Pegasus Jasoosi Case: सुप्रीम कोर्ट पहुंचा पेगासस का मामला, गृह मंत्रालय से पूछताछ की तैयारी

Pegasus Jasoosi Case : इजरायली स्पाइवेयर पिगेसस जासूसी मामले में कांग्रेस नेता शशि थरूर की अध्यक्षता में एक संसदीय समिति जल्द ही आईटी और गृह मंत्रालय के अधिकारियों से पूछताछ कर सकती है।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Shivani
Update:2021-07-22 12:15 IST

सुप्रीम कोर्ट (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Pegasus Jasoosi Case : इजरायली स्पाइवेयर पिगेसस के जरिये फोन टैपिंग के आरोपों पर भारत में अभी तक सिर्फ आरोप प्रत्यारोप ही चल रहे हैं। हालांकि कांग्रेस नेता शशि थरूर की अध्यक्षता में एक संसदीय समिति जल्द ही आईटी और गृह मंत्रालय के अधिकारियों से पूछताछ कर सकती है। 28 जुलाई को पेगासस के मामले में कमिटी की बैठक है। वहीं सुप्रीम कोर्ट तक भी पेगासस के जरीए जासूसी का मामला पहुंच गया है।

इजराइल की कंपनी NSO Group के स्पाईवेयर पेगासस साॅफ्टवेयर के जरीए दुनिया के 10 प्रधानमंत्रियों, तीन राष्ट्रपति और एक किंग तक को निशाना बनाया गया है। 40 देशों के कई बड़े मीडियाकर्मियों, सत्ता और विपक्ष के कई नेताओं, मंत्रियों के फोन हैक करने का खुलासा हुआ, जिसमें भारत का नाम भी शामिल है। 

शशि थरूर की समिति

इन हालातों के बीच लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग से जुड़ी एक संसदीय समिति की बैठक 28 जुलाई को निर्धारित है। इस समिति के अध्यक्ष कांग्रेस नेता शशि थरूर हैं। ऐसे में अटकल लगाई जा रही है कि समिति गृह मंत्रालय सहित अन्य सरकारी अधिकारियों से पूछताछ कर सकती है।समिति की बैठक का एजेंडा 'नागरिक डाटा सुरक्षा एवं निजता' है। समिति ने इलेक्ट्रानिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी एवं गृह मंत्रालय के अधिकारियों को बुलाया है। वैसे, इस समिति में अधिकतर सदस्य सत्तारूढ़ भाजपा से हैं।


संसदीय समिति से जांच की मांग

जासूसी मामले की जांच एक संयुक्त संसदीय समिति से कराए जाने की मांग भी जोर पकड़ रही है। कांग्रेस के बाद अब शिवसेना नेता संजय राउत ने पेगासस प्रकरण का मुद्दा उठाते हुए कहा है कि विपक्ष की ओर से संयुक्त संसदीय समिति और सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप की मांग की गई है। यदि रवि शंकर प्रसाद विपक्ष में होते तो वो भी यहीं मांग करते।

ममता बनर्जी ने आरोप लगाया

पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा है कि भाजपा एक लोकतांत्रिक देश को कल्याणकारी राष्ट्र के बजाय निगरानी वाले राष्ट्र में बदलना चाहती है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि वह जासूसी स्कैंडल का संज्ञान ले। उन्होंने विपक्षी दलों से कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए सभी को साथ आना होगा। ममता ने केंद्र पर पेट्रोल-डीजल पर कर से संग्रहित धन का इस्तेमाल कल्याणकारी योजनाओं के लिए करने के बजाय 'एक खतरनाक सॉफ्टवेयर' से जासूसी करने के लिए खर्च करने का आरोप लगाया। ममता बनर्जी ने कहा, 'मुझे पता है कि मेरा फोन टैप किया जा रहा है। विपक्ष के सारे नेता जानते हैं कि उनके फोन टैप किये जा रहे हैं। लेकिन हमारी जासूसी कराने से वे 2024 के लोकसभा चुनाव में नहीं बच पाएंगे।'

सॉफ्टवेयर बैन करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका

वहीं मामला अब भारत के शीर्ष अदालत तक पहुंच गया है। वकील मनोहर लाल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है, जिसमें पेगासस जासूसी मामले की एसआईटी (Special Investigation Team) से जांच कराने की मांग की गई है। इसके साथ ही भारत में पेगासस सॉफ्टवेयर (Pegasus Spyware) की खरीद पर पूरी तरह से रोक लगाए जाने की भी मांग की गई है। याचिका में एसआईटी जांच को सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराए जाने की भी मांग की गई।


इजरायल कराएगा जांच

बता दें कि पिगेसस जासूसी मामले में खुलासा हुआ है कि 45 देशों में इस स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया गया है। मामला उछलने के बाद इजरायल की सरकार इसकी जांच कराने जा रही है। यह जांच इसलिए कराई जा रही है ताकि जासूसी कांड के खुलासे के बाद अन्य देशों के साथ उसके कूटनीतिक रिश्तों पर असर नहीं पड़े। एक रिपोर्ट के अनुसार इजरायल की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह पिगेसस जांच टीम की अगुवाई करे। इस जांच टीम में रक्षा मंत्रालय, न्याय मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, मिलिट्री इंटेलिजेंस और मोसाद के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

ये पता किया जाएगा कि क्या संवेदनशील साइबर निर्यातों के लिए नीतिगत बदलाव जरूरी हैं। इजरायल पर जबरदस्त कूटनीतिक दबाव है क्योंकि विभिन्न सरकारों का इस जासूसी कांड से नाम जुड़ा हुआ है। इजरायल पर आरोप भी लग रहे हैं कि उसने दुनिया के कई दमनकारी देशों की सरकारों के हाथ में ऐसा स्पाईवेयर जाने दिया। पिगेसस प्रोजेक्ट की जांच में पता चला है कि एनएसओ ग्रुप और इजरायल सरकार के बीच करीबी संबंध हैं और 2017 में इजरायल सरकार ने इस कंपनी को स्पष्ट इजाजत दी थी कि वो सऊदी अरब सरकार को हैकिंग सॉफ्टवेयर बेचे।


ये भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या इजरायली खुफिया एजेंसियों की पहुंच पिगेसस स्पाईवेयर द्वारा जुटाई गई जानकारी तक थी। इजरायल को ये भी डर है कि पिगेसस प्रोजेक्ट के भंडाफोड़ के चलते इजरायल की कंपनियों पर बुरा असर पड़ सकता है। खास तौर पर इजरायल की साइबर हथियार इंडस्ट्री पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकते हैं।

Pegasus Fact File

18 जुलाई को पिगेसस प्रोजेक्ट से पता चला था कि अजरबैजान, बहरीन, मैक्सिको, मोरक्को, रवांडा, सऊदी अरब, हंगरी, भारत और संयुक्त अरब अमीरात समेत कई देशों की सरकारों द्वारा निशाना बनाए गए लोगों के फोन में एनएसओ (पिगेसस) द्वारा बेचे गए स्पाइवेयर की पहचान हुई थी। इस जांच को एमनेस्टी इंटरनेशनल के प्रायोजन और पेरिस स्थित जर्नलिज्म नॉनप्रॉफिट फारबिडेन स्टोरीज के नेतृत्व में 17 मीडिया संगठनों ने किया था। इसके केंद्र में 50 हजार फोन नंबरों की लीक हुई एक सूची थी जो पत्रकारों, वरिष्ठ राजनीतिज्ञों और कारोबारी लोगों से जुड़ी थी।

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