मिली बड़ी खुशखबरी: अब बच्चों को भी लगेगा टीका, हो गया ऐलान

फाइजर-बायोएनटेक कोविड-19 टीके की सिर्फ एक खुराक से ही उन लोगों में प्रभावी असर दिखाई देता है जो पूर्व में इस महामारी कोरोना से संक्रमित हुए थे।

Update: 2021-03-31 12:30 GMT

फोटो-सोशल मीडिया

नई दिल्ली।  १२ से १५ साल के बच्चों में फाइजर-बायोएनटेक कोविड-19 टीका बहुत ज्यादा यानी 100 प्रतिशत असरदार है। ऐसे में कंपनी ने बुधवार को ये दावा किया है। साथ ही इसके अध्ययन में ये बात सामने आई है कि अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइजर और जर्मन जैवप्रौद्योगिकी कंपनी बायोएनटेक द्वारा संयुक्त रूप से निर्मित कोविड-19 टीका, कोरोना वायरस के उस नए प्रकार से सुरक्षा दे सकता है जो पहले ब्रिटेन और फिर दक्षिण अफ्रीका में पाया गया। जिससे की ये टीका बच्चों में वो भी १२ से १५ की उम्र के लिए बहुत प्रभावी है।

 मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा होती

ऐसे में 'नेचर मेडिसिन' नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, कोरोना वायरस के 'एन501वाई' और 'ई484के' म्यूटेशन पर उक्त टीका प्रभावी है. अमेरिका के टेक्सास विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों समेत विशेषज्ञों के दल के अनुसार, टीके का वायरस के ई484के म्यूटेशन पर पड़ने वाला प्रभाव एन501वाई म्यूटेशन पर पड़ने वाले प्रभाव से थोड़ा कम है।

जबकि दूसरी तरफ फाइजर-बायोएनटेक कोविड-19 टीके की सिर्फ एक खुराक से ही उन लोगों में प्रभावी असर दिखाई देता है जो पूर्व में इस महामारी कोरोना से संक्रमित हुए थे। साथ ही एक अध्ययन के अनुसार, इस एक खुराक से ही लोगों में इस महामारी का मुकाबला करने के लिए एक मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा होती है और इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कब संक्रमित हुए थे या निवारक उपाय करने से पहले वायरस के खिलाफ उनमें एंटीबॉडी बने थे या नहीं।

टीके का असर 

वहीं 'जर्नल यूरोसर्विलांस' में प्रकाशित नवीनतम अध्ययन में जिव मेडिकल सेंटर में 514 कर्मियों के एक समूह को शामिल किया गया था। इसमें टीके की पहली खुराक लेने से पहले 17 प्रतिभागी एक और दस महीने के बीच किसी समय कोविड-19 से संक्रमित हुए थे।

इसमें सबसे पहले पूरे समूह के एंटीबॉडी स्तर को टीकाकरण से पहले मापा गया था और फिर उसके बाद अमेरिकी कंपनी फाइजर और जर्मनी की उसकी सहयोगी बायोएनटेक द्वारा विकसित बीएनटी162बी2 एमआरएनए टीके के असर को देखा गया। जिसके बारे में शोधकर्ताओं ने कहा कि टीके का असर उन लोगों में काफी प्रभावशाली था जो पहले इस महामारी से संक्रमित हुए थे।

अध्ययन का नेतृत्व करने वाले इजराइल में बार-इलान विश्वविद्यालय से प्रोफेसर माइकल एडेलस्टीन ने कहा, ''इस अध्ययन से देशों को टीका नीति के बारे में निर्णय लेने में मदद मिल सकती है - उदाहरण के लिए, क्या पहले से संक्रमित लोगों को प्राथमिकता में टीका लगाया जाना चाहिए और यदि हां, तो उन्हें कितनी खुराक देनी चाहिए.''

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