कश्मीर में दिलों की दूरियां मिटाना आसान नहीं, नेताओं के अलग-अलग सुर से आगे की राह मुश्किल

Jammu - Kashmir Meeting : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर को लेकर बुलाई गई अहम बैठक में तीन घंटे तक मंथन चला।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shraddha
Update:2021-06-25 10:37 IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इन नेताओं की बैठक (फोटो सोशल मीडिया)

Jammu - Kashmir Meeting : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की ओर से जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) को लेकर बुलाई गई अहम बैठक में गुरुवार को करीब तीन घंटे तक मंथन का दौर चला। आठ दलों के 14 नेताओं की इस महत्वपूर्ण बैठक में मोदी ने जम्मू-कश्मीर से दिल्ली और दिल की दूरी कम होने का महत्वपूर्ण संदेश दिया। पीएम मोदी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में परिसीमन का काम जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा और उसके बाद विधानसभा चुनाव कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के सभी सियासी दलों को इस चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लेना चाहिए।

पीएम मोदी के इस महत्वपूर्ण बैठक में हिस्सा लेने वाले नेता अलग-अलग सुर में अलापते दिखे। नेताओं के रुख से साफ हो गया कि जम्मू-कश्मीर को लेकर आमराय बनाना आसान काम नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राज्य में आर्टिकल 370 और विश्वास बहाली की मांग की। उन्होंने जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने पर भी जोर दिया। दूसरी ओर एक और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने एक बार फिर पाकिस्तान का राग अलापा। उन्होंने कहा कि सरकार को पाकिस्तान से बात करनी चाहिए क्योंकि पाकिस्तान से बातचीत होने पर कश्मीरियों को काफी सुकून हासिल होता है।

सरकार के बड़े कदम के बाद पहली बैठक

जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाए जाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटे जाने के बाद केंद्र सरकार की ओर से पहली बार किसी बैठक का आयोजन किया गया था। केंद्र सरकार के इस कदम का जम्मू कश्मीर के विभिन्न सियासी दलों के नेताओं ने तीखा विरोध किया था। इस कारण कई नेताओं को हिरासत में भी ले लिया गया था। अब काफी दिनों बाद सरकार की ओर से जम्मू कश्मीर को लेकर यह महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के साथ ही जम्मू-कश्मीर के अन्य नेताओं ने भी हिस्सा लिया।

उमर अब्दुल्ला, गुलाम नबी आजाद के साथ अन्य नेताओं ने हिस्सा लिया।

दिलों की दूरियां मिटाने पर पीएम मोदी का जोर

बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक मतभेद तो जरूर रहेंगे मगर हर किसी को राष्ट्र हित में काम करने के लिए आगे आना चाहिए। जम्मू कश्मीर के लोगों के भविष्य के लिए यही उचित कदम होगा। उन्होंने प्रदेश में सुरक्षा का माहौल बनाने पर भी जोर दिया। पीएम मोदी ने कहा कि वे दिल्ली की दूरी और दिल की दूरी मिटाना चाहते हैं। पीएम ने कहा कि मुझे इस बात की खुशी हुई है कि बैठक में हिस्सा लेने वाले सभी नेताओं ने पूरी बेबाकी और ईमानदारी के साथ अपनी बातें रखी हैं। उन्होंने राज्य के युवाओं को भविष्य में नेतृत्व प्रदान करने और उनकी आकांक्षाएं पूरी करने पर भी जोर दिया।

केंद्र का कदम कतई स्वीकार नहीं

प्रधानमंत्री के बयान पर टिप्पणी करते हुए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि सिर्फ एक मुलाकात से दिल्ली की दूरी और दिल की दूरी कम नहीं होने वाली है। अगर आगे भी मुलाकातों का सिलसिला कायम रहे तो निश्चित रूप से कुछ कामयाबी हासिल हो सकती है।

उन्होंने कहा कि 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार की ओर से जो भी कदम उठाया गया, हम उसे किसी सूरत में स्वीकार नहीं करेंगे। हम कानूनी तरीके से लड़ाई लड़ेंगे। उमर ने कहा कि राज्य के लोगों को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा पसंद नहीं है और वे राज्य का दर्जा बाहर करने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि परिसीमन को लेकर राज्य के लोगों में काफी संदेह है। इसलिए इस मामले पर भी गौर फरमाया जाना चाहिए।

महबूबा का पाकिस्तान राग

महबूबा मुफ्ती(फाइल फोटो - सोशल मीडिया)

पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती ने सरकार पर गैरकानूनी तरीके से अनुच्छेद 370 को हटाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर किसी भी जनप्रतिनिधि से बात नहीं की गई और सिर्फ एक ही झटके में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया गया। सरकार के इस फैसले के बाद राज्य के लोग परेशान हैं और खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। उन्होंने एक बार फिर पाकिस्तान का राग अलापते हुए कहा कि सरकार को पाकिस्तान से बातचीत के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से बातचीत किए जाने से कश्मीर के लोगों को सुकून हासिल होता है।

आजाद ने की तुरंत चुनाव कराने की मांग

जम्मू कश्मीर के एक और पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने और वहां तुरंत चुनाव कराने की मांग की। उन्होंने कश्मीरी पंडितों की फिर से राज्य में कश्मीर में वापसी की मांग भी उठाई। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को राजनीतिक क़ैदियों को छोड़ने के लिए कदम उठाना चाहिए और जम्मू-कश्मीर के लोगों को रोजगार और जमीन की गारंटी दी जानी चाहिए।

पूर्ण राज्य की बहाली की बात दोहराई

बैठक के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने ट्वीट में कहा कि जम्मू-कश्मीर के भविष्य को लेकर आज हुई महत्वपूर्ण बैठक काफी सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई है। बैठक में हिस्सा लेने वाले सभी नेताओं ने संविधान और लोकतंत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई है। बैठक में सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और मजबूत बनाने पर जोर दिया गया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर के सर्वांगीण विकास के लिए कटिबद्ध है। उन्होंने आने वाले दिनों में जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्ण चुनाव और पूर्ण राज्य की बहाली की बात भी दोहराई।

आर्टिकल 370 से कम कुछ भी मंजूर नहीं

जानकारों का कहना है कि गुपकार गठबंधन में शामिल छह सियासी दलों ने इस बैठक में हिस्सा जरूर लिया मगर गठबंधन के सभी नेता जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 की बहाली पर अड़े हुए दिखे। इन सभी नेताओं का मानना है कि केंद्र सरकार की ओर से एकतरफा फैसला लिया गया है और सरकार के इस कदम पर जम्मू-कश्मीर के लोगों की तनिक भी रजामंदी नहीं है।

हालांकि प्रधानमंत्री की ओर से दिलों की दूरियां मिटाने पर जोडर दिया गया मगर कश्मीर के सभी प्रमुख सियासी नेताओं के रुख से साफ हो गया है कि दिलों की दूरियां मिटाना इतना आसान काम नहीं है। बैठक में हिस्सा लेने वाले कई प्रमुख नेताओं ने साफ कर दिया है कि हालांकि उन्होंने बैठक में खुले दिल से भाग लिया है मगर उन्हें जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।

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