नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति बनाएंगे अद्वैत गडनायक, जानें प्रतिमा से जुड़ी सभी जानकारी
Netaji Subhash Chandra Bose Statue: स्वतंत्रता सेनानी और आज़ाद हिंद फौज के संस्थापक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की इस भव्य प्रतिमा को बनाने का काम सरकार ने नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय के महानिदेशक अद्वैत गडनायक को सौंपा है।
Netaji Subhash Chandra Bose Statue: हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने एलान करते हुए कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित इंडिया गेट (India Gate) पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भव्य प्रतिमा लगाई जाएगी, जो कि उनके प्रति भारत के ऋणी होने का प्रतीक होगा। नेताजी की प्रस्तावित भव्य ग्रेनाइट की प्रतिमा 28 फुट ऊंची और छह फुट चौड़ी होगी। वहीं, आज सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के मौके पर पीएम मोदी उनकी ग्रेनाइट की प्रतिमा के होलोग्राम का अनावरण करेंगे।
पीएम मोदी ने अपने एक ट्वीट में कहा था जब तक नेताजी बोस की भव्य प्रतिमा बनकर तैयार नहीं हो जाती, तब तक उनकी होलोग्राम प्रतिमा उसी स्थान पर मौजूद रहेगी। मैं नेताजी की जयंती 23 जनवरी को होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण करूंगा।
किसे मिली मूर्ति बनाने की जिम्मेदारी?
बता दें कि स्वतंत्रता सेनानी और आज़ाद हिंद फौज के संस्थापक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की इस भव्य प्रतिमा को बनाने का काम सरकार ने नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय के महानिदेशक अद्वैत गडनायक (Advaita Gadnayak) को सौंपा है। इसे लेकर गडनायक ने खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि बतौर मूर्तिकार मेरे लिए यह सम्मान की बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुझे यह जिम्मेदारी दी है।
राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय के महानिदेशक अद्वैत गडनायक ने मूर्ति को लेकर कई जानकारियां दी हैं, जिसे लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल हैं। उन्होंने बताया कि यह प्रतिमा 25 फीट ऊंची होगी और इसका निर्माण ग्रेनाइट पत्थर से करवाया जाएगा, जो कि तेलंगाना से लाया जाएगा। इस मूर्ति के डिजाइन को संस्कृति मंत्रालय द्वारा डिजाइन किया गया है। गडनायक ने यह भी बताया कि इस प्रतिमा को रायसीना हिल से आसानी से देखा जा सकेगा।
5-6 महीनों में तैयार हो जाएगी मूर्ति
गडनायक के मुताबिक, प्रधानमंत्री की घोषणा के साथ ही प्रतिमा बनाने की प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया है। यह प्रतिमा नेताजी सुभाष चंद्र बोस के मजबूत किरदार का दर्शन कराएगी। मूर्ति बनाने में पांच से छह महीने का समय लग जाएगा। बताया जा रहा है कि संस्कृति मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट पर दो महीने पहले से ही काम करना शुरू कर दिया था।
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