पेगासस मुद्दे पर बजट सत्र में भारी हंगामे के आसार, विपक्ष के कड़े तेवर ने बढ़ाई मोदी सरकार की मुश्किलें
Parliament Budget Session 2022: जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस को लेकर न्यूयॉर्क टाइम्स की हालिया रिपोर्ट के बाद संसद के बजट सत्र में जबरदस्त हंगामा होने की आशंका जताई जा रही है।
Parliament Budget Session 2022: अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स (New York Times) ने जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस (Pegasus Jasoosi Spyware) पर ऐसे समय में बड़ा खुलासा किया है जब संसद के बजट सत्र (Budget Session) की शुरुआत होने वाली है। संसद के मानसून सत्र के दौरान भी इस मामले को लेकर जबर्दस्त हंगामा हुआ था और अब संसद के बजट सत्र में भी हंगामेदार होने की आशंका जताई जा रही है। अमेरिकी अखबार के खुलासे के बाद ही विपक्ष ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विपक्ष की ओर से सरकार पर देश को गुमराह करने के आरोप लगाए जा रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने तो मोदी सरकार पर देशद्रोही होने तक का आरोप लगा दिया है।
कांग्रेस (Congress) का आरोप है कि सरकार ने संसद व सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) दोनों को धोखा दिया और लोकतंत्र का अपहरण करने का काम किया। पार्टी ने संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से जवाब मांगने की बात भी कही है। विपक्ष के इस रुख से साफ है कि संसद के बजट सत्र के दौरान यह मुद्दा विभिन्न दलों की ओर से जोरदार ढंग से उठाया जाएगा और इसे लेकर मोदी सरकार (Modi Government) की घेराबंदी की जाएगी।
मोदी की यात्रा के दौरान डिफेंस डील
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट (New York Times Report) में खुलासा किया गया है कि पांच साल पहले 2017 में भारत ने इजरायल के साथ दो बिलियन डालर की डिफेंस डील (India Israel Defense Deal) की थी। इस डील के तहत भारत ने इजरायल से एक मिसाइल सिस्टम के साथ कुछ अन्य हथियार भी खरीदे थे। पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर (Pegasus Spy Software) भी इसी डिफेंस डील का हिस्सा था और उसे भी भारत सरकार की ओर से खरीदा गया था।
प्रधानमंत्री मोदी की 2017 में इजरायल यात्रा के दौरान यह डिफेंस डील की गई थी। 2017 में पीएम मोदी इजरायल का दौरा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने थे। उस समय इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (PM Benjamin Netanyahu) थे और मोदी की इस यात्रा के दौरान ही इजरायल के साथ भारी-भरकम डिफेंस डील की गई थी।
इस डिफेंस डील में जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस को भी शामिल किया गया था। पीएम मोदी के इजरायल दौरे के बाद वहां के प्रधानमंत्री नेतनयाहू भी भारत दौरे (PM Benjamin Netanyahu India Visit) पर पहुंचे थे। नेतनयाहू से मोदी की दोस्ती काफी चर्चाओं में रही है। पीएम मोदी और नेतनयाहू एक-दूसरे को अपना खास दोस्त बताते रहे हैं।
खुलासे के बाद विपक्ष का कड़ा तेवर
संसद के मानसून सत्र (Parliament Monsoon Session) के दौरान भी यह मामला जोरदार ढंग से उठाया गया था। उस समय रक्षा मंत्री की ओर से संसद में स्पष्ट किया गया था कि जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस बनाने वाली कंपनी एनएसओ से सरकार की ओर से कोई सौदा नहीं किया गया है। दूसरी ओर न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि सरकार की ओर से ही एनएसओ से जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस का सौदा किया गया था। अब इस खुलासे के बाद विपक्ष ने अपने तेवर कड़े कर लिए हैं।
हालांकि अभी तक सरकार की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। शीर्ष अदालत की ओर से पहले ही मामले की जांच के आदेश दिए जा चुके हैं। वैसे केंद्रीय मंत्री वीके सिंह (Vijay Kumar Singh) ने विपक्ष की आलोचनाओं का जवाब दिया है। उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स को सुपारी मीडिया बताते हुए कहा कि उसकी रिपोर्ट पर कैसे भरोसा किया जा सकता है।
सरकार पर देश को गुमराह करने का आरोप
दूसरी ओर कांग्रेस की ओर से इस मुद्दे पर देश को गुमराह करने का आरोप लगाया जा रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी का कहना है कि मोदी सरकार ने लोकतंत्र की प्राथमिक संस्थाओं, नेताओं व अन्य प्रमुख लोगों की जासूसी कराने के लिए ही पेगासस खरीदा था। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला (Randeep Surjewala) ने भी आरोप लगाया कि भाजपा ने देश की जनता को धोखा देने के लिए बड़ी साजिश रची है। करदाताओं के पैसे का इस्तेमाल जासूसी सॉफ्टवेयर खरीदने के लिए किया गया और उससे ही जनता की जासूसी कराई गई।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मलिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया है कि सरकार की ओर से जासूसी सॉफ्टवेयर के अवैध उपयोग की जांच की मांग को रोक दिया गया था। अब इस खुलासे के बाद सरकार पूरी तरह कटघरे में खड़ी दिखाई दे रही है। सुब्रमण्यम स्वामी (Subramanian Swamy) ने भी न्यूयॉर्क टाइम्स के खुलासे के बाद सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं।
अब संसद बनेगी जंग का अखाड़ा
जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल एक संवेदनशील मसला है और पिछले साल जुलाई में इस मामले का खुलासा होने के बाद संसद में भारी हंगामा हुआ था। इस मामले को लेकर संसद कई दिनों तक ठप रही थी। विपक्ष का आरोप था कि सरकार विपक्षी नेताओं के साथ ही प्रमुख लोगों की जासूसी कराने में लगी हुई है। जानकारों का मानना है कि संसद के बजट सत्र की जल्द ही शुरुआत होने वाली है और उससे पहले अमेरिकी अखबार का यह खुलासा सरकार की मुश्किलें बढ़ाने वाला साबित होगा।
विपक्ष के तेवर से साफ करके बजट सत्र के दौरान इस मामले की गूंज सुनाई पड़ेगी और विपक्ष एक बार फिर मोदी सरकार की घेराबंदी में जुटेगा। पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के बीच यह खुलासा निश्चित तौर पर सरकार की मुश्किलें बढ़ाएगा। अभी तो जंग संसद के बाहर लड़ी जा रही है मगर बजट सत्र की शुरुआत के साथ ही संसद भी इस जंग का अखाड़ा बन जाएगी।
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