पंजाब कांग्रेस में छिड़ा घमासान थमता नजर नहीं आ रहा है। मुख्यमंत्री पद से कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद अब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने अचानक अपने पद से इस्तीफा देकर हर किसी को चौंका दिया है। सिद्धू से विवाद बढ़ने के बाद ही कैप्टन ने मुख्यमंत्री का पद छोड़ा था। यही कारण है कि सिद्धू के इस्तीफे पर सियासी हलकों में हैरानी जताई जा रही है। जानकार सूत्रों का कहना है कि नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के मंत्रिमंडल के गठन में अपनी राय को तरजीह न दिए जाने से सिद्धू नाराज थे। इसी कारण उन्होंने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। सिद्धू के इस्तीफे से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है क्योंकि कैप्टन के बाद कांग्रेस में सिद्धू ही सबसे बड़ा चेहरा थे। पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में सिद्धू के इस्तीफे से पार्टी की चुनावी संभावनाओं को बड़ा झटका लगना तय माना जा रहा है।
सिद्धू बोले-नहीं कर सकता कोई समझौता
सिद्धू ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी में पंजाब के भविष्य को लेकर कोई समझौता न करने की बात कही है। उनका कहना है कि किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व में गिरावट समझौतों से ही शुरू होती है और मैं समझौता नहीं कर सकता। उन्होंने इसी कारण पद से इस्तीफा देने की बात कही है।
सिद्धू ने अपने पत्र में इस्तीफे के कारणों को पूरी तरह स्पष्ट नहीं किया है । मगर कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के मंत्रिमंडल के विस्तार में सिद्धू की राय को पार्टी हाईकमान की ओर से महत्व न दिया जाना उनकी नाराजगी का बड़ा कारण है। सिद्धू को कुछ चेहरों से परहेज था, तो कुछ चेहरों को वह पंजाब की नई कैबिनेट में शामिल कराना चाहते थे । मगर उन्हें इस अभियान में कामयाबी नहीं मिल सकी। इसी कारण उनके पद छोड़ने की बात बताई जा रही है।
सियासी हलकों में इस्तीफे पर हैरानी
वैसे सियासी हलकों में सिद्धू के अचानक इस्तीफे पर हैरानी जताई जा रही है। कांग्रेस हाईकमान ने पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के विरोध को दरकिनार करते हुए पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर सिद्धू की ताजपोशी की थी। कैप्टन शुरू से ही इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे थे । मगर राहुल और प्रियंका ने यह कदम उठा कर कैप्टन को बड़ा सियासी संदेश देने की कोशिश की थी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद सिद्धू की कैप्टन अमरिंदर सिंह से कभी ट्यूनिंग नहीं बन सकी। हालांकि उनके ताजपोशी कार्यक्रम में कैप्टन ने हिस्सा जरूर लिया था मगर उस कार्यक्रम से ही साफ हो गया था कि आने वाले दिनों में दोनों के बीच बड़ी सियासी जंग शुरू हो सकती है।
बयान पर पैदा हुआ बड़ा विवाद
पिछले दिनों एक कार्यक्रम के दौरान सिद्धू ने ईट से ईट बजा देने का विवादित बयान दिया था। उनका कहना था कि पंजाब कांग्रेस को मजबूत बनाने की दिशा में यदि उनकी बात नहीं मानी गई तो वे ईट से ईट बजा देंगे। उनके इस बयान को लेकर विवाद भी पैदा हुआ था। पार्टी के ही कुछ नेताओं ने मांग की थी कि सिद्धू को यह स्पष्ट करना चाहिए कि आखिर उनका इशारा किस ओर है।
सिद्धू के अचानक इस्तीफे पर हैरानी का सबसे बड़ा कारण यह बताया जा रहा है कि उनसे विवाद के कारण ही कैप्टन जैसे मजबूत नेता को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। कैप्टन के इस्तीफे के बाद सिद्धू को पंजाब कांग्रेस में सबसे दमदार चेहरा माना जा रहा था मगर उनके इस्तीफे से हर कोई सन्न रह गया है।
सिद्धू के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि मैं पहले ही कह रहा था कि वह स्थिर आदमी नहीं है। बॉर्डर से जुड़े पंजाब जैसे राज्य के लिए वह बिल्कुल फिट नहीं है।
विभागों को लेकर शुरू हुई खींचतान
पंजाब में नए मंत्रियों के शपथ ग्रहण के बाद अब विभागों को लेकर खींचतान का दौर शुरू हो गया है। डिप्टी सीएम सुखविंदर सिंह रंधावा की ओर से होम मिनिस्ट्री पर दावा किया गया है। उनके समर्थकों का कहना है कि अकाली सरकार में डिप्टी सीएम रहे सुखबीर बादल के पास भी यही मंत्रालय था। उनके समर्थकों का यह भी कहना है कि रंधावा सीएम बनते-बनते रह गए । मगर अब होम मिनिस्ट्री जैसा प्रमुख विभाग रंधावा को ही दिया जाना चाहिए।
दूसरी ओर सिद्धू इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे थे। मुख्यमंत्री चन्नी ने इस मामले में खुद कोई फैसला नहीं लिया। उन्होंने हाईकमान से इस बाबत फैसला करने का अनुरोध किया है। सिद्धू इस कारण भी नाराज बताए जा रहे हैं। चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस, स्वर्ण मंदिर के दौरे और कई अन्य मौकों पर सिद्धू उन्हें गाइड करते हुए दिखे थे।इस कारण उन्हें सुपर सीएम की भी संज्ञा दी जाने लगी थी । मगर कई मामलों में अपनी अनदेखी से नाराज होकर आखिरकार उन्होंने इस्तीफा देने का बड़ा फैसला ले लिया।
कांग्रेस के लिए आगे की राह मुश्किल
पंजाब में कांग्रेस के दो दमदार चेहरों ने अब अपने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। विधानसभा चुनाव सिर पर है। इसलिए अब यह सवाल उठने लगा है कि पार्टी में छिड़े घमासान को देखते हुए पार्टी आखिर विधानसभा चुनाव में कैसे उतरेगी। राज्य में दूसरे सियासी दलों अकाली-बसपा गठबंधन और आप ने चुनावी सक्रियता बढ़ा दी है मगर कांग्रेस नेतृत्व अभी तक आपसी विवादों को सुलझाने में ही लगा हुआ है।
कैप्टन भी लगातार सिद्धू और पार्टी हाईकमान पर हमला बोल रहे हैं। ऐसे में पार्टी की चुनावी संभावनाओं को लेकर भी सवाल उठाए जाने लगे हैं। आने वाले दिनों में आरोप-प्रत्यारोप के चलते कुछ और कांग्रेस नेताओं के इस्तीफे भी तय माने जा रहे हैं।